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आरती

आचार्य श्री आरती-25

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

==आरती==

भव सागर तट धरें ।
गुरुवर संकट हरें ।
आओ आरति करें ।।

ओजस्वी हैं गुरुवर ।
तेजस्वी हैं गुरुवर ।
गुरुवर मनस्वी हैं,
तपस्वी हैं गुरुवर ।।
दीवाली घृत भरें ।
आओ आरति करें ।
भव सागर तट धरें ।
गुरुवर संकट हरें ।
आओ आरति करें ।।१।।

तरु-मूल खड़े बरसा ।
चौराहे शीत निशा ।
गिर शिखर ग्रीष्म ठाड़े,
जब तपे रश्मि-सहसा ।।
दीवाली घृत भरें ।
आओ आरति करें ।
भव सागर तट धरें ।
गुरुवर संकट हरें ।
आओ आरति करें ।।२।।

पर पीर देख चीखें ।
हित स्वपर लगे दीखें ।।
सुख चाह निराकुल ले,
सिख…लाते नित सीखें ।।
दीवाली घृत भरें ।
आओ आरति करें ।
भव सागर तट धरें ।
गुरुवर संकट हरें ।
आओ आरति करें ।।३।।

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