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कविता

कविता- शिक्षक दिवस

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

(१)
छूने में आ जाता आसमान
गुरु जी को देते ही मान

(२)
पतंग जा पहुँचे गगन
बस गुरु जी के छूने चरण

(३)
खुशी के आँसु लिख दिये मेरे नाम
जय जय गुरुदेव
गुरुदेव प्रणाम

(४)
कम ना जादू मन्तर
मेरे गुरुदेव ने उठाई क्या ?
अपनी एक नजर
अंधेरा छू मन्तर

(५)
बच्चों की गुस्ताखी
गुरु जी भगवान् से
माँगते माफी
सार्थक नाम जो हैं
गुरु मतलब गंभीर
जी मतलब जिया
भगवान् आपने मुझे
गुरुजी से मिलाया शुक्रिया

(६)
शिक्षक दिवस मतलब
हाथों का श्री फल
आँखें सफल
भगवान् से प्रार्थना
‘के गुरु जी को लग जाये
मेरी भी उमर
शरद् शत जीवेत गुरुवर

(७)
जिस किसी से
लोहा लेने खड़ा रहता था मैं
बदल पाया अपने आपको
देख देख तुम्हें
ओ ! हो तुम बड़े गुरु की
पारस पत्थर को तो छूना पड़े गुरुजी

(८)
जुग पाँव छुआ
‘के काम हुआ
शुभ मुहूरत गुरुजी
करुणा की मूरत ही दूजी
मुझे देखते ही
पढ़ने लगते दुआ

(९)
अंधेरा दूर करते
गुरुजी चिराग हैं
तेरा-मेरा न करते
गुरुजी बेदाग हैं

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