सवाल
आचार्य भगवन् !
कीर्ति मुझसे कोस दूर भागती है,
भगवन् !
बिगड़ती चली गई लोगों से,
धागा गाँठ वाला हो चला मेरा
समझ न पाया मैं, तेरा-मेरा करता रहा,
हा ! भगवान् अब क्या करूॅं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनो होओ मत निराश,
गाँठ दूर गाँठें भी आ चालती रास
बस घुली हो मिठास
गन्ने उवाच
कीरति
कीर यानि ‘कि तोता
ति यानि ‘कि स्त्री
सो मैं…ना चलेगा
चल मैं हूँ ना…
कहें औरों से और
स्वयं रहें राम भरोसे
अंक-अंक बीच
अंक अजीज तो सिर्फ ‘तेरा’
जिसे समर्पण की भाषा आई
तभी कहता फिरता
चाहे जिस किसी से
भाई
ओ ! भाई
मैं तेरा
सच
‘तेरा-पन’ अलग बात है
और
तेरा प…न अलग बात
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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