सवाल
आचार्य भगवन् !
मंथरा का किरदार निभाने वाले कम नहीं हैं,
भगवान्
कान भरना मेरे मन को भी खूब भाता है
क्या करूँ
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
कान में जो छेद,
उसके नाप की बनाता
विधाता !
अंगुलिंयाँ एक नहीं दश-दश बनाता
क्यों ? आखिर क्यों ?
चल दिये मन,
किसी के कान भरने,
मन-मन, सुमन
क्या मतलब निकलता है
पानी उड़ेला गया जब घड़े चिकने
और हाँ…
यदि कोई कान भरने आता है तो
दे…बता अंगुलिंयाँ अपनी तू क्यूँ भुलाता है
दूसरे बदन दबाएँ
और तरंग हम अपने मन में उठाएँ
तो फिर जल की स्वच्छता में,
दिख रहा हमारा चेहरा धुंधला न हो चलेगा
फिर मुक्ति राधिका न रीझने वाली
लाख कोशिंशों के बाद भी
कहेगी पुरुष बनाये गये हो, इस बारी
और यह क्या ? पुतली भी बन चलते
तो ठीक था
कठ-पुतली बने हो
दूसरे के हाथों की,
छी…
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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