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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -197

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
मोक्षमार्गी तो गंभीरता का परिचय देते हैं
अब प्रवचनों में आत्मा पर बल न देकर
इधर के किस्से, उधर की कहानिंयों के सिवा ज्यादा कुछ नहीं रहता है
भगवन् !
कहाँ तक जायज है ये सब,
सराफे की दुकान
तो बढ़ चली,
गोली बिस्किटों की दुकाने खुलीं हैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
गुरुदेव
जब शिष्यों के चेहरे पर हंसी लाते हैं
तो वह सिर्फ हँसी नहीं होती है
‘के कल हँसी न हो
हित मति हंसी एक प्रक्रिया होती है
हुनर
भाँत गुरुवर
कहाँ सबकी बपौती है
सच्ची
इते-उते की बात
पकड़ाते-पकड़ाते
सन्त
बताते ग्रंथ
जाने कब दें पकड़ा पते की बात

और गोली बिस्किट की दुकान
व सराफे की दुकान में
ज्यादा फ़र्क नही है
गो…ली जाये
फिर कण्ठी बना ली जाये अगर बातें तो
सारी गो कर पहनने वालीं चींजे
सराफे बाजार में मिलती हैं,
और मिलते हैं बिस्किट भी,
बस नजर पारखी चाहिये
और सुनिये,
गुरु से बड़े दुकानदार पुरु है
गुरु जी के पास तो बाल-बच्चे ही आते हैं
जिन्हें भाई !
भाई, गोल मिठाई
शब्द ही कहता पढ़ लीजिए ना
क…हानी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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