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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -298

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
आप कहते हैं
जीव माँ की कूख में प्रण करता है,
‘कि यहाँ से निकल कर,
मोक्ष पथ अपनाऊँगा
ताकि न आना पड़े, फिर से माँ की कूख में
लेकिन आते ही यहाँ सब कुछ भूल जाता है,
कैसे समझाये इसे संसार की असारता
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
जीवन दो दिन का
एक दिन जनम का
एक दिन मरण का
जीवन दो दिन का

भाग दौड़ कर किसके लिये रहे
जोड़-जोड़ रख कब के लिये रहे
कहो, क्या भरोसा है अगले छिन का ?
जीवन दो दिन का
एक दिन जन्म का
एक दिन मरण का
जीवन दो दिन का

दे किसके लिये रहे हाय ! धोखा
कहीं खो तो न रहे, हाथ से मौका,
अनोखा
अहो ! यमराज हुआ सगा किन का
कहो, क्या भरोसा है अगले छिन का
जीवन दो दिन का
एक दिन जनम का
एक दिन मरण का
जीवन दो दिन का

क्या मनानी है दीवाली नहीं
हहा ! खतरे से खाली नहीं
वाउम्र बने रहना गुलाम, मन का
कहो, क्या भरोसा है अगले छिन का
अहो ! यमराज हुआ सगा किन का
जीवन दो दिन का
एक दिन जनम का
एक दिन मरण का
जीवन दो दिन का
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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