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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 309

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 309

==हाईकू==
इधर
ली जो उँठा नजर,
गये हम तो तर ।।स्थापना।।

स्वीकारो, गुरु केशरी !
लाये भरी जल गगरी ।।जलं।।

स्वीकारो, गुरु केशरी !
ये गगरी चन्दन भरी ।।चन्दनं।।

स्वीकारो, गुरु केशरी !
गहरी, धाँ परात निरी ।।अक्षतं।।

स्वीकारो, गुरु केशरी !
रत्न जड़ी, थाल पाखुँडी ।।पुष्पं।।

स्वीकारो, गुरु केशरी !
थाल भरी, चरु मिसरी ।।नैवेद्यं।।

स्वीकारो, गुरु केशरी !
सुनहरी, ज्योत विरली ।।दीपं।।

स्वीकारो, गुरु केशरी !
गंध निरी, चन्दन चूरी ।।धूपं।।

स्वीकारो, गुरु केशरी !
फल भरी, थाल गहरी ।।फलं।।

स्वीकारो, गुरु केशरी !
थाल निरी, द्रव्य सबरी ।।अर्घ्यं।।

==हाईकू==
एक है
आप वाणी
माँ आप्त वाणी
दिल नेक है

।। जयमाला।।

बारी-बारी जाऊँ मैं
आज गुरु जी, म्हारे आँगना पधारे हैं ।
बारी-बारी जाऊँ मैं
आज उतरे जमीं चाँद और तारे हैं ।
आज गुरु जी, म्हारे आँगना पधारे हैं ।

आओ ‘री आओ सखियों
मिल के दीप बालें हम
मिल के गीत गा लें हम
आओ ‘री आओ सखियों
बारी-बारी जाऊँ मैं
आज गुरु जी, म्हारे आँगना पधारे हैं ।

आओ ‘री आओ सखियों
मिल के पग थिरका लें हम
मिल के गीत गा लें हम
आओ ‘री आओ सखियों
बारी-बारी जाऊँ मैं
आज गुरु जी, म्हारे आँगना पधारे हैं ।

आओ ‘री आओ सखियों
मिल के ढ़ोल बजा लें हम
मिल के गीत गा लें हम
आओ ‘री आओ सखियों
बारी-बारी जाऊँ मैं
बारी-बारी जाऊँ मैं

।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

==हाईकू ==
खो जाते ताव व तनाव
पा गुरु की छत्र छाँव

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