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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 512

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 512

हाईकू

आ पतझड़ जीवन में सन्त,
ला देते बसन्त ।।स्थापना।।

लाये चढ़ाने नीर,
आप के जैसी रिझाने धीर ।।जलं।।

लाये चढ़ाने गंध,
आप के जैसा पाने आनन्द ।।चन्दनं।।

लाये चढ़ाने अक्षत,
आप सा पद पाने शाश्वत ।।अक्षतं।।

लाये चढ़ाने गुल,
हो जाने आप सा बिलकुल ।।पुष्पं।।

लाये चढ़ाने व्यंजन,
आप सा हो पाने सज्जन ।।नैवेद्यं।।

लाये चढ़ाने दीव,
आप के और आने करीब ।।दीपं।।

लाये चढ़ाने धूप,
आप सी कला पाने अनूप ।।धूपं।।

लाये चढ़ाने श्रीफल,
आप जैसा हो पाने निश्छल ।।फलं।।

लाये चढ़ाने अरघ,
आप सा हो पाने अनघ ।।अर्घ्यं।।

हाईकू

नाक को कुछ दे उठा,
गुरु-द्वार
गंधी की दुकाँ

जयमाला

तेरा दीदार
दिलाये करार
ये नैन इनको
बेचैन मन को
बेशुमार
दिलाये करार
तेरा दीदार

तस्वीर में भले किया हो
मेरी तकदीर में यही लिखा हो
तेरा दीदार
तस्वीर में भले किया हो
ये नैन इनको
बेचैन मन को
बेशुमार
दिलाये करार
तेरा दीदार

ख्बाव में भले किया हो
मेरे नसीब में यही लिखा हो
तेरा दीदार, ख्बाब में भले किया हो।
ये नैन इनको
बेचैन मन को
बेशुमार
दिलाये करार
तेरा दीदार

किसी सूरत में भले किया हो
मेरी किस्मत में यही लिखा हो
तेरी दीदार, किसी सूरत में भले किया हो
ये नैन इनको
बेचैन मन को
बेशुमार
दिलाये करार
तेरा दीदार
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

हाईकू

की क्षणेक भी,
संगत सन्तों की,
दे बना सन्तोषी

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