loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -330

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !

‘एक गीत’
मत भुलाओ
मत रुलाओ
अब आ भी जाओ
देखो भी तो मेरी, ये सूरत रोनी
अब हो चली बहुत आँख मिचौनी

तुम मुझे, प्यारे हो, जान से भी ज्यादा
क्या भुला दिया,
ताउम्र साथ निभाने का वादा
तरस तो खाओ
दरश दिखाओ
मत भुलाओ
मत रुलाओ
अब आ भी जाओ
देखो भी तो मेरी, ये सूरत रोनी
अब हो चली बहुत आँख मिचौनी

तेरे बिना,पल-पल बीत रहा बरषों सा
देर टिकेगी श्वास, दिखे टूटता सा भरोसा
तरस तो खाओ
दरश दिखाओ
मत भुलाओ
मत रुलाओ
अब आ भी जाओ
देखो भी तो मेरी, ये सूरत रोनी
अब हो चली बहुत आँख मिचौनी

रात भर से ये पंक्तियाँ रहकर याद आ रही हैं
मेरा जिगरी दोस्त बिना बताये मुझे,
इस दुनिया को छोड़कर चला गया है
मैं क्या करूँ
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
सुनिए,
आपने कविता में प्रश्न किया,
मैं भी कविता में उत्तर देता हूँ

दीवा बढ़ जाना इक-दिन
पंछी उड़ जाना इक-दिन
पड़ा पिंजरा रह जाना है
तेल बाती चुक जाना है

हवा चलते गुल झरझाना
साँझ ढ़लते गुल मुरझाना
दीवा बढ़ जाना इक-दिन
पंछी उड़ जाना इक-दिन
पड़ा पिंजरा रह जाना है
तेल बाती चुक जाना है

चाँद पीला, देखा सूरज
राहु लीला देखा सूरज
दीवा बढ़ जाना इक-दिन
पंछी उड़ जाना इक-दिन
पड़ा पिंजरा रह जाना है
तेल बाती चुक जाना है

सच…

कहीं उड़ न चलें तोते
तोते कल उड़ना भी

इक पक्ष नहीं रखना
निष्पक्ष बने रहना
कहीं उड़ न चलें तोते
तोते कल उड़ना भी

नहीं धूल चढ़ाना पर
नहीं भूल चढ़ाना सर
कहीं उड़ न चलें तोते
तोते कल उड़ना भी

नलिनी न लटक जाना
रमणी न अटक जाना
कहीं उड़ न चलें तोते
तोते कल उड़ना भी
कहीं उड़ न चलें तोते
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point