सवाल
आचार्य भगवन् !
आपने कभी फरियाद को याद किया है
किसी और से, न सही,
भगवन् गुरुणांगुरु आचार्य ज्ञान सागर के सामने तो रक्खी ही होगी,
कोई न कोई अपनी फरियाद,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सहजो-शान्त
गुरुदेव आचार्य भगवन्त
श्री ज्ञान सागर जी
फरियाद के पक्ष में नहीं रहते थे
वे कहते थे
शब्द ‘फिर’ भी
‘कल’ जैसा ही घूम-फिरके वहीं तो
फरयाद
फिर…याद करते जायें
मुराद ‘पूरी’ न हो पायें
वैसे ‘पूरी’ बनती अन्न से
यत्न से
प्रयत्न से
सो क्यूँ न ले अक्षर फेर
या…द
द…या
फिर फरियाद को याद करने की,
जरूरत ही न रहेगी
तरी तरेगी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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