सवाल
आचार्य भगवन् !
आप व्रत बाद में,
पहले परिमार्जन के लिये
एक छोटा सा नहीं,
बड़ा सा कपड़ा देते हैं क्यों
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
चूँकि कखहरा पढ़ा रहे
इसलिए मैं कहता हूॅं
व्रतियों के हाथ में
परिमार्जन के लिये कपड़ा रहे
‘के बजे ताली
चाहिये हाथ दोनों खाली
और परिमार्जन अलावा
व्रति तो वाह भाई वाह
पकड़ा रहे
घड़ी पर घडी
घड़ी-दर-घड़ी
बजे भी ताली
तो स्वयं के कानों तक भी
आवाज न आने वालो
सचमुच
घड़ी….
कमाल की बड़ी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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