सवाल
आचार्य भगवन् !
आपने मूकमाटी में अबे को तैयार करने से लेकर अग्नि की नदी पार कराने तक का,
बेजोड़ चित्र खींचा है,
क्या आपके घर के आस-पास
अबा लगाया जाता था ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
“हाँ ‘अबे’ का आलाप जरूर लगाया जाता था
वो भी पञ्चम सुर में
गल्ली, मुहल्ले में ही नहीं
बल्कि पूरे के पूरे ग्राम-गोपुर में
पर कुछ सुमन थे
जो करते रहते जतन थे
‘के शगुन ‘बने’
यथा नाम तथा गुण
अपना ग्राम सदल…गा
चूँकि सत्…लगा
माँ श्री मन्ती और पिता मल्लप्पा इस कतार में सर्वप्रथम थे लूटते जगह
वो भी छाती तान के
थे लगे चूँकि कई तमगा
थे बोलते ग्रामीण जिन्हें तमगो
सचमुच,
तम ‘go’ हो चुका था
मिथ्यातम जो चुका था
जिन्होंने कभी जुबान को,
जायका अपशब्द न चखाया
‘के बच्चे अभी बच्चे घड़े हैं’
जिन्होंने कभी लबों से,
लव मात्र भी जाम न छुवाया
‘के बच्चे अभी बच्चे घड़े हैं’
अ…बे कहने वाले,
दो फिर नौ होते गये
अब ‘ऽये क्या बनूँ अपने मुँह मियां मिट्ठू
हम अकेले राम,
सो खुद में खोते गये
खुदा के होते गये
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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