सवाल
आचार्य भगवन् !
जब देखो तब
आप कहते मिलते हैं
देखो…देखो,
सो भगवन् क्या इस देखो,
शब्द का कोई विशेष अर्थ,
आपके ज्ञान में झलकता रहता है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सहजो निराकुल
सहज ‘औ’ निरा…कुल
श्री मद् आचार्य देव
परमोपकारी गुरु भगवन्त
समन्त भद्र सूर
पसन्द-छिद्र दूर
महाराज ज्ञान सागर जी ने,
जीने की कला थी सिखाई
लेते-लेते विदाई
‘के प्रवचन देना
और तो और पा परब,
चुन चुन देना
कभी किसी को भी पर-मत-वचन’ देना
पर-मत वच ना देना
परम तप यूँ चुन चुन देना
सो मैंने उलाँघ कोस-कोस
संस्कृत
क्या हिन्दी, क्या मराठी आदि आदि
सब ही लिये छान कोश सहोश
महा आशीष
रहा आदीश
मुझे मिल ही गया शब्द वो
‘कि एक तीर से साथ लो निशाने दो
और वो शब्द है ‘देखो’
हुआ पूरा तो चित्त अपनी
‘वचन’
रहा अधूरा तो पट्ट आपनी
ये कहते हुये ‘के भाई तू मेरे द्वारा दिया वचन
दे…खो
था कहा ही मैंने पहले
ध्यान तुमने न दिया भले
सो आप ही देखो
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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