सवाल
आचार्य भगवन् !
ये ‘मानसून’,
आकर के हमसे क्या कहता है
आप और कान रखते हैं
हम लोग तो सिर्फ दुकानदार हैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
न सिर्फ
सज चुका है
कोई ‘मान-शून’ नाम से
भाई ! खूब बखूब
बज चुका है
हम पीछे रह गये हैं
‘मैं’ की मय यानि ‘कि शराब पिये
मदमत्त आँख मींचे रह गये हैं
यदि पूछते हो
है कौन वो मान-शून
तो गर्मी के बाद आता जो
हाय ! हम गर्मी
वश…भूत मुठ्ठी भींचे रह गये है
न सिर्फ
सज चुका है
कोई ‘मान-शून’ नाम से
भाई ! खूब बखूब
बज चुका है
हम पीछे रह गये हैं
यदि पूछते हो
है कौन वो मान-शून
तो ठण्डी के पहले आता जो
पर हाय !
शीतांश कोई शीतांशु कहाय
और हम
ठन-ठन-गोपाल खाली खींसे रह गये हैं
न सिर्फ
सज चुका है
कोई ‘मान-शून’ नाम से
भाई ! खूब बखूब
बज चुका है
हम पीछे रह गये हैं
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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