loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -14

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
मकड़ी के लार के जैसी लम्बी-लम्बी रातें
सुनते हैं,
पत, कीरत सार्थक नाम ‘खाई’
इसी एक अष्टापदी ने मिट्टी में मिलाई
ऐसी ‘रातों में सिर्फ एक करवर से लेटना,
कैसे होती होगी नींद पूरी,
और दूसरे मौसम में तो फिर बन चले,
लेकिन सर्दी के समय तो,
नींद बार-बार खुलती हैं
ठण्डा पाटा, ऊपर से ठण्डी छत,
‘दीवालें’
दीवा लें, सिर्फ कहती रहती हैं
दीवा लातीं कहाँ हैं
भो भगवन् !
क्या आप प्रयाम भी आराम नहीं लेते हैं,
जर्रा बतलाईये तो,
क्या सिर्फ अन्तर्मुहूर्त में,
निद्रा देवी से पीछा छुड़ा लेते हैं आप,
धन्य हैं भगवन् आप
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
सुनिये,
एक अच्छा रहता है,
एक साधने की याद दिलाता रहता है
कुछ मँगाता भी नहीं,
श्री ज्ञान गुरुदेव जी
कहते थे सदैव ही
दो को पीछे मत लगाना
मुँह तो लगाना ही नहीं
जब देखो तब
सार्थक नाम करता रहता है
दो… दो कहता रहता है
और हम ठहरे फकीर
वगैर चीर
एक अच्छा रहता है,
एक साधने की याद दिलाता रहता है
और कुछ-कुछ कहता सा शब्द
करवट
क… कम नहीं हम
र…रखते है दम
‘वट’ वृक्ष-वत्
और रही बात ठण्ड़ी की,
तो बाँधनी बस मुट्ठी ही
और क्या मालूम नहीं
“ठण्डी कितनी…दो मुट्ठी”
जानता है मासूम भी
ठण्डी में
मन को
पिनाई जाती टोपी
पिनाई जाती टोपी
न कि तन को
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point