सवाल
आचार्य भगवन् !
आजकल मैं,
कुछ ज्यादा ही चिड़चिड़ाने लगा हूॅं
कोई उपाय बताई ‘कि मन समाधान पाये
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
लगे चिड़चिड़ाने
यानि ‘कि चित चारों खाने
सखा !
कुछ न कुछ सीख रहे
हम
या रहे सिखा
बात-बात में चिड़चिड़ाना
दे…बता
‘के तुम्हें अब क्या हराना
डाल जो दिये हैं तुमने
हथियार अपने
नमतर नयना
मिसरी वयना
चेहरा मुस्कुराता
जिन्हें जीत दिलाना आता
हो रहा चिड़चिड़ाना
तो उन्नति के
शिखर पर चिड़ चढ़ेगी
हम क्यों चढ़ने लगे
बन्द करो स्कूल जाना
क्या
सीख रहे हो चिड़चिड़ाना
हाय राम !
ये क्या पट्टी पढ़ाई
काफी थे आखर ढ़ाई
सुनो…
कल से गुरुकुल आना
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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