सवाल
आचार्य भगवन् !
राग-रंग की वजह, क्या है ?
कृपया बतलाने की कृपा कीजिए
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
राग-रंग की वजह पहली,
चक्रव्यूह कुसंग,
चंचल मन तरंग
पर जर्रा याद तो रक्खो,
की नहीं ‘कि नासा दृष्टि,
गुम सुट्टी-पुट्टी अनंग
राग रंग की वजह अगली,
काटे नहीं कटता वक्त,
चढ़ती जवानी खौलता रक्त
पर जर्रा याद तो रक्खो,
हाथी, मीन, भृंग,
पतंग, भुजंग,
इनका हस्र देख,
दुनिया रह जाती दंग,
बल्कि ये तो, क्रमश:
विषय इन्द्रिय सिर्फ, एक आसक्त
राग रंग की वजह असली,
करना आँखें चार
अनादि संस्कार
पर जर्रा याद तो रक्खो,
जाना अकेले,
हुआ आना अकेले,
फिर क्यूँ उठाना ये, वैशाखी का भार
की मैंने खोज,
देर रात तलक, जाग कर रोज,
तब राग-रंग की वजह निकली,
मौज मस्ती ही जिन्दगी,
ऋण लेकर ‘जी-भर’ पियो घी
पर जर्रा याद तो रक्खो,
लिया ऋण कल चुकाना भी पड़ता,
वो भी समेत ब्याज चक्र वृद्धि
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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