सवाल
आचार्य भगवन् !
मेरे सपने में आप रात आप आये हुये थे
मैं आपके चरणों के करीब बैठा था,
मुझे मोटा-मोटा सा याद है,
तभी एक रेशमी कीड़ा अपनी आप-बीति
आपके सामने रख रखा था,
भगवान् मुझे कुछ याद नहीं रह पाया,
क्या कह रहा था वह,
आपको तो याद होगा ना भगवान्
जर्रा सी कृपा कीजिए
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
था कह रहा, कीड़ा रेशमी
गया हार
बरखुरदार
कोल्हू बैल रेस…मी
पर हाय !
यह क्या किया
वाह-वाह के चक्कर में ?
चक्रव्यूह स्वयमेव रच लिया
वैसे
न सिर्फ लोगों ने
सार्थ नाम ‘लोगो’ ने
भले राज
थी दी आवाज
रे ! शमी
शमी…
शमी…
सचमुच
उड़ इतना लो ‘रे अंतरंग
‘के कट गिरो तो पा…लो पतंग
लोग ‘बाग’ कम बाघ ज्यादा
लिये रहते कांच चढ़े धागे
थम, न बढ़ आगे
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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