सवाल
आचार्य भगवन् !
खबर उड़ाने वालों की कमी नहीं है
दीवाल से कान सटाये रहते है,
न सिर्फ पराये
हमसाये भी,
ये मोबाइल क्या चल पड़े,
बातें रिकार्ड हो चलीं
भगवन् ये जाल बिछाने
वाले कब आयेंगे जाल में,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनो,
उड़ी खबर यानि ‘कि अब
ज्यादा दूर नहीं अम्बर
बस लगे हाथ
कर लो खड़े हाथ और
छू लो आकाश यानि ‘कि
‘ख’ यानि ‘कि
खम् मतलब आकाश
भिजाने का ‘वर’ देने वाला
खबर फैलाने वाला
अपना मित्र खास
रहे
आस-पास,
मेरी तो यही अरदास
कोई तो जाये मिल
मेरी बातें रिकार्ड करने
‘के हो चलें काबिल
उसकी
‘बातें रिकार्ड होती’
जिसकी
‘रे मन ना डर,
अपना रिकार्डर
देखो
अंगुली पोर अगले भी न पहुँच पाते हम
माँ चश्मे
‘लगा देखते’
ना…ना चश्मे
पोर वाली अंगुलिंयाँ भी पड़ती कम
खुद ही कह रहीं
खा…मियाँ
खामखा बतंगड़ बात का न बना मियाँ
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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