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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -266

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
लोग चकमा देकर निकल जाते हैं
मैं ठगा सा रह जाता हूँ
क्या करूँ
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
सुनो पढ़ लिया करो,
खूब,
लोग बखूब गोल गोल लिख कर रखते हैं चेहरे पर
यूँ ही न लगा दिया करो अंगूठा
अनूठा

दुधमुँहा बच्चा भी ये हुनर
माँ के पेट से ही विरासत में लाता है
‘के कखहरा जो लिक्खा चेहरे पर
उसे बखूबी कैसे पढ़ना है

और देखो जर्रा पढ़ो तो दूर दूर अक्षर
पलट के शब्द ठ…ग
ग…ठ
गाँ…ठ
हाँ… हाँ क्यूँ लिये घूमते हो
सिर पर रक्खे अपनी
का…का से यही पूछने,
‘कि क्या-क्या लेकर आये हो चोंच में दाबे,
करते रहते पीछा दूसरे नहीं,
जात वैरी बन चालते अपने ही
भले टूट चले चोंच
पर हा ! हाय ! हम सोच नहीं बदलते

बस खड़ी कर लेने से चार दिवार
मीठे पानी का कुआ
हुआ घर का ?
जर्रा लगा चश्मा दे…खो
अभी भी विश्व भर का
‘रे मत भूल,
हुई कबूल सबकी दुआ
बस तेरे कुछ नजदीक कुआ
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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