परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 296
==हाईकू==
आ गुरु गुण-गान गाते,
बदले वक्त, बताते ।।स्थापना।।
उदक लाये,
गुरु जी गुणी, आप-सा होने आये ।।जलं।।
चन्दन लाये,
गुरु जी शमी, आप-सा होने आये ।।चन्दनं।।
तंदुल लाये,
गुरुजी यमी, आप-सा होने आये ।।अक्षतं।।
कुसुम लाये,
गुरुजी दमी, आप-सा होने आये ।।पुष्पं।।
व्यंजन लाये,
गुरु जी जयी, आप-सा होने आये ।।चन्दनं।।
दीपक लाये,
गुरुजी सुधी, आप-सा होने आये ।।दीपकं।।
सुगन्ध लाये,
गुरुजी सुखी, आप-सा होने आये ।।धूपं।।
श्री फल लाये,
गुरु जी वशी, आप-सा होने आये ।।फलं।।
अरघ लाये,
गुरुजी भवि, आप-सा होने आये ।।अर्घ्यं।।
==हाईकू==
‘माँ को मनाने सा,
गुरु-गुणगान सरल बड़ा’
।। जयमाला।।
मुस्कान गुरु जी की,
अब मुझे हर दिन, मिल जायेगी,
मिसरी वाण गुरु जी की,
मैंने गुरुदेव चरणों से,
ली लगा लगन, ली लगा लगन
पर पीर देख,
‘कि बनें दृग् झरनों से ।
ली लगा लगन, ली लगा लगन
मैंने गुरुदेव चरणों से ।।
छत-छाँव गुरु जी की
अब मुझे हर दिन, मिल जायेगी,
रज-पाँव गुरु जी की,
मैंने गुरुदेव चरणों से,
ली लगा लगन, ली लगा लगन
न कर चले मन,
‘कि होड़ हिरनों से ।
ली लगा लगन, ली लगा लगन
मैंने गुरुदेव चरणों से ।।
नजर एक गुरु जी की,
अब मुझे हर दिन, मिल जायेगी,
बिन्दु अभिषेक गुरु जी की,
मैंने गुरुदेव चरणों से,
ली लगा लगन, ली लगा लगन
आवीची मरणों से
बचने भव भ्रमणों से ।
ली लगा लगन, ली लगा लगन
मैंने गुरुदेव चरणों से ।।
।। जयमाला पूर्णार्घ्यं ।।
==हाईकू==
जाँ को लौटाने सा,
गुरु गुण गान,
कठिन बड़ा
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