सवाल
आचार्य भगवन् !
आप धम्म-धम्म करके चलने से,
मना क्यों करते हैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
दूध आध, पाव दबा पाती है
म्याउँ,
जब दबे पाँव आती है
धम्म, धम्म करके आयेगी,
तब को कूँदते ही रहेंगे चूहे उसके पेट में
बखूब ध्यान रखना हमें,
नाड़ी फड़कन,
दिल की धड़कन,
इन पर हमारा, बस न चलने वाला
लेकिन साँसों की सरकन की गति तो,
रख सकते हैं धीमे हम,
‘के हमारे पेट का पानी भी न हिलने पाये
और पदचाप यानि ‘कि चलते वक्त पाँवों के रखने की आवाज जितनी कम हो सके,
कम कर सकते हैं हम
लेकिन दो स्थिति बन सकती हैं,
एक तो बेसुध होकर दौड़ाएं,
आवाज दूसरी जो सुन रहे होंगे हम,
पैसे-खन-खन
सो अपने पैरों की आवाज सुनाई न ‘देगी
यह बात तो आसान ही,
पर आसान नहीं,
दूसरा तरीका, दूसरा ही है,
जिसमें आँखें पैरों में लग चलेंगीं,
कान खड़े हो चलेंगें
नाक उतार करके रख देगी भार
कुल मिला के एक साक्षी भाव
ज्ञायक स्वभाव
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
Sharing is caring!