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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 262

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 262

हाईकू
‘गैय्या गोपाला
‘नुति शाने-हिन्दुस्ताँ’
छैय्या गौशाला ।।स्थापना ।।

बनने आप-मन-से आये,
जल-निर्मल लाये ।।जलं।।

खोने आप-सा मिथ्यात्व आये,
घिस चन्दन लाये ।।चन्दनं।।

गोने आप-सा स्वानुभौ आये,
सित अक्षत लाये ।।अक्षतं।।

दलने आप-सा ‘मार’ आये,
चुन-सुमन लाये ।।पुष्पं।।

करने आप-सा क्षुध् जै आये,
सुधा-पकवाँ लाये ।।नैवैद्यं।।

बनने आप-सा धी वाँ आये,
घी का प्रदीवा लाये ।।दीपं।।

ध्याने आप-सा चिद्रूप आये,
धूप-अनूप लाये ।।धूपं।।

निराकुलता आप-सी भाये,
फल-विरल लाये ।।फलं।।

चलने आप पथ पे आये,
अर-अरघ लाये ।।अर्घ्यं।।

*हाईकू*
‘आते छोड़ के काम सारे,
सुना ! गो-पालन हारे !

।। जयमाला ।।

‘कलि’ गैय्या के कन्हैया |
मुख चाँद की-सी छैय्या ।।
मुस्कुरा दो एक बार,
तो मैं नाचूँ ता-था-थैय्या |

‘कलि’ गैय्या के कन्हैया |
नेक किस्मते तरैय्या ।।
दो नजरियाँ एक डार,
तो मैं नाचूँ ता-था-थैय्या ।।

‘कलि’ गैय्या के कन्हैया |
खोजा जग दूजा नैंय्या |।
धरा, सिर धरा दो भार ।
तो मैं नाचूँ ता-था-थैय्या ।।

‘कलि’ गैय्या के कन्हैया |
मेरी नैय्या के खिवैय्या ।।
जो कर दो बेड़ा पार ।
तो मैं नाचूँ ता-था-थैय्या |।

‘कलि’ गैय्या के कन्हैया |
मुख चाँद की-सी छैय्या ।।
मुस्कुरा दो एक बार,
तो मैं नाचूँ ता-था-थैय्या |
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

*हाईकू*
क्या चाहूँ ?
तो मैं चाहू
आत्म-विहारी,
गोद-तिहारी ।।

 

 

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