loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -149

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
एक दमोह के महाराज श्री जी हैं,
जिनका नाम आपने निर्मोह सागर जी रक्खा है
तो भगवन् !
कोई विशेष राज छिपा है, इनके नाम के साथ,
या फिर आपने अपने कवि कौतुक लहजे में
दमोह से निर्मोह की तुकबन्दी ही सिर्फ की है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
इन्होंने लॉ किया था
वैसे इनकी माँ ने इन्हें नाम ही अद्‌भुत दिया था
‘सुनील’
और थोड़ा रुक करके पड़ते हैं तो पढ़ने में आयेगा, सुनी…लाँ
नाम से ही प्रेरणा पाकर,
पहुँचे ये मुकाम पर
औषध दान में नाम
इनका था पूरे दमोह में बजा आज
उससे जन्मा सप्रेम सर नेम बजाज
एक बार था बैठा मैं
आकर
बड़े बाबा के पाद-मूल में
मैंने इनसे पूछ लिया
‘के पढ़ने में क्या किया
जल्दी जल्दी में जुबान फिसली
इनके मुख से आवाज निकली ‘लायर’ हूँ
अच्छा तो झूठे हो
बनने आये अनूठे हो
तो एक नाम राशि
‘द’ से दीक्षा
‘द’ से द्विज
अर्थात् दीक्षा यानि ‘कि दूसरा जनम
सो
The मोह पहले जनम का नाम
तो क्या हो ? विरले जनम का नाम
मैंने सोचा
भाग-दौड़ के मन मेरा पहुँचा
नाम निर्मोह तक
न सिर्फ रंग रूप से ही थे ‘मोहन’
ये अन्तरंग स्वरूप से भी,
बस मैंने दिया रख
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point