- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 895
=हाईकू=
तुझे सुन्दर इतना,
किस माटी से बनाया है ।
देख आईना
‘जि गुरु जी
‘के ख़ुदा भी शर्माया है ।।
‘जि गुरु जी
‘के ख़ुदा भी शर्माया है
देख आईना ।
तुझे सुन्दर इतना,
किस माटी से बनाया है ।।स्थापना।।
ले भाव ये,
मैं चढ़ाऊँ, मोति नैन
‘के कभी,
आप जैसे मैं भी,
पाऊँ सुरीले वैन ।।जलं।।
ले भाव ये,
मैं चढ़ाऊँ, रज मलय घोल
‘के कभी,
आप जैसे मैं भी,
पाऊँ गोल कपोल ।।चन्दनं।।
ले भाव ये,
मैं चढ़ाऊँ, अछत धां शाल,
‘के कभी,
आप जैसा मैं भी,
पाऊँ समुन्नत भाल ।।अक्षतं।।
ले भाव ये,
मैं चढ़ाऊँ, गुल ‘नन्द’ खिला
‘के कभी,
आप जैसा मैं भी,
पाऊँ शंखावर्त गला ।।पुष्पं।।
ले भाव ये,
मैं चढ़ाऊँ, घृत पकवान,
‘के कभी,
आप जैसे मैं भी,
पाऊँ झूलते कान ।।नैवेद्यं।।
ले भाव ये,
मैं चढ़ाऊँ, घृत दीपिका
‘के कभी,
आप जैसी मैं भी,
पाऊँ शुक-नासिका ।।दीपं।।
ले भाव ये,
मैं चढ़ाऊँ, घट दश-गंध
‘के कभी,
आप जैसी मैं भी,
पाऊँ श्वास सुगंध ।।धूपं।।
ले भाव ये,
मैं चढ़ाऊँ, ऋतु फल पिटार
‘के कभी,
आप जैसे मैं भी,
पाऊँ मृग दृग् अविकार ।।फलं।।
ले भाव ये,
मैं चढ़ाऊँ, फल फूल आद
‘के कभी,
आप जैसा मैं भी,
पाऊँ मुखप्-प्रसाद ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
मेरे भगवन्
चन्दना
पूर्ण मंशा
मेरी चन्द ना
जयमाला
करुणा दया निधान ।
सद्गुरुदेव महान ।।
रखते भीजी आँख ।
रखते दूजी साख ।।
मुँह-माँगा वरदान ।
सद्गुरुदेव महान ।।
करुणा दया निधान ।
सद्गुरुदेव महान ।।
नाम और विश्वास ।
परहित खरचें श्वास ।।
एक मात्र ‘कल-यान’ ।
सद्गुरुदेव महान ।।
करुणा दया निधान ।
सद्गुरुदेव महान ।।
आते सबके काम ।
लेते सिर्फ प्रणाम ।।
वृक्ष, नदी, शश-भान ।
सद्गुरुदेव महान ।।
करुणा दया निधान ।
सद्गुरुदेव महान ।।
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
सबकी रख लाज ली
प्रभु मैंने भी आवाज दी
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