- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 857
=हाईकू=
कर दूँ नाम तेरे,
मैं सरगम के सुर सारे ।
मन करता मेरा,
पाँवों में तेरे बिछा दूँ तारे ।।
सपना मेरा,
है अकेला ही तो तू, अपना मेरा ।
फीके हैं मुझे,
आगे तेरे जन्नत के भी नजारे ।।स्थापना।।
तेरे पखारूँ चरण,
कभी पानी परात बिन
सपना मेरा,
है अकेला ही तो तू,
अपना मेरा ।।जलं।।
तेरे पखारूँ चरण,
कभी साथ श्रद्धा सुमन
सपना मेरा,
है अकेला ही तो तू,
अपना मेरा ।।चन्दनं।।
तेरे पखारूँ चरण,
अपने भी कभी आँगन
सपना मेरा,
है अकेला ही तो तू,
अपना मेरा ।।अक्षतं।।
तेरे पखारूँ चरण,
कभी पुष्प ले नन्द वन
सपना मेरा,
है अकेला ही तो तू,
अपना मेरा ।।पुष्पं।।
तेरे पखारूँ चरण,
कभी लेके जल नयन
सपना मेरा,
है अकेला ही तो तू,
अपना मेरा ।।नैवेद्यं।।
तेरे पखारूँ चरण,
आ बाहर कभी सुपन
सपना मेरा,
है अकेला ही तो तू,
अपना मेरा ।।दीपं।।
तेरे पखारूँ चरण,
कभी बाद पड़गाहन
सपना मेरा,
है अकेला ही तो तू,
अपना मेरा ।।धूपं।।
तेरे पखारूँ चरण,
कभी रूबरू मेरे भगवन्
सपना मेरा,
है अकेला ही तो तू,
अपना मेरा ।।फलं।।
तेरे पखारूँ चरण,
कभी लेके शिशु सा मन
सपना मेरा,
है अकेला ही तो तू,
अपना मेरा ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
करें गुरु जी मनमानी न,
बेटे जिनवाणी-माँ
जयमाला
सुन्दर बड़ा प्यारा
चन्दर जैसा मुखड़ा
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
कह रही है श्री मन्त माँ
आ जरा पास मेरे आ
तेरी बलाएँ ले लूँ, तिनके तोड़कर
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
चिकनी कालीं हैं
अलकें घुँघराली हैं
है पलकें तेरी, पाँखुड़ी पद्म सुन्दर
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
कह रही है श्री मन्त माँ
आ जरा पास मेरे आ
तेरी बलाएँ ले लूँ, तिनके तोड़कर
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
सुन्दर बड़ा प्यारा
चन्दर जैसा मुखड़ा
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
कह रही है श्री मन्त माँ
आ जरा पास मेरे आ
तेरी बलाएँ ले लूँ, तिनके तोड़कर
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
सुरमई आँखें
तेरी मिसरी बातें
माथे से तेरे, टपकता नूर अम्बर
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
कह रही है श्री मन्त माँ
आ जरा पास मेरे आ
तेरी बलाएँ ले लूँ, तिनके तोड़कर
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
सुन्दर बड़ा प्यारा
चन्दर जैसा मुखड़ा
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
कह रही है श्री मन्त माँ
आ जरा पास मेरे आ
तेरी बलाएँ ले लूँ, तिनके तोड़कर
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
चिकनी कालीं हैं
अलकें घुँघराली हैं
है पलकें तेरी, पाँखुड़ी पद्म सुन्दर
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
कह रही है श्री मन्त माँ
आ जरा पास मेरे आ
तेरी बलाएँ ले लूँ, तिनके तोड़कर
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
सुन्दर बड़ा प्यारा
चन्दर जैसा मुखड़ा
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
कह रही है श्री मन्त माँ
आ जरा पास मेरे आ
तेरी बलाएँ ले लूँ, तिनके तोड़कर
कहीं किसी की तू, खा न बैठे नज़र
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
क्या होता ?
गुरु जी जो देते दीक्षा,
ले अग्नि परीक्षा
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