सवाल
आचार्य भगवन् !
इतनी कठिन चर्या,
तलवार का धार पर चलने जैसी
और आप बड़ी ही सहजता से,
निर्दोष रीति से पाल रहे हैं
सच भगवन् !
कई जन्मों की साधना आपकी ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाज़वाब
सुनिये,
जन्म-जन्म की महिमा गाकर
इस जन्म की गरिमा में बट्टा मत लगाइये
अलबत्ता
पुरुषार्थ जाग न पायेगा
भूत जो लग जायेगा
और भावी के पास कहाँ
भा…’भी’ इससे महाँ
आईये
वर्तमाँ चुनिये
ध्यान से सुनिये विरत…माँ चुनिये
विरत पाँच… माँ प्रवचन आठ
बेजोड़…
जोड़…
तेरा
अब भी कोई न सुने चरित्र
चारु इत्र न चुने
तो बलिहार
कलिकाल
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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