सवाल
आचार्य भगवन् !
सुनते है,
करीब साधू
अजीबो-गरीब जादू
और भगवन् आज चमत्कार को,
नमस्कार हो ही रहा है
आप कहाँ तक सहमत है
इस बहुमत के नजरिये से ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
वाह भई वाह
तुकबन्दी तो खूब कर लेते हैं आप,
करीब साधू…
अजीबो-गरीब जादू…
तो भाई,
अजीव था साधू,
कल पुद्-गल के साथ
गलबाह देकर बैठने से,
करीब-करीब आज मंजिल के करीब है
और गरी…ब
साधू तो बा…गरी है
जो सार्थक नाम करा रही
ना…’रियल
खोल के भीतर ही तर चली है
सूख
पा चली सुख गली है
चढ़ता यही श्रीजी को
सो, अजि ओ !
पैसे…
जिससे निकालता
जादुई उसी टोपी को,
तमाशे के बाद
कुछ पाने की
आशा से औरों के सामने पसारता
रहने दीजिये…
साधू भर
न बना लीजिये जादूगर
हा ! हहा !
तमाशा
गाल साधू तमाचा
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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