सवाल
आचार्य भगवन् !
ठण्डा मतलब कोका-कोला
बच्चे बच्चे की जुबान पर है आजकल
जाने कैसा जमाना आ गया है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सच
कल…
था सोने सा समय
‘ब्रह्म मुहुर्त’
सोने का समय
आज
हमने बटोर रक्खे
भ्रम बहुत
जाना कैसा मैं, मालिक हूँ
अनपढ़ भी नहीं, माँ लिख लूँ
मगर
थक, हारकर
हाथ मृग किरदार कर
जाने क्यूँ
मैं गहरा इतना सो जाता
‘कि मुँह की लार से
तकिया आधा तर हो जाता
सुनता भी तो नहीं
कहे पेप्सी
मैं पाप-सी
सखे
उलटे पाँव ले वापसी
बिस्की
विष ‘Kye’
भगवन् को
छिटकी
‘चढ़ाते हम’
स्वयम् को
बिस्की
यह नहीं कह रहा हूँ ‘कि
भगवन् को बिस्की चढ़ाने लगो
और हाँ…
चढ़ानी ही है तो
ऐसी चढ़ा दो
‘कि फिर के मत चढ़ाने लगो
आपकी बार खुद को
कोका-कोला
सार्थक शब्द बनाने
‘का’ की जगह
आखर
‘ख’ राखी
‘के स्वयम् बोला
खोखा खोला
‘थम्स अप’
किये बैठे हो,
अन्तर्-मन भी सुनता है
क्या न सुन रखा
कह रहा
थम… सब
थम…अब
‘रे सुन सखा !
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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