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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 287

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 287

“हाईकू”
तारण-हारे
दो डाल झोली मेरी
चाँद सितारे ।।स्थापना।।

कृपा दृष्टि यूँ ही बनाये रखना,
भिंगाऊँ नैना ।।जलं।।

कृपा दृष्टि ‘कि रखना बनाये,
ले चन्दन आये ।।चन्दनं।।

कृपा-दृष्टि यूँ ही बनाये रखना सदा,
भेंटूँ धाँ ।।अक्षतं।।

भिंटाऊँ पुष्प नाना,
कृपा-दृष्टि ‘कि पाऊँ रोजाना ।।पुष्पं।।

कृपा दृष्टि यूँ ही रोज जाये बरस,
भेंटू षट्-रस ।।नैवेद्यं।।

दीप चढ़ाऊँ,
कृपा दृष्टि तेरी ‘कि रोजाना पाऊँ ।।दीपं।।

भेंटूँ सुगंधी,
कृपा तेरी बरसे ‘कि रोज यूँ ही ।।धूपं।।

कृपा दृष्टि यूँ ही ‘कि बरसे कल,
भेंटूँ श्री फल ।।फलं।।

अर्घ्य भेंटूँ,
‘कि पुण्य-आहार-आप फिर समेटूँ ।।अर्घ्यं।।

*हाईकू*
‘चेहरे पे न चढ़ाये चेहरे,
है आप विरले’

।। जयमाला।।

।। सुत श्री मन्तो ।।

गुरु जयवन्तो ।
पुरु जयवन्तो ।।
कवि जयवन्तो ।
भवि जयवन्तो ।।
जय जयवन्तो ।
सुत श्री मन्तो ।।१।।

यति जयवन्तो ।
व्रति जयवन्तो ।।
प्रभु जयवन्तो ।
विभु जयवन्तो ।।
जय जयवन्तो ।
सुत श्री मन्तो ।।२।।

सिध जयवन्तो ।
बुध जयवन्तो ।।
मुनि जयवन्तो ।
गुणि जयवन्तो ।।
जय जयवन्तो ।
सुत श्री मन्तो ।।३।।

जप जयवन्तो ।
तप जयवन्तो ।।
ऋष जयवन्तो ।
जश जयवन्तो ।।
जय जयवन्तो ।
सुत श्री मन्तो ।।४।।

।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

*हाईकू*
अन्त-अन्त में यही प्रार्थना,
छोड़ देना साथ ना ।

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