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चालीसा

नाम के मतलब

खूबसूरत ही नहीं
बड़ा ही प्यारा नाम है ‘रीना’
सुनो
इस नाम का अर्थ समझने से पहले
सचिन का अर्थ समझते हैं हम
सत् + इन
मतलब सत्य का स्वामी
ठीक इसी तरह ‘रि’ यानि ‘कि लक्ष्मी
और ‘इन’ मतलब स्वामी, अधिपति
दोनों को मिलाकर के
एक सार्थक शब्द बना ‘रीन’
अब इस पुल्लिंग शब्द से
जैसे अमृत से अमृता
कमल से कमला बना
वैसे ही स्त्रीलिंग शब्द बनता है ‘रीना’
अर्थात् कुल मिला करके
इस अद्‌भुत शब्द का
सहजो निराकुल अर्थ हुआ
ऐसी बच्ची जो सिर्फ खनखनाते
सोने चाँदी के सिक्कों की हीं नहीं
ज्ञान, स्वाभिमान
भावना विश्व कल्याण की भी
स्वामिनी होगी
ओर दाहिने तिल धनी होगी
नेकदिल सर्व जन सामान्य
माननीय होगी

ज़र्रा
ध्यान दीजिएगा
मात्राओं की हेर फेर से
एक नया ही अर्थ सामने आता है
री…ना
रा…नी
अर्थात्
इस नाम की बच्ची के जीवन में
कभी कोई अभाव नहीं रहेगा
राज करेगी सारी दुनिया के दिल पर
यह बच्ची
गुण तो सार्थक नाम रहेंगे
मतलब गुणित क्रम से वृद्धि करते हुए

एक अर्थ और दृष्टिगोचर होता है
इस दिव्य शब्द के अक्षर पलटाते ही
री…ना
ना…री
न यानि ‘कि नहीं
अरि यानि ‘कि शत्रु, दुश्मन
मतलब जिसके चेहरे पर कभी भी
शिकन नहीं आयेगी
जो अपने पराये सभी के काम आयेगी
सपने में भी जिसकी आँख
ललाई नहीं छूती होगी
जो दुनिया में अपने जैसी इक होगी
अनूठी होगी
यदि आप सुनना ही चाहते हैं
एक शब्द में
तो मेरा जबाब है
जो यूनिक होगी
ओम्

यह नाम
सुन्दर, खूबसूरत,
नायाब, बेनज़ीर अद्भुत आदि आदि
शब्दों का मुँहताज नहीं है
चूंकि इस नाम के अक्षर अक्षर
स्वयं बोलते हैं
नील
सुनील यानि ‘कि नीला रंग
रंग श्यामल जो श्री कृष्ण का था
सुनते हैं प्रत्येक गोपिका
इन्हें अपना सब कुछ बनाने का
सपना देखती थी
मतलब तेजोमय मनहार रंग
सच खुशबू तो किरदार से आती है
खूबसूरती रंग गोरे से नहीं
गौरी परिणति से आती है
अर्थात् जो बच्ची गाय के जैसी
सहजो सरल होगी
छल कपट से कोश दूर
कोहनूर फीका होगा इसके आगे
मुगलों के यहाँ का कीमती कंकड़
लेकिन भारत धरा
प्रतिभा रत वसुन्धरा
रत्न, मणिंयाँ और तो छोड़िये
एक सार्थ नाम नीलम ही ले लीजिये
जो शब्द नीलाम के
पाये मतलब पैर खींचने में सक्षम है
जिन पर नीलाम का हवामहल
खड़ा रहता है
मतलब सीधा सीधा है
यह बच्ची
सक्षम यानि ‘कि
क्षमा से सहित होगी
इस बच्ची की आंखों में
लाज-शरमो-हया तैरती दिखेगी
रगों में करुणा बहती दिखेगी
चूंकि अपने नाम में यह बच्ची
मॉं जो पीछे लगाये है
माँ जैसी औरों के लिये मर मिटना
इसे किसी विद्यालय में ले जाकरके
सिखलाना न पड़ेगा
खुद खा लेगी मात
लेकिन अपने साथ जो
आश विश्वास बन करके
दामन थामे पीछे पीछे चल रहे हैं
उनकी फतह वाली पताका
पहराने में कोई कसर
न छोड़ेगी यह बच्ची

आखर पलटाते ही
एक कुछ हटके अर्थ आता है
नी…ल… मा
मा…ल…नी
हाँ हॉं गुणों की मालनी है
इस बच्ची से मिलने के बाद
लोग चुनूँ या न चुनूँ
इस फेर में न पड़ के
सार्थ नाम ‘गुण’ देखकर गुन लेंगे
और धीरे-धीरे माला बना करके
मॉं शारदा कण्ठ में आकर के
विराजमान हों
इस भावना से मॉं के
चरण कमलों में समर्पित करेंगे
कुल मिला के सहज निराकुल
अर्थ हुआ
नी यानि ‘कि घुटने टेकने नहीं पड़ेंगे
इस बच्ची के लिये
किसी समस्या के आगे
यह नी…लम
मतलब लम्बे इतने रखती हैं घुटने
‘के पंजो के बल खड़े होते ही
आसमान छूती है
सच नीलमा अनूठी है
ओम्

सुन्दर ही नहीं
सत्य और शिव यदि कोई नाम है
तो वो है अमन
मन का मनमानी से रिश्ता है
और शब्द अमन
बिनु पानी सब शून
ऐसा सुनकर के
पानी यानि
लाज शरमो हया रखने वाला
करुणा क्षमा, दया से भरा,
जमीन पर उतरा
एक आसमानी फरिश्ता है
मन अपना जीवन साथी फ्रेंक चुनेगा
जब चुनने का नम्बर आयेगा तब
अमन ‘फस्ट रेंक’ चुनेगा
जर्रा ध्यान से सुनियेगा
जहाँ मन का क्वांटिटी पर विश्वास है
वहाँ क्वालिटी
अमन के जीवन की श्वास है
मतलब सीधा-सीधा है
अमन एक ऐसा बच्चा है
जो दिल का सच्चा है
सब कुछ आता है जिसे
एक दिखावा छोड़कर
यह बच्चा ऐसा वैसा नहीं
रखता है सभी लोगों को जोड़कर
मीठा जो बोलता है
घोलता है अमृत फिजाओं में
शब्द के आगे लगा रक्खा
‘अम’ शब्द अमृत का प्रतिनिधित्व
जो कर रहा है
इसने अपने किरदार से
कभी जहर घोला हो फिजाओं में
और तो छोड़िये
राम को भी याद नहीं होगा
बगले झाँकता है
अमन के आगे
यह तकिया कलाम
‘के राम जाने
रिश्तों के धागे
भले कच्चे
पर इसने कभी
दो टूक न होने दिये
दीये बुझते हाथों की ओट देकर के
पश्चिमी आँधिंयों में भी संभाल रक्खें हैं इसने
और तो और अपने अक्षर पलटाकर
चैनोअमन शुकूनेशाम
के राज पर से पर्दाफाश भी करता है
अ…म…न
न…म…अ
‘के बन चालो आँख नम
नम्र विनम्र विनीत
और पालो जीत
ओम्

बड़ा प्यारा ही नहीं
कुछ हटके
अद्भुत न्यारा ही
नाम है आकाश
‘आ’ मतलब नहीं
काश यानि ‘कि विस्मय
खेद सूचक शब्द
मतलब सीधा सीधा है
ऐसा बच्चा
जिसे काश कहने की
आवश्यकता ही नहीं पड़ती है
‘के काश !
मेरा ये काम बन जाता
काश ! मैं छू गगन आता
इतना काबिल जो है
इन्सां नेकदिल जो है
मिश्री और इसकी जुबान की
बड़ी गहरी दोस्ती है
मन परिणति इसकी
फिर अपने बारे में
पहले अपनों के बारे में जो सोचती है
सुनो,
है एक सहजो सरल अर्थ भी
आका…सा
अर्थात् क्या हुक्म है मेरे आका
जिसे सपने में भी न कहना पड़ा कभी
आका जो है
‘क’ के पास होने ‘ख’
रखते ही एक चमत्कृत
कर देने वाला अर्थ देता है
आखा…सा
मतलब
आँख के जैसा कीमती
सिर्फ भेष कीमती ही नहीं
वेश कीमती भी है शब्द आकाश
‘वेश’ की मती जो रखता है
यानि ‘कि नींव के पत्थर जैसा
न ‘कि सिर्फ ऐसा वैसा
जो आखर पलटते ही खोलता है राज
अ…क…श
श…क…अ
और पहले ही बतला चुके है
‘आ’ मतलब नहीं
यानि ‘कि
शक का
इस नाम के बच्चे के पास है ही नहीं
कोई भी काज
आईने सा पारदर्शी जीवन होगा इसका
अलग ही महकेगी
खुशबू फिजाओं इसकी
बहार बिछायेगी फूल राहों में इसकी
बच्ची बड़ा अद्भुत नाम है आकाश
ओम्

दुनिया भर के अद्भुत नामों में से
कोई एक नाम चुनने की यदि कहेगा
तो बुध जो नाम चुनेगा
वह होगा शैप्पी
चूंकि इस जैसा कोई दूसरा नाम
है भी तो नहीं
हाँ हाँ क्या इस जहाँ में
उस जहाँ में भी

सम यानि ‘कि समान
‘प’ यानि ‘कि रक्षा करने वाले जन
अर्थात् रक्षक के जैसी है यह बच्ची
अपनी जान की बाजी लगाकर भी
अपनों की रक्षा करने में
पीछे नहीं हटेगी
अपनी आँखों में
करुणा का सागर रक्खेगी
और दूसरों की आंखें गीली देखकर
झिर लगा देगी सावन भादों के जैसे
कोई इसका चेहरा पढ़ न पायेगा
झुकी झुकी जो रक्खेगी अपनी नजरें
ये बच्ची खूब जानती होगी
दिल में जाने का द्वार तो रहता है
निकलने का नहीं
दिल को तोड़कर के ही
कोई बाहर आ सकता है
इसलिये किसी को आंखों के रस्ते
दिल में उतरने ही नहीं देगी
हाँ उतर सकते हैं
सहज निराकुल सन्त
महन्त भगवन्त

एक बड़ा प्यारा अर्थ
और कण्ठ तक भिजा रहीं हैं
मॉं शारदा
मैं व्याख्या करने का प्रयास करता हूॅं
शम्पा यानि ‘कि बिजुरी
ई की मात्रा लगाते ही
यह नाम उपदेशात्मक बन चलता है
शिक्षाप्रद हो चालता है
चलता फिरता मदरसा कोई नाम है
तो वह है शैम्पी
‘के संसार शरीर और यह विषय भोग
बिजली की चमक के जैसे क्षणभंगुर हैं
बाद में फूटेगा पानी का बुलबुला
ये पहले फूट चलते हैं
ऐसा देखकर के
यह बच्ची संयमित रहेगी
अपने मुँह मिया मिट्टू बनना
इसे न आयेगा
औरों की प्रशंसा के पुल बाँधने में
इसका कोई सानी नहीं होगा
हर व्यक्ति इससे दो बातें करने
के लिये लालायित रहेगा
लेकिन ये बच्ची किसी को
न ही मुॅंह लगायेगी
और न ही मुॅंह लगेगी किसी के
ऋषि के नक्शे कदम पर
जो बढ़ायेगी कद‌म
एक अर्थ और देता हूँ
सम…पी
पी…अर्थात् प…ई
पा…ई सम यानि ‘कि शम यम दम
मतलब सीधा सीधा है
इस बच्ची के लिए
रुपये पैसे से बढ़के समता होगी
बड़े से बड़े समस्याओं के पहाड़
यह समता से
चुटकिंयों में उलॉंघ लेगी
यम मतलब यत्नाचार से रहेगी
दम मतलब
इन्द्रिय दमन इसके
बायें हाथ का खेल होगा
सच मीठा ही नहीं
बड़ा अनूठा नाम है शैप्पी
ओम्

दुनिया का सबसे खूबसूरत
नाम है सारिका
जिसमें
‘स’ शक्ति का वाचक है
‘र’ लक्ष्मी का वाचक है
और ‘क’ यानि कि ब्रह्मा
चूंकि ‘का’ स्त्रीलिंग होने से
ब्रह्मा से संबंध रखने वाली
मॉं सरस्वती का वाचक है
मतलब सीधा सीधा है
इस नाम की बच्ची के ऊपर
सदैव दैवीय कृपा रहेगी
और दैवीय किरपा
अपने आप न बरसेगी
यह बच्ची होगी लायक इसके
कूट कूट के भरे होंगे गुण इसमें
इसे याद ही नहीं होगा
चुगली का जायका

हाँ चटखारे लेते हुये
खूब चट करेगी गम्म यह बच्ची
अदम्य साहस से जो भरी होगी
दिखने में बड़ी ही खूबसूरत
दूसरी ही परी होगी
शरम रखेगी आँखों में
दया धरम रखेगी
न सिर्फ बातों में ही
हाथों में भी
वैसे हाथ कंगन को आरसी क्या
और पढ़े लिखे को फारसी क्या
अक्षर अक्षर इस नाम के
स्वयं ही बोल रहे हैं
सारी
यदि पूछते हैं क्या
तो
जबाव आता है ‘क’ मतलब कक्षायें
माँ के पेट से ही
सीख कर आयेगी यह बच्ची
पाठ शाला में ऐसी
दूसरी बाला न होगी
सॉरी शब्द इसकी डिक्शनरी में
होगा ही नहीं
परीक्षा में यदि दश सवालों में से
कोई पाँच सवाल ऐच्छिक होंगे
तो यह बच्ची
दशों सवाल हल करके
परीक्षक से कहेगी
कोई भी पाँच सवाल जाँच लीजिये
मतलब प्रत्युत्पन्नमति होगी यह बच्ची

माँ सरसुति
एक बड़ा ही चमत्कृत अर्थ
भेज रहीं है मेरी जिह्वा तक
उसे भी सुनियेगा
बस मात्राएं अलग करके पढ़ना है
और इसी नाम के पीछे
फूॅंद शब्द रखना है
सो अब नया शब्द अवतरित हुआ वह है
सरक-फूॅंद
मतलब यह बच्ची
रिश्तों के कच्चे धागों में
वैसे तो गॉंठ देगी ही नहीं
यदि कभी लगा चली तो सरक-फूॅंद
वाली गाँठ देगी
ताकि जब चाहे खोल सके
सच इस बच्चे का जीवन
सार…का होगा
एक अर्थ और देता हूँ
स…र फिर ‘क’ अक्षर कह रहा है
‘के ‘क’ वर्ग का मेरी जगह का
तीसरा अक्षर बिठा लो
सो शब्द बना स…र…ग
और पता है संस्कृत में
म् स्वयम् लग जाता है
सो बना शब्द
स…र…ग…म
मतलब इस बच्ची के बोल
अनमोल होंगे
ओम् 

प्यारा ही नहीं,
बड़ा मीठा नाम है दृष्टि
दृश्
यानि ‘कि आँख
टी… ती यानि ‘कि तीसरी
मतलब सीधा सीधा है
वह बच्ची जिसकी भीतरी
तीसरी आँख खुली हो
जो अपने मम्मी पापा को
दीया लेकर के खोज करने पर मिली हो
मतलब सबकी चहेती है जो
अपनी दादी का चश्मा
अपने दादू की लाठी है जो
इसका दुनिया में अवतार
करिश्मे से कम नहीं
खुद के लिये कभी इसने
अपनी आँखें की नम नहीं
पीर पराई देख रोने जो बैठ जाती है
गोट बैठाने दूसरों की
जो हद से गुजर जाती है
ऐसी सबसे सुन्दर बच्ची है दृष्टि
एक अर्थ अनमोल
और दे रही है माँ सरसुति
कण्ठ में विराज कर स्वयं कह रहीं है

‘के The सति
यह बच्ची नीची नजरें रखेगी
हृदय तक जाने का रास्ता
जो नजरें है ना
उनसे गुजर अजनबी कोई
इसके दिल को न छू पायेगा
हाँ इसकी हर नेकी
लोगों के दिलों को जरूर छू जायेगी
वचनों में मिसरी जो घोलेगी
कम ही बोलेगी
पर लोगों को याद रह जायेगा
ऐसा बोलेगी
हाँ हाँ बोलने है पहले जो तोलेगी
दृष्टि मतलब आंख
आपने सुना ही होगा
‘आखा इंडिया जानता है’
सो इस बच्ची के गुण
पूरे भारत भर में छा जायेंगे
दृष्टि यानि ‘कि नजर
यह बच्ची किसी को भी
नजर न लगायेगी
हाँ इस बच्ची के दिखते ही
काली नजर
नौ दो ग्यारह जरूर हो जायेगी
एक अर्थ और निकल सकता है
बस ‘आ’ आगे रखना है
‘के आ… दरश थी
यह बच्ची आदर्श थी, है, और रहेगी
लोग इस बच्ची से
बहुत कुछ सीखेंगे
इस बच्ची के लिये
मदरसे जाने की
कोई आवश्यकता ही नहीं है
इसकी माँ ने लोरिंयों में ही
घोल घोल नसीहतें
गर्भ में ही पिला दी होगीं
सच
इस बच्ची का कोई जबाव नहीं होगा
इस बच्ची जैसा
बगिया में कोई गुलाब नही होगा
ओम्

शायद ही इस नाम के जैसा
दूसरा नाम हो धरती पर
बड़ा ही प्यारा नाम है रक्षा
र + अक्षा
अर्थात ‘र’ रक्षा में
तत्पर रहेगी यह बच्ची
अक्ष यानि ‘कि आंखों की
पलकें पल भर के लिये खोलेगी
फिर हो लेगी भीतर
कछुये के माफिक
मतलब सीधा सीधा है
झुकी झुकी नजरों की धनी होगी
दूसरी ही माटी से देह इसकी बनी होगी
बड़ी खूबसरत होगी यह बच्ची
इस बच्ची के कान
किसी की भी बुराई सुनना
पसंद न करेंगे
इस बच्ची की आँख
बुरा देखना न चाहेगी
इस बच्ची के हाथ
काले कारनामों से न रगेंगें
इस बच्ची के पाँव
नेकी के रास्ते पर बढ़ेंगे
यह बच्ची अपनी नाक पर
गुस्से का,
चश्मे का भार न रखेंगी
इसके गालों पर मोती तो रहेंगे
पर दूसरों को पीड़ा देखकर
मतलब धरती की परी होगी यह बच्ची
दिल की सच्ची होगी यह बच्ची
अपनी आँखों पर
लगाम लगाकर जो रखेगी
अपने हाथों को
श्रीफल बनाकर सिर माथे से
लगाकर जो रक्खेगी
यानि ‘कि
सबके काम बनाने के लिए
सहर्ष तैयार
बदले में कुछ लेगी
तो बस अशीष
और परोपकार करती रहेगी निशिदीस

एक बड़ा प्यारा सा अर्थ
और दे रहीं हैं
मॉं सरसुति मुझे
आप कहे तो सुनाऊॅं
अच्छा ठीक है सुनियेगा
‘र’ यानि ‘कि धन
‘क्ष’ यानि ‘कि क्षत्रिय पना
यह बच्ची दब्बू या डरपोक न होगी
लड़ चलेगी, भिड़ चलेगी
न्याय के लिये
अन्याय इसकी आंखों में सपने भी
न झलक पायेगा
कंधे से कंधा देकर
कोई इसके साथ खड़ा न भी हो भले
फिर भी यह बच्ची अंधेरे पर हावी रहेगी
रोशनी का पर्यायवाची नाम बन करके
छा जायेगी धरा पाताल गगन में
इस बच्ची के नाम के आगे
बस ‘सु’ अक्षर जोड़ना है
और सुर के बाद क्षा पढ़ना है
सुर…क्षा
मतलब छा जायेगी
सुरों के लोक में यह
सुर इसके सरगम से जो निकलेंगे
सारी दुनिया के ग़म
सर अपने जो उठा कर रक्खेगी
अक्षर पलटाते ही
एक बड़ा ही अचरजकारी अर्थ देता है
यह नाम
र…क्षा
क्षा…र
सुनिये
जिस क्षार के माध्यम से
हंस दूध पानी में से दूध के थक्के
चट कर जाता है
और पानी छोड़ जाता है
वह अद्भुत कला इस बच्ची के लिए
किसी मदरसे से नहीं
अपनी मदर से ही मिली होगी
लोरिंयों के साथ
सच पूछो तो
इस बच्ची की अद्भुत ही है
कुछ बात
ओम्

दुनिया में अपने जैसा
एक नाम है निकिता
निकी नेकी जिससे
ता कहती रहती है पल-पल
आपने देखा ही नहीं
साक्षात् अनुभव भी किया होगा
हम सभी के बचपन का वाकया जो है
अपनी अपनी मम्मी
दीवाल की ओट लेकरके
जर्रा सा चेहरा निकाल
ता करती हुई किसको याद नहीं है
सो हर किसी को याद शेष
यह ‘ता’ जिसके जीवन में विशेष
बन करके रहेगा
जिसके दिल में दरिया बहेगा
ऐसा वैसा नहीं नेकी का
वह दुनिया में
सबसे सुन्दर बच्ची है निकिता
जिसे मदरसे जानें की
आवश्यकता नहीं है
सभी मानवोचित शिक्षाएँ
पेट से ही अपनी मदर से लेकर के
धरती पर भगवती स्वरूप अवतरी है
मतलब सीधा सीधा है
करुणा दया क्षमा से
जो मुख तलक भरी है

एक जर्रा हटके भी अर्थ है
यदि आप ‘हओ’ कहें,
तो सुनाने की हम भी ‘हओ’ भरें
चूँकि थोड़ी जोड़ तोड़ वाला अर्थ है
पर बड़ा निराला अर्थ है
बस निकिता के आगे
शब्द यू रखना है
और ‘ता’ के लिये था पढ़ना है
‘के यूनिक था
कौन ? हाँ हाँ तू
पर जब से यह नाम पड़ा
तब से वह बच्ची है
अकेली यूनिक
सच
निकिता अलबेली
और पलटते ही अक्षर
एक नया अर्थ होता है दृष्टिगोचर
न…क…ता
ता…क… ना
यह बच्ची न तो तॉंकना झाँकना करेगी
और न ही किसी को
ठगने का भाव रखकरके
ताँक लगाये बैठी मिलेगी
मतलब
भगवान् ने यह बच्ची
दूसरी ही माटी से विरची है
ओम्

खूबसूरत ही नहीं
बड़ा प्यारा नाम है पिंकी
‘प’ मतलब रक्षा करने वाले लोग
‘क’ मतलब कतार उनकी जो
उसमें यह बच्ची
सबसे अब्बल नजर आयेगी
यानि ‘कि शेर दिल होगी निडर
दूसरी पाठशाला की दूसरी ही कक्षा में
जो ले रही होगी शिक्षा
जानती ही होगी डर से आगे जीत है
जो डर गया
वो मर गया
इसलिये समस्या इसके पास
देर न टिकेगी
टेकेगी घुटने अपने जल्द ही
समस्या इसके आगे
यह बच्ची
जागृत सहज जो रहेगी पल-पल
एक बड़ा ही अद्भुत अर्थ और है
पीकी
पीकना मतलब फल देना
यानि ‘कि सफल
इस बच्ची के कदम चूमेगी मंजिल
मंजुल जो होगी
इसके मुख से निकले बोल
गुल जैसे
खुशबू जो बिखेरेगे चारों तरफ
यही बच्ची सिरफ
छायेगी आसमान में
कभी भी विष जो न घोलेगी
किसी के कान में
मेरे भगवन् गुरुदेव
एक अर्थ और मेरे ज़ेहन में
भिंजा रहे हैं उसे भी सुनियेगा
प…ई ‘पाई’ यानि ‘कि पैसा
नकी यानि ‘कि नेकी
यह बच्ची पैसा
किसी और धन-दौलत-शोहरत
को न मान करके
नेकी को अपना सर्वस्व मानेगी
मतलब सीधा सीधा है
करुणा दया, क्षमा की
जीती जागती मूरत होगी
शुभ मुहूरत होगी
सुबह सुबह जिसे दिख चलेगी
उसका बिगड़ता भी काम बन चलेगा
चलते चलते एक अर्थ और
बतलाने के लिये
मॉं सरसुति बाध्य कर रहीं हैं मुझे
‘के पिन की
पिन बालों का भी होता है
पिन साड़ी का भी होता है
सो इन्हें संयमित रखने के
काम जो आता है
मतलब यह बच्ची
स्वयं तो संयमित रहेगी ही
और इसे देखते ही
जैसे खरबू‌जे को देखकर के
खरबू‌जा रंग बदलता है
‘वैसे सामने बाला भी पिघल जायेगा
यानि ‘कि
सारा जहान
इस बच्ची का जश गायेगा
ओम्

सारी दुनिया में
इस नाम से बढ़ करके
कोई नाम नहीं है
किसी भी नाम के आगे इसे लगा लो
और अपनी झोली में चार चाँद पा लो
वैसे शब्द बड़े ही कीमती होते हैं
पर इस नाम के साथ जुड़कर के
बेशकीमती हो जाते हैं
यानि ‘कि
इस नाम की बच्ची
मिलनसार होगी
इस बच्ची को झगड़ना छोड़कर के
सब कुछ आता होगा
चेहरे पर एक मीठी मुस्कान के बोझ से
इस बच्ची की आँखें ही नहीं
शंखावर्त वाली गर्दन भी
कुछ झुकी झुकी रहेगी
रमा, उमा यहाँ तक ‘कि
शारद माँ भी
इसकी शालीनता देख करके
बलाएँ लेने के लिए
तिनके तोड़ते हुईं दिखेंगीं
चूंकि नाम ही खुदबखुद बोल रहा है
सह…जो
सह यानि ‘कि साथ में है
हर किसी के जो
सच देवों में तो नाम की विक्रिया है
पर इस बच्ची की हर क्रिया विशेष है
यह बच्ची दूर कोश राग द्वेष है

एक और बड़ा ही प्यारा सा
अर्थ खोलने के लिये
माँ सरस्वती मुझे धका रहीं हैं
‘के सह…ज
सह यानि साथ-साथ
‘ज’ मतलब जन्म के समय
अर्थात् जैसे निर्विकार
हम जन्म के समय रहते हैं
वैसा धवल चारित्र
धारने वाली होगी यह बच्ची
जीवन पर्यन्त
साध्वी या गृहस्थ सन्त
बन के गुजारेगी
जीवन अपना
सपना माँ पिता गुरुओं का
बड़े बुजुर्गों का
साकार करने में
जमीन आसमान एक कर जायेगी
जब तक जमीन पर यह बच्ची रहेगी
हवाओं को मिलता रहेगा काम
इसका सुर्ख़िंयों में छाया जो रहेगा नाम

जर्रा ध्यान से सुनियेगा
सम्बोधन सूचक शब्द ‘हे’
लगाने के बाद
सहजो शब्द रखकर के
अक्षर पलटाते ही
एक बड़ा ही आश्चर्य कारी अर्थ
उभर के आता है
देखिए
‘हे…स…ह…जो
जो है सो है
अर्थात्
“जाहि विधि राखे राम
ताहि विधि रहिए”
ले करके ये मन्त्र मनके
दिनरात फेरती रहेगी यह बच्ची
सच्ची
ओम्

खूबसूरत
बड़े ही सुन्दर नामों की कतार में
यदि कोई नाम
अव्वल नम्बर पर आता है
तो वह है मोनिका
सच यह एक ऐसी बच्ची है
जिसका मोन से नाता है
सचमुच जुबां को
बत्तीस पहरों में देख करके
थोड़ा सा भी विवेक रखने वाला शख्स
मोन से ही दोस्ती करेगा
पल पहले अपने वश में
रहने वाले बोल
मुख से निकलते ही
हमें जो अपने वश में कर लेते हैं
इसी विचार से यह बच्ची
गोल गोल न बोल कर
मोन रहने का मन बना कर रक्खेगी
भीतर से भीतर
अध्यात्म अमृत चक्खेगी
इसकी बातों में वजन होगा
यदवा तदवा न बोलने से
वचन सिद्धि जो हो चालेगी इसे
मीठी जो रहेगी इसकी वाणी
मड़राते रहेगें गुणग्राही प्राणी
इसके चारों ओर दोस्ती का हाथ लिये

दिये से दिये जलते हैं
यह नेक नेमत इसे
विरासत में मिलेगी
बपौती होगी इसकी
इसके आँख के मोती
दूसरों की पीड़ा देखकर
टपकेंगे नहीं
झिर लग बरसेंगे
चूँकि मो यानि ‘कि मोरी
निकी यानि ‘कि नेकी
कुछ कुछ मोनिका शब्द
स्वयं ही कह रहा है
मतलब
दया क्षमा, करुणा की
साक्षात् मूरत होगी यह बच्ची
और इतना ही नहीं
दिल की सच्ची भी
यदि आप पूछते हैं क्यों ?
तो ध्यान से सुनियेगा
मोनिका नाम में
एक नहीं नेक माँ हैं
पहला माँ का माँ
दूसरा ‘न’ नन नगन
यानि ‘कि महात्मा का माँ
तीसरा ‘क’ यानि ‘कि ब्रह्मा परमात्मा
सो जन्म से ही
यह बच्ची माँ, महात्मा,
परमात्मा का दिल रक्खेगी
सहजो-निराकुल
स्वर्णिम इतिहास रचेगी
ओम्

बड़ा खूबसूरत,
सबसे प्यारा,
सबसे मीठा नाम है ग्रेसी
‘ग’ मतलब गौरी
‘र’ मतलब लक्ष्मी
‘स’ मतलब सरस्वती
अर्थात् तीनों ही देविंयों के गुण
लिये होगी यह बच्ची
गाय के जैसी
सीधी साधी होगी
लक्ष्मी के जैसी
अनिंदनीय होगी
माँ सरस्वती के जैसी
अभिवन्दनीय होगी
दया क्षमा करुणा की त्रिवेणी
लहरायेगी इसके हृदय में
दूसरों के दुख में दुखी हो चलेगी
दूसरों के लिए सुखी देख कर
जलने का भाव न रक्खेगी
यदि कभी जलेगी तो दीपक की तरह
जगत् भर में रोशनी करने के लिए
एक बड़ा सुन्दर सा अर्थ और है
गिरि…सी
गरीयसी
आपने सुना ही होगा
“जननी जन्मभूमिश्च
स्वर्गादपि गरीयसी”
मतलब यह बच्ची
पर्वत के शिखर जैसी
ऊँची सोच रक्खेगी
सारी दुनिया इसे
एक परिवार के जैसी होगी
किसी को पता भी न लगने देगी
और औरों के काम बना चलेगी
अपना कर्तव्य समझकर
गरीयसी मतलब श्रेष्ठ, अव्वल नम्बर
हर क्षेत्र में
अपना एक अलग ही रुतबा
रक्खेगी यह बच्ची
कुछ हटके जो निभायेगी
अपना किरदार
ऐसा वैसा नहीं खुशबूदार
एक बड़ा अतिशयकारी अर्थ
और भिजा रहीं हैं
मॉं शारदा
ग्रे…सी
गिरा…सी
गला…सी
मतलब जैसे गला
श्वास लेने में मदद करता है
और गटकना भी गले का काम है
सो यह बच्ची अकेली ही
कई काम कर लेगी
हर फनमौला जो होगी
गला जैसा शंखावर्त लिये रहता है
बड़ा सुन्दर लगता है
मीठे सुर निकालता है
वैसे ही यह बच्ची
वाणी में मिसरी घोलेगी
अपशब्द इसके मुँह से
कभी न निकलेंगे
इंग्लिश में ‘सी’ को देखना कहते हैं
सो यह बच्ची जो आदर्श रहेगी
इसे देख देख कई लोग
अपनी कालिख दूर कर लेंगे
कुछ हटके ही होगी यह बच्ची
सच्ची ओम्

अनमोल
मीठा, खूबसूरत
बड़ा ही प्यारा नाम है क्षितिज
क्षिति पृथ्वी का नाम है
और किसे नहीं पता
ताड़ के पत्ते पत्ते तो छपा
‘के पृथ्वी और क्षमा में एका है
सो मतलब सीधा सीधा है
इस नाम का बच्चा
क्रोध से कोशों दूर रहेगा
पी जायेगा गुस्सा
क्षमा का पर्यायवाची जो होगा
क्षमा वीरस्य भूषणम्
सो शूरवीर होगा
धीर गंभीर होगा
इसका माथा शिकन का
लहर खाती शलों का
मानचित्र नहीं होगा
उन्नत हिमालय होगा
करुणा दया से झलकता
इसका उदार हृदय होगा

एक बड़ा सुन्दर का अर्थ
और भेज रहीं हैं
मॉं सरसुति मेरे कण्ठ तलक
‘के छी यानि ‘कि छुओ
‘ति’ यानि ‘कि तीन
‘ज’ यानि ‘कि जुग
कुल मिलाकर
सहजो-निराकुल अर्थ हुआ
‘के मुझे छिओ जिसमें में ताकत हो
हॉं तीन जुग यानि ‘कि
छठी का दूध तो याद आ जायेगा
लेकिन मुझ तक कोई
न पहुँच पाया है आज तक
और न हीं पहुँच पायेगा
आगामी काल में भी
मतलब
यह बच्चा गुणों में
इतना बढ़ा चढ़ा होगा
‘के रवि क्या
कवि भी इसका पार न पायेगा
हाँ हाँ कभी भी

ध्यान से सुनियेगा
एक दिव्य अर्थ और
मेरे अन्तरंग में हिलोरे ले रहा है
अक्षर पलटाते ही
कोई गुजराती भाई बोलेगा
क्षि…ति…ज
ज…ति…छै
जतन-यतन का धनी होगा यह बच्चा
संयमित मर्यादित जीवन यापन
करने के पक्ष में रहेगा
फूँक फूँक करके
जो रखेगा कदम अपने
सच
एक दिन साकार कर ही लेगा सपने
ओम्

कुछ हटके हो नाम है संस्कार
मीठा भी है बड़ा प्यारा भी है
सन् इंग्लिश में सूरज के लिए कहते हैं
सो सन् से कार यानि ‘कि कार्य
मन में तुरंत प्रश्न उठेगा हमारे
पानी को सुखाने का
फूलों को मुरझाने का
सो सुनियेगा
इसका उत्तर
आपके प्रश्न के ‘प्र’ को
संस्कार के आगे लगाने से आ जाता है
प्रशंसकार
मतलब प्रशंसा वाले सूर्य के कार्य
सुनते हैं
सूर निकलना बन्द कर दें
तो दूर दूर तक
एक अंधकार छा जायेगा
जीवन पर ही प्रश्नचिन्ह लग चालेगा
सो यह बच्चा बुझते दियों के लिये
अपने हाथों की ओट देकर संभालेगा
गिरते नन्हें-नन्हें पौधों के लिये
स्वयं लाठी बनके गढ़ चलेगा जमीन में
मतलन परोपकारी होगा
दूसरों का दुख इससे देखा न जायेगा
रो पड़ेगा जल्द ही
और सिर्फ रोता ही नहीं रहेगा
दुख बनती कोशिश
दूर कर देगा दुखियों के
एक बड़ी ही प्यारा अर्थ और है
शायद ही आपको पता हो
प्राकृत भाषा में
स, ष, श ये तीन न होकर
सिर्फ एक ‘स’ होता है
सो यह नाम भी कुछ कुछ कह रहा है
सं-सम् सकार
मतलब जिस भाषा में
सकार समान होते हैं
उस भाषा के जैसा होगा
सो प्राकृत मतलब प्रकृति से जुड़ा
प्रकृति को स्वभाव भी कहते हैं
सो यह बच्चा
बनाबटी रूप न रक्खेगा
मुखोटे ऊपर मुखोटे लगाना
इसे न आयेगा
सहजो-सरल होगा
होगा वचनों में गरल यानि ‘कि
विष किसी और के
पर यह बच्चा हो सजल नैन होगा
सारा जग इसका फेन होगा
माँ सरस्वती एक अर्थ
और भेंट रहीं हैं
ध्यान से सुनियेगा
बस अक्षर पलटाने है
सं…स…का…र
र…का…श…सं
सो ‘रे आकाश समान कोई होगा
तो यह बच्चा होगा
जिसके गुण छूने दुनिया मचलेगी
लेकिन पंछी के जैसे
लौट आयेगी शाम-शाम
कल सुबह फिर से
छूने का लेकरके
विश्वास भरोसा आश
सो यह बच्चा
अपने जैसा एक होगा
चूँकि दिल-नेक होगा
ओम्

बड़ा ही खूबसूरत बड़ा ही सुन्दर
बड़ा ही मीठा नाम है पलक
देखिये ना ‘लक’
एक इंग्लिश बर्ड
जिसे भाग्य कहते हैं
किस्मत कहते हैं
जिसके पीछे सारी दुनिया पड़ी रहती है
वह ‘लक’ इस बच्ची के पीछे पड़ा रहेगा
ऐसा कहना तो फीका सा लगेगा
चूंकि ‘प’ के पीछे
अमिट आकर जो बैठ चला है
मतलब
यह बच्ची हर क्षेत्र में आगे रहेगी
चाँदी काटेगी यह बच्ची
मिट्टी छुयेगी सोना हो चलेगा
अभाव इसके जीवन में
कुण्डली मारके बैठ चला हो
ऐसा सुनने में न आयेगा
यह बच्ची सर्वगुण सम्पन्न जो रहेगी
कीमती मुस्कान जो
रक्खेगी अपने होंठों पर
जीवन के उतार चढ़ाव
इसकी आंखें नम न कर सकेंगे
गम्भीर जो होगी यह बच्ची
एक अद्‌भुत अर्थ और है
बस ‘क’ के लिये दीर्घ पढ़ना है
जो उपदेशात्मक है
शिक्षाप्रद है
‘के पल…का भरोसा नहीं है
कोई भी इस सार्थक नाम मर्त्यलोक में
अमर होकर नहीं आया
देव भी नाम के अमर हैं
छह माह पहले माला मुरझाना
और क्या कह रहा है
अनित्यता के सिवाय
सो यह बच्ची
कषाय से बचने का प्रयास करेगी
हार चालेगी
अपनों को लिये सामने देख करके
खूब जानती होगी
अपनों से जीतकर
हार का हार गले जो पड़ता है
कुछ कुछ ही नहीं
बहुत कुछ अपना वो खो देता है
जो अपनों से झगड़ता है
सो जैसे पलक
आँख की सहायता करती है
वैसे ही यह बच्ची
‘आखा-इण्डिया’
किसी गाने के बोल सुने होंगे सभी ने
अर्थात् सभी की वैशाखी बन चलेगी
अक्षर पलटाते ही
एक और अर्थ होता है सामने
‘के मृग भागता आता है
और आगे रास्ते में
पानी होने का भ्रम भागता जाता है
सो
प…ल…क
क…ल…पा ?
मतलब कल को पा पाना
मृग मरीचिका जैसा है
सो यह बच्ची
आज का काम आज ही निपटा लेगी
कल आता है
यह सफेद झूठ है
ऐसा इस बच्ची ने
दूसरी पाठशाला की
दूसरी ही कक्षा में सीख लिया होगा
सच यह बच्ची पलक
फलक के चाँद सितारे तोड़ कर
एक बेजोड़ किरदार का मंचन करेगी
जीवन के रंग मंच पर
ओम्

सच इस उस दोनों जहाँ में
सार्थक प्रिय यानि ‘कि
प्यारा नाम है प्रियल
प्रिय मतलब अजीज
जैसे मछली को जल
पंछी को पंख
और ‘ल’ मतलब लाने वाला
सो यह बच्ची
लोगों के बिगड़े काम बनाने में
सबसे अब्बल रहेगी
लोगबाग इसकी प्रशंसा के
पुल बॉंधते हुये न थकेंगे
जिसके बिना काम रुक चला था
मुकाम क्षितिज तक ढुलक चला था
उस खुशबू से
फूलों को मिला देगी यह बच्ची

प+रियल
यह भी एक व्याख्या हो सकती है
इस नाम की
इसमें प’ रक्षा करने वाले के अर्थ में है
और ‘रियल’ इंग्लिश बर्ड है
जिसका तात्पर्य है सच्ची रक्षक
सुनिये
यह बच्ची किसी के लिये भी
तंग नहीं करेगी
अपनों की जान बचाने
अपनी जान पर भी खेल जायेगी
किसी को गैर,
अजनबी, पराया जो न मानेगी
इस बच्ची के लिए
सारी दुनिया कुटुम्ब के जैसी रहेगी
इसका थारी मारी से
दूर दूर तक कोई रिश्ता न रहेगा
ठण्डे बस्ते में रक्खेगी
मन अपना यह बच्ची
जब देखो तब
एक मधुर मुस्कान
खेलती मिलेगी इसके होठों पर
भगवान् की मर्जी जो रहेगी
इसे स्वीकार
अहंकार छू भी न सकेगा इसे

एक दिव्य अर्थ माँ सरस्वती
और भेंट रहीं हैं
उसे भी सुनाए देता हूँ मैं
इस नाम में चार अक्षर है
प…र…य…ल
यदि हम पूछते हैं
इस बच्ची के जैसा
दुनिया में कौन लगेगा ?
तो उत्तर आयेगा
इन्हीं अक्षरों को नई मात्राएं देकर
‘के परियाँ लगेगी इस जैसी
सो मतलब सीधा सीधा है
सभी की चहेती होगी यह बच्ची
अपनी मम्मी की पूजा की थाली
अपनी दादी की संध्या वंदन दीवाली
अपने भाई बहनों का दाहिना हाथ
अपने पापा की कलम दवात
और सुनियेगा
अक्षर पलटाते ही
एक नव्य अर्थ आता है

प…य…ल
ल…य…प
मतलब लय विलय करेगी
यह बच्ची ‘प’ मतलब पापों का
सो सातिशय पुण्यशालिनी होगी
जश के मामले में
धवल दूसरी ही चांदनी होगी
ओम्

बड़ा ही अद्‌द्भुत नाम है शरण्या
सर यानि ‘कि तालाब
और ण्या मतलब नया
अब तालाब तो
धीरे-धीरे पुराना होता है
फिर ये नया शब्द
पीछे जो लगा है इस नाम के
यह बड़ा ही लाजबाब है
जो कह रहा है
‘के तालाब तो पुराना है
लेकिन उसमें खिले
कमल के फूल नये-नये है
सो अब
इसका सहजो-निराकुल अर्थ हुआ
‘के ऐसी बच्ची
जो कमल जैसी सुन्दर होगी
कोमल होगी
दिखते ही मन के लिए हर लेगी
जिसे हर कोई
अपनी पलकों पर बिठाते रक्खेगा
गुण लगा करके पंक्ति
जो इसके हृदय में समाहित रहेंगे
वैसे जैसे फूलों में खुशबू
गगन पाताल भू
जिन्हें अपना आराध्य मानता है
शरण जानता है
वे चारों की चार शरण
इस शब्द में समाहित है
यदि आप पूछते है कैसे
तो सुनियेगा
‘श’ मतलब शास्त्र धर्म ग्रंथ
‘र’ मतलब राम-रिषभ आदि भगवंत
‘न’ मतलब नगन दिगम्बर संत
अब चौथी शरण के लिये
य के बाद ‘द’ लगाकर
अक्षर पलटने हैं
या…द
द…या
हाँ हाँ दयामयी अहिंसा पन्थ
अर्थात् यह बच्ची
धर्म से जुड़ी रहेगी जीवन भर
अधर्म इसके आस पास भी न दिखेगा
न्याय का पक्ष लेगी हमेशा यह बच्ची
यह बच्ची साधु संगती का अवसर
हाथ में न जाने देगी
एक बड़ा प्यारा अर्थ और है
यह शरण्या नाम
‘सर’ शब्द जो अपने पहले
लगाये रखते है
सो यह बच्ची नेतृत्व करेगी
खूब जानती होगी यह बच्ची
Group का अर्थ
‘के ग्रुप शब्द की स्पेलिंग में
‘ग्रो’ के बाद कुछ रुक कर
‘अप’ पढ़ते ही
एक नव्य दिव्य अर्थ
सामने आता है ग्रो…अप
यानि ‘कि एक से भले दो
सो यह बच्ची कोई भी रूठने न पाये
ऐसी दैवीय कला का ज्ञान रक्खेगी
जो जन सामान्य अगम्य होगी
सो इस नाम की बच्ची
अदम्य साहस से भरी होगी
सारी दुनिया से बिरली होगी
ओम्

खूबसूरत प्यारा मीठा ही नहीं
बड़ा अनूठा नाम है नमन
मतलब तरबतर
न मतलब नयन हैं जिसके
अर्थात्
करुणा, दया क्षमा का समुन्दर
हिलोरें लेगा
इस नाम के बच्चे की आँखों में
बड़ा रहम दिल होगा यह बच्चा
किसी को सताने से पहले
दो बार सोचेगा
गलत कदम उठाने के पहले
देर ठिठकेगा
फिर अन्तस् की आवाज सुनते ही
वापिस कदम लौटा लेगा
पर स्वप्न में भी अपने बुजुर्गों की
आन, बान, शान पे
कोई ऑंच न आने देगा
इस नाम के अक्षर
अलटाने पलटाने पर
एक वही अर्थ जो देता है
सो यह बच्चा
जिन्दगी के उतार चढ़ाव का
बड़ी ही सूझबूझ के साथ
सामना कर लेगा
शाम शाम तक
काम बना लेगा अपना
कोई भी बात दिल पे लेना
इसे न आता होगा
औरों की खामिंयॉं
नजर अंदाज करने या अंदाज
इसका बड़ा ही अनोखा होगा
एक अर्थ और भेंट रहीं हैं
मॉं सरसुति
बस ‘न’ को दीर्घ करके पढ़ना है

नाम…न
सच यह बच्चा नाम की चाह से
कोशों दूर रहेगा
कर देगा जिस किसी का काम
और बदले में लेगा बस अशीष
यह सब इसके माता-पिता के
संस्कार जो हैं
इसका मन भगवत् धारा में
बहने के लिए कहेगा
न…मन अर्थात् मनमानी धारा से
नाता तोड़कर
सहजो-सरल जीवन यापन करेगा
एक अर्थ और
अवतरित हो सकता है
बस ‘म’ के लिए दीर्घ पढ़िएगा
न…मान
अहम्, अहंकार, घमंड, गुमान
कभी भी छू न पायेंगे इसे
खूब जानना होगा यह बच्चा
अंगुलिंयाँ, पोर होते होंगे खतम
पर गिनती का
कोई भी ओर-छोर नहीं होता है
और दुनिया वाले दोगले बड़े
बॉंट बॅंटखरे खरे कहाँ
औरों के लिए खलें ऐसे रखते हैं
सो यह बच्चा भीतर गहरे उतरेगा
दिन पे दिन निखरेगा
ओम्

यदि किसी नाम के साथ जुड़कर
‘सत्यं शिवं सुन्दरं’
वाक्य कीमती बन फबता है
तो वह नाम है आरती
‘आ’ मतलब आगम ग्रन्थ
‘र’ मतलब राम-महावीर आदि भगवन्त
‘त’ मतलब तपस्वी महन्त
मतलब सीधा सीधा है
यह बच्ची धार्मिक संस्कारों के लिए
माँ की कूख से ही ले करके आयेगी
इसे मानवीय मूल्यों के आगे
रुपया पैसा धूल के जैसा होगा
फिर रूप पे
बाद रूपये पे छिड़केगी जान
पहले इसे ध्यान रहेंगे भगवान्
एक प्यारा सा अर्थ
और बतलाते हैं हम
आरत यानि ‘कि दुख
और इसके बाद जो
‘ई’ की मात्रा चढ़ी हुई है
वह इति के लिए है
‘के इस बच्ची के जीवन में
दुक्खों की इतिश्री हो चालेगी
चूंकि
‘आ’ समन्तात्
और ‘रति’ मतलब
सारी दुनिया से
‘सत्वेषु मैत्रीं भावना’
जो रखेगी
सभी इसके इर्द गिर्द
सागिर्द बन कर के रहेंगे
गुणी गुनी जो होगी यह बच्ची
अंधेरे जहाँ में आशा की किरण
एक रोशनी जो होगी यह बच्ची
माँ सरस्वती
एक और अर्थ प्रेसित कर रहीं हैं
‘के आर
अर
अरि
मतलब दुश्मन
‘ति’ यानि ‘कि तीन
यदि पूछते हैं आप कौन कौन
सो प्रसिद्ध ही कोन कोन
राग, द्वेष, मोह
काम, क्रोध, लोभ
इनकी शत्रु रहेगी यह बच्ची
बुराई इसके जीवन में झॉंकने से डरेगी
झॉंकेगी बगलें इस बच्ची से आगे
काली नजर
सुनो, एक अर्थ और आता है सामने
पलटाते ही अखर आ…र…ती
ती…र…आ
मतलब मंजिल खुद
इस बच्ची से कहेगी
‘री रुक रुक
मैं यहाँ हूँ,
कहाँ भागती जा रही है तू
यदि सच कहूँ
तो मेरी तो सिर्फ यही आरजू
‘के मेरे भगवन् !
ये बच्ची जिये
शत शरद्
ओम्

खूबसूरत ही नहीं
बड़ा ही मीठा नाम है प्राची
‘प्र’ यानि ‘कि प्रतियोगिता
और ‘ची’ एक संस्कृत धातु है
जिसका मतलब है चुनना
अर्थात् यह बच्ची
प्रतियोगिताओं को चुनेगी
और प्रतियोगिताएं
इस बच्ची को चुनेंगीं
अनूठे साहस से भरी होगी यह बच्ची
मन को चकरी जैसा न घुमा करके
वश में रखेगी अपने
सपने सिर्फ देखेगी ही नहीं
पूरे कर के भी दिखलायेगी
वेदों की प्राचीन रिचाएँ
झलकेगी इसके जीवन में सजीव
प्रदीव जैसी होगी यह बच्ची
रोशनी करेगी सारी दुनिया में
अपनी नेकिंयों के द्वारा
हवाओं को काम मिलता रहेगा
तब तक ही नहीं
जब तक यह बच्ची दुनिया में रहेगी
हाँ हाँ दुनिया से जाने के बाद भी
खुशबू इसकी फीकी नहीं होगी
सुनियेगा
फी यानि ‘कि फीस की तो बात
ही नहीं करेगी यह बच्ची
हाँ हाँ और बात भी फीकी न करेगी
एक बड़ा ही सुन्दर सा अर्थ
और दे रहीं हैं
माँ शारदे
‘के इस नाम में तीन अक्षर हैं
प…र…च
सो ‘प’ मतलब पहली
और ‘रच’ मतलब रचना
कुल मिला अर्थ प्रकट हुआ
‘के यह रचना
भगवान् की सोच समझ के
साथ न हो के
भूल से हो चली है
तभी तो यह बच्ची
परियों को मात देवेगी
खेवेगी नैय्या दीन दुखिंयों की
यह बच्ची अपने से पहले
अपनों का ख्याल रखेगी
पता है अक्षर पलटाते ही
यह नाम एक अदभुत अर्थ देता है
बस ‘प्रा’ को ‘प’ पढ़ना है
प…ची
ची…प
जैसे बड़े-बड़े महलों की नींव में
बड़े बड़े पत्थरों के लिए
संभालने वाली
एक छोटी सी चीप रहती है
वह न हो तो डगमगाते रहेंगे पत्थर
बन न पायेंगे राजमन्दर
बस इसी तरह यह बच्ची
बिगड़ते काम बना देगी
चुटकिंयों में
पल भर भी दुनिया इसे
अपने से दूर करने की
सोच भी नहीं पायेगी
हाँ हाँ सभी के काम जो आयेगी
ओम्

सच्ची इस नाम से प्यारा नाम
सारी दुनिया में न होगा
पता है क्यों ?
क्योंकि
यह नाम दुआओं का
स्वस्तियों का मुॅंहताज नहीं है
इस काम को लेने वाला हर शख़्स
ऐसा देखा नहीं
प्र-प्रकृष्ट, इष्ट, विशिष्ट आशीर्वाद
इस नाम की बच्ची के लिए
सुपुर्द करेगा
इर्द-गिर्द जो रखेगी यह बच्ची
फरिश्तों की नेकियाँ
दादी नानी की नसीहतें
बुजुर्गों के नुस्खे
सन्त महन्तों की सूक्तियाँ
प्रचलित लोकोक्तियाँ
मतलब सीधा सीधा है यह बच्ची
जीवन्त पोथी होगी
बड़ी ही अनोखी होगी

एक अर्थ और देता हूँ
ध्यान से सुनियेगा
अक्षर ‘प्रा’ में ‘प’ और ‘र’ दो अक्षर हैं
सो सार्थ शब्द बनता है
परा…सी
पुरा… सी
मतलब यह बच्ची
भारतीय संस्कारों से ओत-प्रोत रहेगी

“पीछे भी देखो,
पिछलागू न बनो
पीछे रहोगे”
इस सत्रह अक्षर की जापानी कविता
का जीवन्त रूपान्तरण होगी
आदर्श इसके जीवन के प्राण होंगे
मिट जायेगी
मर जायेगी पर गलत रास्ते पर
कदम न बढ़ायेगी यह बच्ची
पश्चिमी सभ्यता इसे
सपने भी मे रास आने वाली नहीं है
होंगीं चंचल और बच्चिंयाँ
लेकिन यह बच्ची तो
सार्थक नाम ‘बच्ची’ है
जो बची है पश्चिमी हवा से
मौज मस्ती
फैशन परस्ती
होगी औरों के नाम
पर यह बच्ची तो छूने मचली है
लाज शरमो हया का मुकाम
मॉं सरसुति एक न्यारा ही अर्थ
भेज रहीं हैं मेरे पास तक
अच्छा सुन ही लीजिये
साथ सहजता बैठ करके पल पलक
बस अक्षर पलटाने हैं
और ‘प्रा’ को ‘प’ पढ़ना है
प…सी
सी…प
ऐसी वैसी नहीं यह बच्ची सीप है
शिल्पी है कलाओं के मोती गढ़ने में
इसका नाम सुर्ख़िंयों में आयेगा
हॉं ! एक अर्थ और
इस नाम में तीन अक्षर हैं
प…र…श
बस पा के बाद रस मिलाकर पढ़ियेगा
हाँ हाँ पारस मणी के जैसे
परोपकार की धनी होगी
यह बच्ची
सच्ची
ओम्

सचमुच खूबसूरत ही नहीं
बड़ा मीठा नाम है अमृता
ग्रामवासी इस नाम को
बोलते समय बोलेंगे
अमरिता
आमरिता
हाँ हाँ वहीं आमों की ऋत
जब बड़ा मीठा बोलती है कोयल
जब उस रितु का इतना प्रभाव है
तब जिसका साक्षात् नाम ही है
वह बच्ची तो रक्खेगी ही बोल
दूसरे मिसरी घोल
बड़े कीमति अनमोल
एक बड़ा ही सुन्दर का अर्थ और है
‘अ’ मतलब आगम, धर्म ग्रन्थ
‘मा’ मतलब महावीर भगवन्त
‘त’ मतलब तपस्वी महन्त
इन सभी की अनुगामिनी होगी यह बच्ची
दिल की सच्ची जो होगी यह बच्ची
किसी का दिल जो न दुखायेगी
सभी लोगों से खूब दुआएँ पायेगी
कोई भी किसी भी काम लिये कहेगा
इस बच्ची के मुख से न नहीं सुनेगा
नाज होगा बुजुर्गों को
इस बच्ची के ऊपर
सच इस जैसी
दूसरी बच्ची न होगा भू पर

माँ सरसुति कृपा बरसा कर
एक अर्थ और भेंट रहीं हैं
वह भी सुनियेगा
बस ‘अ’ के बाद
‘ऋ’ की मात्रा ‘इ’ की पढ़नी है
अ…मिता
मतलब अक्षरों की
मीत मित्र रहेगी यह बच्ची
इसकी बुद्धि,
मेधा के आगे विद्वान दाँतों तले
अंगुलिंयाँ दाँवेंगे
कुछ हटके ‘भी’ तर ज्ञान की
जो स्वामिनी होगी
कीमती ही नहीं
अमृत जैसी बेशकीमती जो है
जगत् माननीय होगी
हर शख्स इसके जैसा
बनने का प्रयास करेगा
पर इसके गुणों को छू न पायगा
क्यों ?
क्योंकि यह बच्ची अपने गुणों में
दिनों दिन वृद्धि
जो करती रहेगी
एक अर्थ और
अक्षर पलटाते ही सामने आता है

अ…म… त
त… म…आ
‘के तम कहाँ छिपे बैठे हो ?
सामना करो, आओ सामने मेरे
सच दूसरी रोशनी होगी यह बच्ची
दीपिका जैसी स्वपर प्रकाशिनी होगी
दूसरों को तो रोशनी देगी ही,
स्वयं भी प्रकाश में रहेगी
और धीरे धीरे भगवत सुमरण के साथ
करेगी सु…मरण हाथ
ओम्

इस नाम का बच्चा
दीया लेकर भी यदि खोजते हैं हम
तो दूसरा न पा पायेंगे
इस निमिष नाम में
‘नि’ निखिल विश्व का प्रतिनिधि
बनकर बैठा है
सो यह बच्चा सभी के इतने काम आयेगा
‘के पल भर नजरों से ओझल क्या हुआ
बड़ा याद आयेगा
खूब मिस करेगें इसके संगी साथी
इसे परछाई के जैसे
अपने साथ लेकरके घूमेंगे
इसके संगी साथी

मतलब सीधा सीधा है
दुनिया शून्य का किरदार निभायेगी
इस प्यारे से बच्चे के आगे
और यह बच्चा
अंक का मंचन करेगा
जिन्दगी के रंगमंच पर

पलक का झपलना जैसे
आँखों में नमी लाता है
आगे की रंगीन दुनिया
देखने में आँखों की मदद करता है
वैसे ही दरदमन्द
मदद पसन्द होगा यह बच्चा

नैन शब्द भर आगे लगाना है
इस नाम के
और एक अद्भुत अर्थ आकर के
हमारे सामने प्रकर हो चालता है
बस मात्राएँ भुलाकर
सिर्फ अक्षर पढ़ने हैं
नैन नम…सा
बड़ा ही दयालु किस्म का शख्स होगा
यह बच्चा
दूसरों के आँसू देख पाना
इसे शुआ यानि ‘कि तोते के जैसे
पढ़ाने पर नहीं आने वाला
एक चमत्कृत कर देने वाला अर्थ भी
माँ सत्पुति लौटती डाक से
मेरे जुबान तक भेज रहीं हैं
बस अक्षर पलटाने हैं
मात्राओं के कुछ हरे फेर के साथ
न…म…स
सु…म …न
बड़ा प्यारा मन होगा इसका
इसे किसी से जलन नहीं होगी
काँटें इसे दुश्मन नहीं
रक्षक लगेंगे
इसके किरदार की खुशबू
दशों दिशाओं में फैलाकर हवा
अपना जीवन धन्य समझेगी
जब भगवान् के घर ये बच्चा पहुंचेगा
तो भगवान् इसे लेने
खुद चलकर आयेंगे
और जैसे ही हाथ इस बच्चे का थामेंगे
‘के हथेली से
संसार में आवागमन की लकीर ही
मिटा देंगे वह
चूंकि
वर्तमान में संसार में
फरिश्ता जो हेगा यह
ओम्

खूबसूरत
बड़ा ही प्यारा नाम है आश्वि
आश के बाद वि-विश्वास का
प्रतिनिधि बनकर के बैठा है
आश्वि नाम में
मतलब सीधा सीधा है
यह बच्ची विश्वास पात्र होगी
किसी को धोखा देने से पहले
एक बार सिहरन खायेगी
कँप जायेगी
और पीछे कदम लेगी अपने
सपने जो पूरे करने हैं इसे
अपने मम्मी पापा के
और यह बच्ची
जल्दी आश न खो देगी
साहसी होगी
खूब जानती होगी
समय से पहले
पेड़ पर फल लगने वाले नहीं है
चाहे ढेरों घड़े पानी ढोल लो
सो समता रक्खेगी

एक दूसरा अर्थ भी देता हूँ
आशु यानि ‘कि शीघ्र
वि यानि ‘कि विक्ट्री, विजय
सो इस बच्ची को सफलता पाने में
देर न लगेगी
मन से एकाग्र जो हो चालेगी जल्दी से

सुनो पलकें पल के लिये
जो खोलेंगी
फिर हो लेगी भीतर
उसे पता होगा बाहर ज्यादा घूमना
ढ़लान पर साईकिल के पहिये सा
देर तक न थमने देगा
सो अपने में रहेगी यह बच्ची

एक अर्थ और भिजा रहीं हैं
माँ सरस्तुति
‘के ‘आ’ मतलब चारों तरफ से
शिवि मतलब सुख
यह बच्ची कभी अभाव में न रहेगी
रुपया-पैसा तो पीछे घूमेगा इसके
बुद्धिमान विदुषी जो होगी
हाजिर जवाबी भी
खटाखट देगी
उलझे हुए प्रश्नों के भी उत्तर
अनुत्तर जो होगी
जाते जाते एक अर्थ
और कौंध रहता है
मेरे मन में
आशी यानि ‘कि आशीर्वाद
वि यानि ‘कि विशेष
इस बच्ची को बड़े बुजुर्गों का
विशेष आशीर्वाद रहेगा
बड़ों का हमेशा सम्मान जो करेगी यह
बड़ों की कभी भी बात जो न टालेगी यह
कुल मिलाकर
सहजो-निराकुल मतलब हुआ
यह बच्ची दुनिया में इक होती
यूनिक होगी
ओम्

सिर्फ मीठा ही नहीं,
बड़ा ही अनूठा नाम है विद्या
जिसे ग्राम वासी कहेंगें
विदया
हाँ… हाँ…
‘वि’ यानि ‘कि विशेष
दया के सागर
करुणा के रत्नाकर
मतलब सीधा सीधा है
औरों की पीड़ा देखकर के
जिनकी आंखें
गंगा, जमुना बन चालतीं हैं
अपने दुख में कभी
आँखें गीलीं कीं हों इन्होंने
इन्हें तो क्या ?
राम जी के लिए भी पता न होगा
जो दुनिया भर की खबर रखते हैं
सुनते हैं,
केवलज्ञानी भगवान् राम के ज्ञान में
युगपत् तीनों लोक झलकते हैं
चलिये,
दूसरे अर्थ पर दृष्टिपात करते हैं
‘वि’ मतलब विरद, यशोगान, कीरत
‘द्य’-‘द्यु’ मतलब स्वर्ग
सो सीधा सीधा अर्थ हुआ
जिनके नाम का डंका
भगवान् आदि ब्रह्मा
ऋषभ देव के सुपुत्र
चक्रवर्ती भरत के नाम पर पड़ा हुआ देश
जो भारत है,
वहाँ ही नहीं,
सारे विश्व में ही नहीं
द्युपुर मतलब स्वर्ग में भी बाज रहा है
‘कि कोई भगवन् कुन्द-कुन्द जैसा आज रहा है
तो सिर्फ यह सन्त है

माँ सरस्वती
एक अर्थ और भेंट रहीं हैं मुझे
उसे भी सुनियेगा
शब्द विद्या में अक्षर ‘द’
दो बार पढ़ना पड़ता है
सो ‘दा’ ‘दा’ मतलब वृद्ध
कैसे वृद्ध
तो
पहला ‘द’ मिलकर के बना शब्द कहता है
विद् मतलब ज्ञानवृद्ध

दूसरा ‘द’ मिलकर के बना शब्द कहता है
दया रूप चारित्र तपो-वृद्ध
मतलब ज्ञान की गहराई
और तप की ऊँचाई
जिन्हें पूर्व भवों के भावित भावों से
विरासत में मिली है
और
वर्तमान में वर्धमान हो ही रही है
चलिये
चलते चलते एक अर्थ और देता हूँ
बस
अक्षर पलटाने हैं
वि…द…या
या…द…वि
‘वि’ यानि ‘कि विशेष व्यक्तित्व
जिनका याद रह जाये
जिनसे साक्षात् तो छोड़िये
सपने में की हुई मुलाकात भी
अंतर्मन में एक अपूर्व आह्लाद जगा देती है
वज्र से उकेरे अनमोल क्षण वे
मानस पटल पर छाये रहते हैं
सु-मरण समय तक
सच
इस नाम के जैसा नाम
दुनिया में दूसरा नहीं
सिर्फ में क्या
सारी दुनिया ही कह रही
नमोस्तु भगवन्
नमोस्तु भगवन्
नमोस्तु भगवन्

प्यारा ही नहीं,
बड़ा ही निराला नाम है समय
जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘वक्त’
वक्त जिसके पीछे सारी दुनिया
हाथ धोकर के पड़ी हुई है
इन सन्त के गुरुदेव ने वह वक्त,
दीक्षित करते ही इनके साथ
मणि-काञ्चन योग के जैसा
बेजोड़ जोड़ दिया होगा

मतलब
इनके गुरु के बाद
दुनिया में किसी के नाम का सिक्का
चलता होगा तो इनका
इनके जैसी निरतिचार
चर्या का पालन करने वाला
कोई दूसरा सन्त न होगा
कनिष्ठा अंगुली पर इनका नाम रख लो
फिर इनसा इंसां
ढूंढते रह जाओगे,
तब पास वाली अंगुली का नाम
सहज ही अनामिका सार्थक सिद्ध हो चालेगा

एक अर्थ और है
धार्मिक जगत् में समय का मतलब
आत्मा होता है
सो यह सन्त क्षण न लगेगा
और आत्मस्थ हो चालेंगे
हाँ… हाँ…
अपना मन जो ठण्डे बस्ते में रक्खेंगे
इनका मन चकरी के जैसा
गोल-गोल न घूमता होगा
पर निन्दा सुनते समय कान इनके
बहरे जो हो चालते हैं
आत्म निन्दा के अवसर खोजते ही रहती है
रसना जो इनकी
मन तरंग मार कर रखनी चाहिये
यह बात
इनके गुरुदेव ने
गर्भ में ही जो सिखला दी थी
गुरु आज्ञा पालन करने में
आठ याम निरत जो रहेंगे यह
वर्ण माला के ‘अ’ से लेकर ‘ज्ञ’ तक के
सारे अक्षर इनके आगे समर्पण कर चले होंगे
होंगे ही यह विनय गुण अनुरागी
राग-द्वेष-मोह से कोश दूर
दया, क्षमा, करुणा, वात्सल्य से भरपूर

माँ सरसुती
एक अर्थ और कहने के लिये धका रहीं हैं मुझे
‘कि इस समय शब्द में
‘सम’ समता का प्रतिनिधि है
और ‘य’ यत्नाचार का,
सच मोक्ष मार्ग में समता और
अप्रमत्त धिया वह दो पंख हैं
जिनके द्वारा अनायास ही
आसमान को छुआ जा सकता है
चलिये
चलते चलते एक अर्थ देता हूँ
सुनिये
समय को जय-जै के जैसा
समै भी पढ़ लिख सकते हैं
तब समै शब्द में ‘स’ स्व का
और ‘मै’ अभिमान का पक्ष धारने से
एक नया ही
शब्द बन चालेगा स्वाभिमान
मतलब यह दिव्य भव्य आसन्न आत्मा
पुरु देव का
अपने गुरुदेव का सिर
कभी भी शर्म से नीचा न होने देगी
रक्खेगी कदम फूॅंक-फूॅंक कर अपने
सपने जो अपने गुरुदेव के पूरे करने हैं इन्हें
नमोस्तु भगवन्
नमोस्तु भगवन्
नमोस्तु भगवन्

दुनिया का सबसे सुन्दर नाम है योग
योग मतलब जोड़ना
सुनो,
दूसरों की बढ़ती लाईन पर रबर चलाना
किसे नहीं आता,
पर इस नाम के सन्त
अपनी लकीर में कुछ जोड़ेंगे
और जोड़ते चले जायेंगे
जब तक के अरहंत, सिद्ध न बन चले
यह सन्त खूब जानते होंगे
कुछ जोड़ करके लाये थे
जन्मान्तरों से
सो भॅंजा लिया
मानव जन्म पाकर के
अब आपके आगे के लिए
वह चीज जो हमारी आत्मा के साथ-साथ जाये
चूँकि शरीर तो
यही रह जाता है
सो ऐसा कुछ
जो पैसों से न खरीदा जा सकता हो
उसके बटोरने में
अहर्निश आकाश-पाताल एक करने में लगे होंगें
यह निरतिचारी श्रमण

एक दूसरा ही अर्थ देता हूँ

संस्कृत में ‘यो’ का तात्पर्य है जो
और ‘ग’ गमन के लिये आता है
सो सीधा सीधा मतलब है
‘के वो दिव्य आत्मा
जो देव-शास्त्र-गुरु के मार्ग पर
अनवरत बढ़ती जायेगी
वैसे ही
जैसे सरिता सागर की तरफ बगैर थमे
बगैर थके सरपर सरकती रहती है
यह सन्त खूब जानते होंगे
*बहता पानी निर्मला,
‘बन्दा’ गन्दा होय*

इस पंक्ति में बन्दा यानि ‘कि बाँधा गया
लेकिन इनकी प्रत्युत्पन्न मति जो है
सो ये इसका दूसरा ही अर्थ लेंगे
बन्दा मतलब अय ! बन्दे
यानि ‘कि खुद से कह रहे हैं
‘के मठ बुद्धि तो मट्ठ बना के रख देती है

चन्दे चिट्टे
बन्द रुपये के सिक्के के लिए
छुट्टे बना देता है
और सुनते हैं,
पैसे छुट्टे हुये नहीं
‘कि छुट्टी पैसों की

माँ सरस्वती एक अर्थ और दे रहीं हैं
सुनो,
यह जो शब्द योग है उसे
जोग भी कह सकते हैं
जैसे यमुना को जमुना
यशोदा को जशोदा कहते है
बस अब जोग के अक्षर पलटा लीजिए
जो…ग
ग… जो
अब सार्थक बनाने के लिए
पीछे ‘सागर’ शब्द रख दीजिए
जिसे दूर दृष्टि रखने वाले
इनके गुरुदेव ने पहले ही लगा कर रक्खा है
गजोसागर
मतलब गज और सागर
हाँ…हाँ…
यह सन्त दिग्गज सन्तों की कतार में
अग्रिम-प्रमुख होकर के बैठे दीख पड़ेंगे

मतलब
साक्षात् योग सार होंगे
मूलाचार की गाथाओं से मिल करके
इनकी परिणति का निर्माण हुआ होगा
चलते फिरते तीर्थ होंगे यह
और सागर से गंभीर भी
इधर की उधर करना
मतलब
इसकी टोपी उसके सर
उसकी टोपी इसके सर करना
इन्हें न आयेगा
दूसरी पाठशाला की
दूसरी ही कक्षा में जो पढ़ाया होगा इन्हें
इनके गुरुदेव ने
और यही तो कहना पुरुदेव का है
सो आज्ञाकारी होंगे यह
चलिये,
चलते-चलते एक अर्थ और बतला हूँ
योग मतलब योग्य
सक्षम
‘स’ मतलब सहित
‘क्ष’ मतलब क्षमा से
सच दया, क्षमा, करुणा की अनूठी प्रतिमा होंगे
दूसरों के दुख में आँखें इनकी
तरबतर हो चालेंगी
गुस्सा इनके हृदय में स्थान न पा पायेगा
नासा दृष्टि जो रक्खेंगे यह
और हृदय तक तभी पहुंचा जा सकता है
जब रास्ता हो
सो इन्द्रिय जयी होंगे
योग साधना इनकी बेजोड़ होगी
हवा इनकी चारित्र सुगंध
देवधाम तलक ले उड़ेगी
यह होंगे अपने जैसे एक सन्त
पथिक हंस विवेक पन्थ
नमोस्तु भगवन्
नमोस्तु भगवन्
नमोस्तु भगवन्

सारी सन्त-परिपाटी में
यह अपने जैसे एक मुनिराज हैं
आचार्य श्री नाम से जगत् विख्यात
सन्त शिरोमणी
गुरुदेव विद्या सागर जी ने
इन्हें अपने सारे शिष्यों से
कुछ हटके और कुछ ज्यादा ही दिया है
निर्ग्रन्थ श्रमणराज
वर्तमान कुन्द-कुन्द भगवान् ने
अपने सभी शिष्यों के लिये
अपने ही जैसा
दिगम्बर रूप दिया
प्रशान्त मुद्रा प्रदान की
लेकिन किसी शिष्य के लिए
अपना देव-दुर्लभ नाम दिया है
तो वह हैं
यह आसन्न भव्य महन्त
मुनिश्री विषद सागर जी यतिराज
यदि आप पूछते हैं कैसे ?
तो सुनिये
इस विशद शब्द में
जो बीचोंबीच ‘स’ है
बस उसको उठा करके
पीछे रख लीजिये
न सिर्फ एक नया शब्द
बल्कि एक नया ही शब्द
बन चलेगा
विद…स
सो विद विद्या का प्रतिनिधित्व करता है
और ‘स’ मतलब सागर

चलिए
एक दूसरा ही अर्थ और है
उसे भी आपके समक्ष रखता हूॅं
वि मतलब विरतों में
सद् मतलब सत्यता, प्रमाणता,
शुद्धता रखने वाले योगीराजों में
किसी का नाम यदि आयेगा
तो इनका
और किसे नहीं पता
‘के इतने अस्वस्थ रहने के बाद भी
अपने आवश्यकों का
दृढ़-चित्त होकर के पालन कर रहे है
‘परीषहान् उरन्देत्तो’
मतलब परीषहों के लिये
छाती अड़ा देने वाले सन्त हैं यह

अक्षर पलटाते ही
वि…श…द
द…श…वि
सो ‘वि’ मतलब विध
यदि आप पूछते ही हैं
दश-विध क्या ?
तो मुण्डन
पाँच इन्द्रिय,
तन, मन, वचन,
और हाथों वा पांवों का मुण्डन
मतलब सयंम
यानि’कि
माला, माईक, मंच
इन तीन मकारों के लिए
जलाञ्जली ही नहीं
तिलाञ्जली भी दे चुके होंगे यह
ज्ञान वृद्ध, तपो वृद्धि, निर्गन्थ

चलिए
चलते चलते
कुछ और बोलने के लिये
बाध्य कर रहीं हैं मां सरस्वती
‘के इस शब्द के अक्षर क्या बोलते हैं
यह भी कहूं
सो उसे भी सुनियेगा
शब्द विशद में
‘वि’ मतलब विशेष
‘स’ मतलब सम्यक्
‘द’ मतलब दर्शन
मतलब आचार्य श्री जी
के द्वारा बतलाया गया
सक्रिय सम्यक् दर्शन
इनकी रग-रग में दौड़ चला है
तभी तो जगह जगह गोशालाएं
सिर्फ खुलवाईं ही नहीं हैं इन्होंने
वज्र अक्षरों से खुदवाईं हैं
लोग सिर्फ कहने के लिये
गैय्या को मैय्या मानते हैं
पर ये वर्तमान कन्हैया हैं
गैय्या के लिये
धन्य है ऐसे करुणा-मयी
दया-मयी
श्रमण
इनके चरणों में मेरा
नव कोटि त्रि-भक्ति पूर्वक
सहज-निराकुल नमन


बड़ा अनमोल,
बड़ा ही खूबसूरत
सुन्दर सा
बड़ा ही प्यारा सा नाम है याशिका
इस शब्द के अक्षर-अक्षर ही बोल रहे हैं
यश ‘क’
‘क’ मतलब कखहरा
कुल मिलाकर के सहजो निराकुल अर्थ हुआ
क…छुआ जिन्होंने
पढ़ने-लिखने का जश जिनके पास है
उनमें यह बच्ची अब्बल नम्बर पायेगी
कछुये के जैसे
अपने सारे अंगों को ढ़क कर रखेगी
बाहर की हवा इस बच्ची को
छू भी न पायेगी
अपने भीतर जो रहेगी यह बच्ची

एक अर्थ और है बड़ा ही अद्भुत
संस्कृत में ‘या’ का मतलब है जो
‘शिका’ मतलब शिकायत का मौका ही नहीं देगी
सधे कदम जो रक्खेगी अपने
सीखते होंगे लोगबाग
धोखा खा करके
यह बच्ची दूसरी पाठशाला की
दूसरी ही कक्षा में
जो पढ़ रही होगी
ढ़ाई अक्षर स्नेह के
खूब जानती होगी
शब्द ही कह रहा
धो…खा
बगैर धोये क्यों खाना
सो यह बच्ची
कुछ दिव्य भीतरी ज्ञान रक्खेगी
सह लेगी सब कुछ
कहना इसे न आयेगा
बड़े बुजुर्गों की बात तो काटेगी ही नहीं
जिसका हृदय दूसरा ही धर्म काँटा होगा

एक अर्थ और देता हूँ
‘या’ मतलब जो नाम
‘आश’ यानि ‘कि आश-विश्वास का
पर्याय वाची है
सो यह बच्ची
सब लोगों की विश्वास पात्र होगी
किसी की आशा पे पानी न फरेगी
खुद से पहले अपनों की होगी
कोई पराया न होगा इसे
सबके काम बना देगी
नाम न चाहेगी
चाहेगी बस दुआएँ

माँ सरस्वती एक बड़ा ही
निराला सा अर्थ भेंट रहीं हैं
बस अक्षर पलटाने हैं
या…शि…का
का…सि…या
हाँ…हाँ…
इस बच्ची के आगे
सिया भी न लगेगी
और न ही श्रीकृष्ण की रुक्मणी
खुशबू वाला किरदार जो रखेगी
आँखों में करुणा की धार जो रखेगी
मतलब सीधा सीधा है
यह बच्ची अपने जैसी एक होगी
दिले-नेक होगी
ओम्

इस नाम के आगे जुड़ा हुआ शब्द प्रिय
खुदबखुद कह रहा है
‘के यह नाम बड़ा ही प्यारा है
जग भर से न्यारा है
सच मुझे ही क्या
किसी दूसरे शख्स को भी
नहीं इसमें जर्रा भी शंका
‘के बड़ा ही मीठा नाम है प्रियंका

यह नाम दो शब्दों से मिलकर बना है
प्रिय+अंका
जिस प्रकार लाड़का शब्द
लड़का बन चला
लाड़की शब्द
लड़की बन चला
वैसे ही प्रियांका
प्रियंका बना है
सो प्रिय अंक मतलब गोदी
जो सिर्फ एक माँ की होती है
वह माँ,
जो पल पल खुद को मिटाती जाती है
और अपने बच्चे में माटी लगाती है
ऐसी वैसी नहीं
अपनी ही माटी निकाल करके
तभी तो बच्चे का स्केच
स्केचर माँ का चेहरा
देखकर के बनाता है
और हूबहू बच्चे का चेहरा
उतर आता है कागज पर
सो यह बच्ची
दया, क्षमा करुणा की मूरत होगी
शुभ मुहूरत होगी
सुबह सुबह जिन आँखों ने इस बच्ची को
छू लिया
समझो उनने किस्मत अच्छी को छू लिया

एक अर्थ और देता हूँ
ध्यान से सुनियेगा
परियन का
यह बच्ची
जहाँ भी जायेगी
वहाँ का माहौल परियों का सा हो जायेगा
सिर्फ इस बच्ची के हाथ में न होगी
जादुई छड़ी
इसके आस-पास रहने वाले भी
‘खुल जा सिम सिम’ कहे बिना
बना लेंगे काम अपना
यह बच्ची आईना-आदर्श जो होगी
इसे देख देख दुनिया
बदल लेगी अपनी दुनिया

माँ शारदा
एक दिव्य अर्थ और भेज रहीं हैं
प्रि-परि मतलब चारों ओर से
यम-नियम संयम
का पक्ष लेगी यह बच्ची
मर्यादा के साथ जो रहेगी
दुहिता का अर्थ समझेगी
हित साधेगी दोनों कुलों का जो
लाज शरमो हया की मिशाल होगी
उन्नत भाल हृदय विशाल होगी
मतलब अपने जैसी एक
आदर्शों की जीवन रेख
भारत प्रतिभारत अभिलेख
ओम्

बड़ा ही खूबसूरत
प्यारा, बड़ा ही न्यारा नाम है अतिशय
अति मतलब अधिकता,
हद उलाँघना, अत्त ढ़ाना
यह सभी खराबियाँ
शय मतलब शयन करना
यानि ‘कि सोती हुईं दिक्खेंगी
इस नाम के बच्चे के जीवन में
यह बच्चा कमी-बेशी से कोशों दूर रहेगा
जो काम अपने हाथों में लेगा
हाथों-हाथ पूरी ईमानदारी के साथ
पूरा कर देगा
काम करने का अंदाज,
कुछ अनूठा होगा इसका
कुछ हटके ही बनाया होगा भगवान् ने इसे
लोच रक्खेगा अपनी सोच में यह
खूब जानता होगा
रिश्ते रूप काँच में
पड़ी एक छोटी सी भी खरोंच
किसी भी तरीके से दूर नहीं हो पाती है
भाई, मैं ही क्या
वेदों की रिचा रिचा गाती है

एक अर्थ और देता हूँ
बस अक्षर पलटाने हैं
अ…ति… श…य
य…श…त…अ
मतलब इस बच्चे का जश,
कीर्ति इस बच्चे की
दिग् दिगन्त तक फैलेगी
यह मदद पसन्द जो होगा
दरदमन्द भी
किसी के आँसू गिरते रहें
और यह देखता रहे
ऐसा सपने में भी मुमकिन नहीं है
ऐसा कोई दिन नहीं है
‘के इसने
परोपकार करने का मन न बनाया हो
ऐसा कोई छिन नहीं है
जो इसने मौजमस्ती में किया जाया हो
मतलब नेक दिल होगा यह बच्चा

अच्छा सुन ही लीजियेगा
एक अर्थ और निकल सकता है
अ मतलब नहीं,
बस अब पीछे बैठे ‘य’ को
‘श’ के आगे रखना है
और इकार का लोप करना है
हाँ… हाँ…
तयश-तैश
मतलब यह बच्चा
छोटी-छोटी बातों में
तेश यानि ‘कि गुस्से से न भर चलेगा
गंभीर होगा
क्षमाशील होगा
खूब जानता होगा
नाक तक चीज अपनी है
नाक के ऊपर रक्खा गुस्सा
हाँ… हाँ…
चश्मा भी अपना नहीं है
फिर क्यूँ अपनाना
सच मुश्किल बड़ा इस बच्चे के गुण
गिन पाना
ओम्

सुन्दर, खूबसूरत
बड़ा ही प्यारा नाम है पूनम
पून के बाद ‘म’ पढ़ते ही
बड़ा ही न्यारा अर्थ देता है यह नाम
पून… म
हाँ… हाँ…
अपून माँ भी है
अण्डे तो देती है
सेक देने के समय फेंक देती है
काकी के घोसले में
अर्थात् यह बच्ची कत्तर्व्य निष्ठ होगी
खूब जानती होगी अधिकार
कर्तव्यों के गुलाम हैं
मतलब यह बच्ची अधिकार नहीं चाहेगी
लेकिन दुनिया इसे सिर पर बैठायेगी
इसकी कोई टाँग न खींचेगा
वरन इसे आगे करके इसके पीछे हो लेगा
सो लीडर बनने के गुण रक्खेगी यह बच्ची

एक अर्थ और बतलाता हूँ
‘प’ मतलब रक्षक लोग
और पीछे लगा नम
नम नयन जिसके
और विसर्ग लगाकर
नमः मतलब सम्मान के योग्य
सो सहजो निराकुल अर्थ हुआ
यह बच्ची रक्षा करने वालों की पंक्ति में
नरम दिल होने से
सर्वप्रथम बैठी दिखाई देगी
इसका कोई भी कार्य
किसी के लिये भी खलेगा नहीं
यह बच्ची किसी के भी दिल को
ठेस न पहुँचायेगी
अपनी हानि कर लेगी
स्वयं खा लेगी धोखा
लेकिन विश्वास घात न करेगी
अपनों के साथ
दूसरी पाठशाला की
दूसरी ही कक्षा में शिक्षा जो
ले रही होगी
स्नेह रूप ढ़ाई आखर की

माँ सरस्वती एक अर्थ
और भेज रहीं हैं
सब अनुकम्पा उन्हीं की है
बस अक्षर पलटाने हैं
और पीछे ‘त’ लगाना है
पू… न…म
म…न…पूत
अर्थात् मन जिसका पूत है,
पावन है, पवित्र है
कुछ कहना, कुछ करना
जिसे तोते के जैसे
सिखाने पर भी नहीं आया
काली नजर क्या लगायेगी
जिसे यह बच्ची सपने में भी दिख जायेगी
काली नजर उतर जायेगी उसकी

एक अर्थ चलते चलते और देता हूँ
बस ‘पू’ को ‘पौ’ पढ़ना है
हाँ… हाँ…
पौन…मा
मतलब पवन-हवा के जैसे
धक्का नहीं देगी
पेड़ों के लिए नहीं गिरायेगी
बादलों के लिए नहीं उड़ायेगी
पीछे लगा माँ शब्द कहता है
पीछे की हवा के जैसे
यह बच्ची औरों के लिए
मंजिल तरफ धकायेगी
लाठी बनके जमीन में गढ़ जायेगी स्वयं
दूसरों को आसमान छुबाने की खातिर
सच्ची
कुछ हटके ही होगी यह बच्ची
ओम्

अद्भुत, बड़ा ही प्यारा
खूबसूरत, बड़ा ही मीठा नाम है रागिनी
जिसमें ‘रा’ लक्ष्मी का वाची है
‘ग’ गमन का साथी है
और ‘न’ निषेधात्मक है
मतलब
इस बच्ची के हाथ से पैसा लुढ़क चलेगा
यह बात सफेद झूठ में आयेगी
मेहनती जो होगी यह बच्ची
हाँ… हाँ…
‘मैं’ भी हनती होगी
मतलब अहंकार छू न सकेगा इसे
और कार्य ऐसे ऐसे कर जायेगी
‘के दांतों तले अंगुलिंयाँ दाबेंगे लोगबाग
सच भीतरी ज्ञान का चिराग
जाग उठना छोटी नहीं बात
रात
दो दिन के बीच एक दिखेगी इसे
आधा गिलास खाली नहीं
दूध से भरा आधा गिलास दिखेगा इसे

एक अर्थ और कहूँ
राग मतलब राग-द्वेष, तेरा मेरा
‘म’ यानि ‘कि न करेगी यह बच्ची
खूब जानती होगी
प्रेम से जीता जा सकता है, जम
नफरत, घृणा तो यम के द्वार
तरफ बढ़ाया अपना ही एक निष्ठुर कदम
ठग-विद्या और ठगों से कभी
नजर न मिलायेगी यह बच्ची
दिल की सच्ची जो होगी

माँ सरस्वती एक अर्थ
और बतला रहीं हैं मुझे
‘के ‘राग’ मतलब आलाप
ऐसा आलेपेगी यह बच्ची
‘कि
‘नी’ मतलब निखिल विश्व
झूम उठेगा इस बच्ची की ताल पर
नाँच पड़ेगी दुनिया
नेकी करके दरिया में जो डालेगी
‘दिये से दिये जगते हैं’
यह बात इसे
पाठशाला में जाकरके न पढ़ानी पड़ेगी
माँ की कोख से लोरियों में
सीख करके आयेगी यह
फतह इसके साथ परछाई सी चलेगी
यह बच्ची किसी के लिये भी न खलेगी

चलते चलते एक अर्थ और देता हूँ
बल अक्षर पलटाते हैं
र… ग…न
न…ग…र
नगर-नागर मतलब सभ्य जन
आदर्श होगी यह बच्ची
इसका बोलना,
सोचना इसका
इसका उठना-बैठना
यहाँ तक ‘कि
इसका नजर उठाना भी सिखलायेगा
हाँ… हाँ…
सिख…लायेगा
इसकी अनुभव के सीरे में पगीं बातें
सिर्फ बातें न होंगीं
स्वर्ण अक्षरों से वज्रांकित इबारतें होंगीं

मतलब सीधा सीधा है
यह बच्ची सारी दुनिया में
अपने जैसी एक होगी
सच
जागृत हंस विवेक होगी
ओम्

बड़ा ही सुन्दर,
खूब खूबसूरत नाम है सुरभी
सुरभी मतलब खुशबू, सुगंध
और किससे छुपा है
किस्से किस्से तो छपा है
बगैर खुशबू
फूल जिले उर्दू में गुल कहते हैं
वह सार्थक नाम ‘गुल’ मतलब गोल,
नदारद ही हो जाता है
देखते हुये भी दुनिया उसे देखती नहीं है
मतलब सीधा सीधा है
यह बच्ची जिससे अपना हाथ खींच लेगी
वह लड़खड़ा जायेगा
देर अपने पैरों पर खड़ा न रह पायेगा
टेक चलेगा घुटने जमीन पर
सारे सपने जो इसके जायेंगे बिखर
यदि दुनिया मछली है
तो यह बच्ची पानी होगी
यदि दुनिया पंछी है
तो यह बच्ची पंख होगी
राजा हो या रंक
किसी में भी भेद-भाव जो न करती होगी
पैसों की खनखन फिर सुनाई देगी
पहले किसी किस्मत के मारे की
सिसकी सुनाई देगी इसे
सच !
जल्द ही रो देगी
अपना दुख इसे राई सा लगेगा
दुख औरों का इसे पहाड़ जैसा होगा

एक अर्थ और देता हूँ
सुर मतलब स्वर
और ‘भी’ मतलब सामंजस
अर्थात् इसके मुख से निकले वचन
लड़ाई-झगड़े न करायेंगे

‘दोई दीयों में दे दओ तेल,
तुम नाचो हम देखें खेल’
यह लोकोक्ति
इस बच्ची पर स्वप्न में भी लागू न होगी
‘मैं ही सही हूँ’
ऐसा कहेगी कभी यह बच्ची
यह तो दूर रहा,
सोचेगी भी नहीं
लोच रखने वाली सोच जो रखेगी
‘मीठो मीठो बोल थारो काई बिगडे़’
इसके मुख से ही नहीं,
चेहरे से,
आंखों से
यहाँ तक ‘कि
उठाये गये एक एक कदम से झलकेगा

माँ सरस्वती एक अर्थ
और भिजा रहीं हैं मेरे मानस पटल तलक
वह भी सुनियेगा
सुर मतलब देवता
अब बस ‘भ’ को अलग पढ़ करके
मात्रा की जगह
‘ई’ रख लीजिए
हाँ… हाँ…
भा…ई
अर्थात् देवी देवताओं को भी भायेगी यह बच्ची
दिल की सच्ची जो होगी
अन्दर बाहर एक जैसी
कुछ भी छुपा कर न रक्खेगी
खुली किताब होगी

अकेले निर्णय लेते वक्त
मनमानी धारा में बहना न हो चले
इसलिये
बड़े बुजुर्गों के अनुभव
उनके पैर दबाते दबाते दबा लेगी
और पा लेगी निजात
बड़ी बड़ी मुश्किलों से

चलिये
चलते चलते एक अर्थ और देता हूॅं
बस ‘उ’ की मात्रा हटाना है सुर…भी
सर…भी
सुनो सभी शारीरिक अंगोपांग तो अनूठे होगें ही
लेकिन सर जिसे दिमाग कहते हैं
वह जलने जलाने वाला नहीं
चिराग के जैसे
रोशनी करने वाला पायेगी
यह बच्ची
हर समस्या का तोड़
कहीं न कहीं से
जोड़ तोड़ करके निकाल ही लेगी यह
बच्चे दूर बड़े बुजुर्गों के मुख से सुना है
‘के चाचा चौधरी का दिमाग
कम्प्यूटर से भी तेज भागता है
पर चाचा चौधरी से दो नहीं
चार कदम आगे की होगी
यह बच्ची
सच्ची
ओम्

खूबसूरत
बड़ा ही सुन्दर नाम है खुशी
मूल शब्द है खुश
बड़ा प्यारा शब्द है
किसी भी कीमती शब्द के आगे लगकर के
उस शब्द को बेशकीमती बनाने की कला
इस शब्द ने
किसी गुरुकुल में जाकरके नहीं सीखी
यह तो इसे
सहज ईश्वरीय कृपा बरसने से मिली है

नमूने के तौर पर किस्मत शब्द है
खुश शब्द क्या आगे लगा
बदकिस्मती जाकर के
कोश दूर खड़ी हो जाती है

नया नाम करण जो हो चालता है
खुश किस्मत
सो इस बच्ची से जो जुड़ेगा
वह छू लेगा आसमान
यह बच्ची
पीछे की हवा के जैसे
दूसरों के लिए
मंजिल तक धकाती ले चालेगी
और बदले में कुछ लेगी तो दुआएँ,
जिनकी यह मुख तलक झोली
भरने के बाद भी
हमेशा से भूखी ही बनी रहेगी
अर्थात् तीज त्यौहार नहीं
नेकी लगाके तार
लगातार करती रहेगी

एक अर्थ और देता हूँ
‘ख’ मतलब इन्द्रियाँ
आंख, नाक, कान आदि
और ‘सी’ मतलब समान
सो यह बच्ची
पलक भर भी किसी की
नजरों से ओझल क्या होगी
खूब याद आयेगी
इसके बिना
लोगों के काम जो रुक जायेंगे
वगैर आँखों के
जीवन की कल्पना करना कैसा है ?
किसी के लिये क्या बतलाना
लोगों ने एक सुर से कहा
अंधेरी रात के लिये
अमा…बस

माँ सरस्वती एक अर्थ
और दे रहीं हैं
‘ख’ मतलब आकाश
‘सी’ मतलब जैसी
अर्थात् आसमान सी
ऊंची सोच रक्खेगी
थारी मारी, तेरा-मेरा
तू तू मैं मैं जैसे शब्द
किसी भी कीमत पर
दोस्ती न कर सकेंगे इससे
इसने दुनिया के किसी भी व्यक्ति को
पराया माना ही नहीं होगा
जाने ऐसे कैसे चश्मे से देखेगी,
किसी की गलतियाँ
दिखेंगी ही नहीं इसे
खुद के लिये कठोर,
और दूसरों के लिये
मक्खन सी मुलायम
जो होगी यह बच्ची

चलिये
चलते चलते एक अर्थ
और देता हूँ
बस अक्षर पलटाने हैं
खु…शी
सी…खूं
सुनिये
दुनिया सिखाने मचली है
और वास्तव में आता कुछ नहीं
लेकिन यह बच्ची
खूब जानती होगी
पूर्ण ज्ञान होने से पहले
सीखते जाओ, सीखते जाओ

ज्ञान धन वो धन है
जो पर भव में भी
साथ ले जाया जा सकता है
तभी तो शिक्षक
एक जैसा पढ़ाते हैं
पर कोई बुद्ध
और कोई बुद्धू रह जाता है

सो कुल मिलाके सच्ची
यूनिक है यह बच्ची
ओम्

न्यारा
बड़ा ही प्यारा
अनूठा
बड़ा ही मीठा नाम है न्यासा
इस शब्द के अक्षर अक्षर
खुद ही कह रहे हैं
नया…सा
नव, नवीन, नूतन जैसा
मतलब सीधा सीधा है
जितनी बार भी आती जाती
नज़रों से टकरायेगी यह बच्ची
कुछ न कुछ नया
सीखने मिलेगा इससे
चलता फिरता मदरसा
जो होगी यह बच्ची
और यह सब कुछ
इसके माता-पिता के
दिये संस्कार होंगे
जो धीरे धीरे वट वृक्ष के
छोटे से बीज की भाँति
अनुभव का खाद‌-पानी पाकरके
विराट रूप धारण कर लेंगे

एक अर्थ और देता हूँ
न्य यानि ‘कि नहीं
आसा मतलब अभिलाषा,
इच्छा
बेछोर कामना
बड़ी बड़ी ख्वाहिश
मतलब
यह बच्ची सपने नहीं देखेगी
यह नहीं कह रहा हूॅं
पर हाँ…
सपने ही नहीं देखती रहेगी
पूरा करने के बाद
किसी को पता लग पायेगा
इसका सपना
छुपी रुस्तम जो होगी
बड़े से बड़े काम कर जायेगी
किसी को भनक भी न पड़ने देगी
सो यह मत समझ लेना
‘के चोरी-चुपके काम करेगी
बस इतना होगा
‘के ढ़िडोरा पीटती न फिरेगी
फेरेगी किस्मत अपनी
खुद की मेहनत से
औरों के कांधों पर
दुनाली रखकर के दागना
न आयेगा इस बच्ची को

माँ सरस्वती
एक अनमोल अर्थ
और भेंट रहीं हैं
‘नि’ मतलब निखिल विश्व में
‘यसा’ मतलब
यश फैल चलेगा इस बच्ची का
सुमनों की खुशबू के जैसे
सार्थ नाम सुमन
मन की सच्ची जो होगी
यह बच्ची
मन, मन भर का न रक्खेगी
कम नहीं होता वजन चालीस किलो
मतलब हल्की-फुल्की होगी
बिना लाठी के
ऊँची-ऊँची घाटी पार कर लेगी

चलिये
चलते चलते
एक अर्थ और
जिह्वा रथ पर बैठकर
सैर करना चाहता है
बस अक्षर पलटाने है
न…या…सा
स… या…न
मतलब यान, विमान समेत रहेगी
यह बच्ची
विद्याधरों के माफिक
कई विद्याएँ
खेल खेल में रिझा लेगी
इसकी कलाएं देखकर
चाँद शरमायेगा
जमाना अंगुलियां
दाँतों के तले दबायेगा
होगी ही यह बच्ची
अपने जैसी एक
दिले-नेक
ओम्

बड़ा ही अनोखा
हटके कुछ अनूठा नाम है कल्लू
हर एक माँ
सुबह-सुबह बिस्तर छोड़ने से पहले
अपने दोनों हाथ जोड़ने लगती है
भगवान् के आगे
बन्द करके आँखें अपनी
‘के प्रभु ! मेरे जिगर का टुकड़ा
कहीं किसी की नजर न खा चले
और दूसरों की तो दूर
मेरी अपनी ही नज़र
न लग जाये मेरे लाल के लिए
तभी होने पर भी लाल
कल्लू पुकारा माँ ने
और हो चली निश्चिन्त

अब जब कभी
माँ से पड़ोसन मिलती है तो
नजर न लगाकर
तिनके तोड़कर
बच्चे की बलाएँ लेती हुई
कहती है
ओ ‘री गौरी
इतने सुन्दर से बच्चे का नाम
कल्लू क्यों रक्खा है ?

बाहर से माँ कहती है बहिन !
कलयुग में आया है
और दुनिया सारी
एक सुर कह रही है इसे
जुग-सत् शिव सुन्दर
‘री इतना सुन्दर भी नहीं है
और भीतर ही भीतर बुदबुदा रही है
धन्य प्रभो !
इसकी नजरों से मेरा ‘लाल’
बच गया

मतलब सीधा सीधा है
यह बच्चा कभी
किसी की नजर न खायेगा
अपने आस पास
नेकियों का
इतना उजाला जो रक्खेगा
‘कि इसका नाम गोरे गाल पर
काले तिल के जैसे
कीमती ही नहीं
बेशकीमती हो चालेगा

एक अद्भुत अर्थ देता हूँ
कलकल एक ध्वनि का नाम है
जिसे ‘ल’ यानि ‘कि लाने वाला
सो कलकल की ध्वनि
झरने से आती है
इसलिये यह बच्चा
झरने के जैसा बगैर स्वार्थ के
आ चालेगा दूसरों के काम
नाम से इसे रत्ती भर भी
मतलब न रहेगा
पानी राखेगा
पानी यानि ‘कि लाज
जिसके बिना
सब शून हो चालता है
मतलब गुणों में चन्द्रमा पून
इसके आगे न लगेगा

एक दूसरा ही अर्थ देता हूँ
बस सन्धि विच्छेद करना है
और एक शिक्षाप्रद अर्थ
निकल के सामने आता है
कल्ल्+’उ’
‘उ’ मतलब पराया
सो सहजो-निराकुल अर्थ हुआ
कल्ल मतलब ‘कल’ पराया है
अपना तो आज है
सो यह बच्चा
कल का भरोसा न करेगा
आज का काम
आज ही निपटाने की सोचेगा
न बीते हुये
कल का अफ़सोस करेगा
और ना ही
आने वाले कल की चिंता-फिकर

सुनो
एक बड़ा ही अपूर्व अर्थ देता हूँ
बस कल्लू को कालू पढ़ना है
‘के जब भी काल आयेगा
और आकर के दस्तक देगा
सो भीतर से इस नाम बच्चा बोलेगा
कौन ?
तो जब यमराज कहेंगे
मैं काल
तो यह बच्चा बोलेगा,
हाँ मैं काल…’उ’

तब यमराज समझेंगे
‘के मकान खाली है
भीतर से मेरी ही आवाज लौटकर
प्रतिध्वनित जो हो रही है
और काल कई बार आकर के भी
इस बच्चे के लिये
अपने साथ न ले जा पायेगा
शतायु होगा
चिरायु होगा
पूर्णायु होगा यह बच्चा
दिल का सच्चा जो होगा

माँ सरस्वती
एक प्यारा सा अर्थ और
कण्ठ तलक भिजा रहीं हैं
कलरव शब्द तो
सुना ही होगा हम लोगों ने
कल यानि ‘कि मीठा
रव यानि ‘कि स्वर, आवाज, बोली
सो सच मानियेगा
यह बच्चा बोलते ही
चित्त चुरा लेगा
इसकी बोली के आगे
मीठी सन्तरे की गोली क्या लेगेगी

चलिये
चलते-चलते एक अर्थ और
कौंध रहा है मेरे मन में
उसे भी सुना ही देता हूँ
बस ‘उ’ की मात्रा हटाकर
अक्षर पलटाने हैं
क…ल…ल
ल…ल…क
मतलब सीधा सीधा है
यह बच्चा
हर हुनर सीखने की
ललक रक्खेगा
आलस इसके स्वप्न में भी
कदम न रख सकेगी
बड़ा साहसी होगा
किसी भी काम का बीड़ा
उठाने का अवसर
हाथ से न जाने देगा
और मुश्किल से मुश्किल
काम के लिए
अंजाम देने के बाद ही दम लेगा
सच इस जैसा होनहार बच्चा
दूसरा न होगा
ओम्

बड़ा ही अनोखा
हटके कुछ अनूठा नाम है कल्लू
हर एक माँ
सुबह-सुबह बिस्तर छोड़ने से पहले
अपने दोनों हाथ जोड़ने लगती है
भगवान् के आगे
बन्द करके आँखें अपनी
‘के प्रभु ! मेरे जिगर का टुकड़ा
कहीं किसी की नजर न खा चले
और दूसरों की तो दूर
मेरी अपनी ही नज़र
न लग जाये मेरे लाल के लिए
तभी होने पर भी लाल
कल्लू पुकारा माँ ने
और हो चली निश्चिन्त

अब जब कभी
माँ से पड़ोसन मिलती है तो
नजर न लगाकर
तिनके तोड़कर
बच्चे की बलाएँ लेती हुई
कहती है
ओ ‘री गौरी
इतने सुन्दर से बच्चे का नाम
कल्लू क्यों रक्खा है ?

बाहर से माँ कहती है बहिन !
कलयुग में आया है
और दुनिया सारी
एक सुर कह रही है इसे
जुग-सत् शिव सुन्दर
‘री इतना सुन्दर भी नहीं है
और भीतर ही भीतर बुदबुदा रही है
धन्य प्रभो !
इसकी नजरों से मेरा ‘लाल’
बच गया

मतलब सीधा सीधा है
यह बच्चा कभी
किसी की नजर न खायेगा
अपने आस पास
नेकियों का
इतना उजाला जो रक्खेगा
‘कि इसका नाम गोरे गाल पर
काले तिल के जैसे
कीमती ही नहीं
बेशकीमती हो चालेगा

एक अद्भुत अर्थ देता हूँ
कलकल एक ध्वनि का नाम है
जिसे ‘ल’ यानि ‘कि लाने वाला
सो कलकल की ध्वनि
झरने से आती है
इसलिये यह बच्चा
झरने के जैसा बगैर स्वार्थ के
आ चालेगा दूसरों के काम
नाम से इसे रत्ती भर भी
मतलब न रहेगा
पानी राखेगा
पानी यानि ‘कि लाज
जिसके बिना
सब शून हो चालता है
मतलब गुणों में चन्द्रमा पून
इसके आगे न लगेगा

एक दूसरा ही अर्थ देता हूँ
बस सन्धि विच्छेद करना है
और एक शिक्षाप्रद अर्थ
निकल के सामने आता है
कल्ल्+’उ’
‘उ’ मतलब पराया
सो सहजो-निराकुल अर्थ हुआ
कल्ल मतलब ‘कल’ पराया है
अपना तो आज है
सो यह बच्चा
कल का भरोसा न करेगा
आज का काम
आज ही निपटाने की सोचेगा
न बीते हुये
कल का अफ़सोस करेगा
और ना ही
आने वाले कल की चिंता-फिकर

सुनो
एक बड़ा ही अपूर्व अर्थ देता हूँ
बस कल्लू को कालू पढ़ना है
‘के जब भी काल आयेगा
और आकर के दस्तक देगा
सो भीतर से इस नाम बच्चा बोलेगा
कौन ?
तो जब यमराज कहेंगे
मैं काल
तो यह बच्चा बोलेगा,
हाँ मैं काल…’उ’

तब यमराज समझेंगे
‘के मकान खाली है
भीतर से मेरी ही आवाज लौटकर
प्रतिध्वनित जो हो रही है
और काल कई बार आकर के भी
इस बच्चे के लिये
अपने साथ न ले जा पायेगा
शतायु होगा
चिरायु होगा
पूर्णायु होगा यह बच्चा
दिल का सच्चा जो होगा

माँ सरस्वती
एक प्यारा सा अर्थ और
कण्ठ तलक भिजा रहीं हैं
कलरव शब्द तो
सुना ही होगा हम लोगों ने
कल यानि ‘कि मीठा
रव यानि ‘कि स्वर, आवाज, बोली
सो सच मानियेगा
यह बच्चा बोलते ही
चित्त चुरा लेगा
इसकी बोली के आगे
मीठी सन्तरे की गोली क्या लेगेगी

चलिये
चलते-चलते एक अर्थ और
कौंध रहा है मेरे मन में
उसे भी सुना ही देता हूँ
बस ‘उ’ की मात्रा हटाकर
अक्षर पलटाने हैं
क…ल…ल
ल…ल…क
मतलब सीधा सीधा है
यह बच्चा
हर हुनर सीखने की
ललक रक्खेगा
आलस इसके स्वप्न में भी
कदम न रख सकेगी
बड़ा साहसी होगा
किसी भी काम का बीड़ा
उठाने का अवसर
हाथ से न जाने देगा
और मुश्किल से मुश्किल
काम के लिए
अंजाम देने के बाद ही दम लेगा
सच इस जैसा होनहार बच्चा
दूसरा न होगा
ओम्

दुनिया का सबसे प्यारा
कुछ हटके ही निराला
यदि कोई नाम है
तो वह है नेहा
सही शब्द है स्नेह
चूँकि आधा ‘स’ बोलते वक्त
‘इ’ लगाकरके
जो बोलना पड़ता है
इसलिये स्थान को
थान बोलने का रिवाज है
पुलिस-थाना सुना ही होगा आपने
सो भले नेह का अर्थ
किसी को पता न हो
लेकिन स्नेह का मतलब तो
बच्चा बच्चा जानता है
सो मतलब सीधा सीधा है

नफरत शब्द को छोड़ कर
किसी और शब्द से
इसे नफरत नहीं होगी,
सच्ची प्रीत की
यह बच्ची मिशाल होगी
किसी से कुछ चाहत रखकर के
स्नेह न करेगी
सभी के लिए अपना मानकर
उसका काम बनाने में
लग जायेगी
अपने से ज्यादा
अपनों का ध्यान रक्खेगी

आप कहें तो
एक राज खोलूँ इस बच्ची का
दोष सा लगेगा
लेकिन है गुण
न… हा !
अर्थात् यह बच्ची हाँ को
हा !
यानि ‘कि अच्छा न मानेगी
किसी के लिये झूठा दिलासा न देगी
‘हाँ आऊँगी’
‘हाँ दे दूँगी’
ऐसी हामियॉं न भरती रहेगी
बगैर सोचे समझे
‘के कल सामने वाला ‘फ्रॉड’ कहे
इसलिये यह बच्ची
एक बार ना करना पसंद करेगी
झूठ-मूठ हाँ कहना इसे
रास न आयेगा
दिल की साफ
जो होगी यह बच्ची

माँ सरस्वती
एक अर्थ और दे रहीं हैं
बस सन्धि तोड़ना है
शब्द स्नेह की
सन्+इह
Sun
सन् मतलब सूर्य,
इह मतलब यह
अर्थात् यह बच्ची सूर्य के जैसी
तेजस्वी होगी,
ओजस्वी, मनस्वी होगी
अज्ञान रूप अंधकार
देर न टिकेगा इसके आगे
मतलब उजाले में रहकर
उजाला करेगी

एक अर्थ और देता हूँ
न+ईहा
ईहा मतलब इच्छा
सो यह बच्ची
बड़ी बड़ी महत्वाकांक्षा के
चक्कर में पड़ कर
घुलने का रास्ता न पकड़ेगी
‘जाहि विधि राखे राम,
ताहि विधि रहिये’
इस आर्ष वाक्य से वास्ता रक्खेगी
सहजो-निराकुल होगी
निरा मतलब कुल मिलाके हटके

चलिये
चलते चलते
एक अर्थ और मेरे ज़हन में
उमड़ रहा है
बस उक्षर पलटाने हैं
मात्राएँ हटा करके
स…न…ह
ह…न…स
अब ‘न’ के लिए हलन्त कर दो बस
शब्द सार्थक बन चलेगा
‘हंस’
हाँ… हाँ…
यह बच्ची हंस जैसी बुद्धि रक्खेगी
जैसे हंस दूध-पानी से से
पानी छोड़कर के
दूध-दूध पी लेता है
उसी प्रकार एक बच्ची
सार ग्रहण करने वाली होगी
जन्म मानस पाकर के
अच्छाई रूपी मोती चुगेगी
सच
यह बच्ची
नेकियों के द्वारा
आकाश छुयेगी

सुन्दर
बड़ा मीठा
प्यारा
न्यारा ही
जादू भरा नाम है पीयूषी
पता नहीं लगता है
इंग्लिश बोल रहा है कोई या हिन्दी
P. U. C.
मतलब सीधा सीधा है
यह बच्ची कहीं न कहीं से
अपना काम निकाल ही लेगी
हर-फनमौला जो होगी यह बच्ची
इस तिलिस्मी नाम में
‘P’ फॉर पापुलर
‘U’ फॉर यूनिक
और ‘C’ फॉर केरेक्टर
सो यह बच्ची
अपनी नेकियों के पंख लगाकर के
आसमान में दिखाई देगी
अनायास ही
इसके माँ-पापा के मुख से निकलेगा
जरूर हमारे
पूर्व जन्म के पुण्य का
फल यह बच्ची

और पीयूष मतलब
होता है अमृत
सो सुनते ही है
शकर गुड़ से मीठा अमृत होता है
इसलिये यह बच्ची कड़े बोल से
कड़वे बोल से परहेज रक्खेगी
इसकी जुबां को अपशब्दों का जायका
कैसा होता है
यह पता ही नहीं होगा
जाने, दुनिया क्यूं नहीं समझ पाती है
कोयल भी है
कौआ भी है
हाँ हाँ दोनों काले हैं
पर कौए के लिये
दिलों पर लगे ताले हैं
यह बात पीयूषी को
सिखानी नहीं पड़ी
आज से अब से नहीं
यह बच्ची कई जन्मों से
फिजाओं में खुशबू
छोड़ती आई है
इसलिये संस्कार वश
बगैर मदरसे गये
गॉड गिफ्ट है इसे
गम खाना
और गुस्सा पी जाना

माँ सरस्वती
एक अर्थ और भिजा रहीं हैं
बस थोड़ी सी जोड़ तोड़ करनी है
हमें पता ही होगा
शादी होती है जब बच्चियाँ
पिया के घर जाती है
यह पिया शब्द प्रिय से बन चला है
और बड़े ‘ऊ’ की मात्रा नामों में
प्यार से जब बुजुर्ग बुलाते हैं
बच्चों के लिए
तब लगा दी जाती है
जैसे नाम है राज
प्यार से लोग कहेंगे राजू
नीलम से नीलू
वैसे ही ‘पी’ के लिए ‘प्रि’
और ‘यू’ के लिए ‘य’ करने के बाद
सार्थ नाम बनता है प्रिय…सी
मतलब
यह बच्ची
बड़ी ही प्यारी होगी
परियाँ इसे देखते ही
बगलें झाँकतीं होंगीं
इसकी मम्मी इसे
घर से बाहर निकलने से पहले
एक काला टीका देगी
और घर आते ही
तिनके तोड़ करके बलाएँ लेगी
और ऐसे ही
सबकी चहेती न बन चलेगी
होगी गुणों के भार से
कुछ कुछ झुकी नजरों वाली
मन्थर-मन्थर चाल वाली
इसके चलते समय
पैरों की आवाज कोई
सुन न सकेगा

चलिये
चलते चलते
एक अर्थ और देता हूँ
बस इस नाम की सारीं
दीर्घ मात्राएं
ह्रश्व कर लीजिएगा
पी…यू…सी
प… य… श
पयस् के लिए
संस्कृत में दूध कहते हैं
दूध का एक अद्भुत गुण होता है
जो पानी के लिये भी
अपना रंग-रूप दे करके
उसे भी अपने जैसा
कीमती बना लेता है
इसलिये
इस बच्ची के
आसपास रहना चाहेंगे सभी
‘के इसकी परछाई भी
जिस किसी पर पड़ जायेगी
उसकी किस्मत बदल जायेगी
प्रशंसा के बाँध बाँध
यह बच्ची पीछे की हवा के जैसे
अपने आसपास रहने वालों की
चुनर में चार चाँद और सितारे
टकने में जो करेगी मदद
पीयूषी जिये शत शरद्
ओम्

मीठा, बड़ा ही सुन्दर
अद्भुत अनूठा ही नाम है अंकुर
जिसका शाब्दिक अर्थ है सफल
यह नाम रख करके
इस बच्चे की माँ ने
सारा हाथी तो निकाल दिया
बस पूँछ मात्र निकल चले
इतनी मेहनत की जरूरत है
सो यह बच्चा जहाँ भी हाथ डालेगा
खाली हाथ न लौटेगा
छुयेगा माटी, सोना बन चालेगी वह

एक बड़ा प्यारा सा अर्थ और है
अन मतलब अन्य,
हटके दूसरा ही
और
कुर-कर यानि ‘कि हाथ
मतलब दिन भर का
थका हारा न आयेगा यह बच्चा
‘के मेहनत मजदूरी करके
हाथों में भट्टे पड़ चलें
यह बच्चा दिमाग से काम लेगा
और घर बैठे-बैठे
कागजों पर चिरैया बनायेगा
और रुपैया कमायेगा
कुछ हटके सोच
जो रक्खेगा लोच वाली
हर कोई
इसके साथ काम करना चाहेगा

एक अर्थ और दूॅं
‘कर’ का मतलब किरण भी होता है
और अन मतलब ऐसी एैसी नहीं
आश की,
विश्वास की, भरोसे की किरण
मतलब
यह बच्चा
किसी के साथ धोखा नहीं करेगा
हाँ हाँ…
खा चलेगा धोखा
लेकिन धोखा देने का मौका भले मिले
अपने विरोधियों को भी क्षमा कर देगा
यह सोच करके
‘के भूल इन्सान से ही होती है
भगवान् और इन्सान में
यही एक भूल ही तो है
जो फर्क करती है
गलती इन्सान के नाम
और जो भूल न करके
औरों की भूल भूल जाता है
वह भगवान् है

माँ सरस्वती
एक अर्थ और बतलाने में
सहायता कर रहीं हैं
वह भी सुनियेगा
बस पीछे ‘न’ लगाना है
जो बोलचाल की भाषा में
लगा लिया जाता है
जैसे किसी ने पूछा
माँ कहाँ से आ रही हो ?
तो वह माई कहेगी
अंकुरन के घर से
मतलब अंकुर लोगों के
घर से आ रही हूॅं
सो नया शब्द
अंकुरन
अन-करण
करण मतलब इन्द्रिय
सो हटके ही कुछ इन्द्रिय
जो छटी छटाई है
वह मन इस बच्चे का
सहजो-शांत रहेगा
यह बच्चा छोटी छोटी बात में
डिप्रेशन में न आ जायेगा
जिन्दगी की राह में
आने वाले कॉंटों के लिए
मुँह तोड़ जबाब देना इसे
किमी मदरसे में जाकरके नहीं
सीखना पड़ा होगा
इसकी माँ ने लोरियों में

होश और जोश दोनों
कर्ण द्वार से
कण्ठ तक पिलाकर के राखे होंगे

चलिये
चलते-चलते एक अर्थ और देता हूँ
बस अक्षर पलटा करके
‘क’ के पास वाला व्यंजन ‘ख’ पढ़ना है
अ…न्…कु…र
र…खुॅं…अ
अ मतलब अस्मिता
जिसे लाज, शरमो हया कहते हैं
सो यह बच्चा
अपने घर परिवार की
अपने कुल धर्म की
अपने देश राष्ट्र की
आन बान और शान पर
कभी भी कोई आँच न आने देगा
फूँक फूँक के जो रक्खेगा कदम
सच
आज नहीं तो कल
जरूर इसके कदम चूमेगी मंजिल
ओम्

प्यारा
अनूठा बड़ा ही मीठा नाम है नैनी
अय की मात्रा लगाने की जगह
अय लिखते ही शब्द बढ़ता है नयनी
मतलब
नयन के जैसी बेशकीमती
अपने शरीर के सारे अंग-प्रत्यंग
एक पलड़े पर रख लीजिए
और दूसरे पलड़े पर आँखें
मैं दावे के साथ कहता हूँ
दूसरा पलड़ा ही भारी होगा
मतलब
यदि दुनिया, तारे के जैसी है
तो यह बच्ची चाँद के जैसे होगी
यदि दुनिया मछली के माफिक है
तो यह बच्ची पानी के जैसी होगी
यदि दुनिया पंछी के समान है
तो यह बच्ची पंख के जैसी होगी
खुशबू के बिना
जैसे फूल की कोई भी
कीमत नहीं होती है
वैसे ही इसके साथी
शून्य का किरदार निभायेंगे
और यह बच्ची अंक होगी
अंक के लिए दक्षिण में गुण कहते हैं
सो नेकियों का
निलय होगी यह बच्ची
आँखों पर पलकों का पर्दा
जो रक्खेगी

हाथ उठाना तो दूर
यह बच्ची आँखें भी न उठायेगी
किसी से आँखें चार होते ही
दिल का भार जो बढ़ चलता है
और पहले से की हृदय में
गुरु मतलब भारी-भारी लोग जो
विराजमान हैं
जिन्हें यह बच्ची
किसी भी कीमत पर
मरते दम तक
अपने हृदय से
नहीं निकाल सकती है

एक अर्थ और सुनाता हूँ
बस मात्राएँ अलग से पीछे लिख लो

न…या, न…ई
मतलब यह बच्ची कभी भी उदास,
अलसाई, मायूस न रहेगी
हाँ हाँ…
मासूम इसके जैसा
और कोई नहीं होगा,
मन की जो साफ रहेगी
दिल की जो सच्ची होगी
जिस किसी की बात
दिल पर लिये लिये न घूमेगी
बोझ जो न रक्खेगी
अपनी नाक पर

इसके पास बैगिंल,
सैण्डिल भले मैचिंग की हों
या न हों
लेकिन यह बच्ची
चश्मे रंग-रंग के रक्खेगी
जिन चश्मे से देख रहा होगा
सामने वाला
उसी रंग का चश्मा
लगा करके देख लेगी
सारा संघर्ष
नासमझी का ही तो है,
लोग सिक्के का
दूसरा पहलू जो भूल जाते हैं
वरना कम हर्षमय नहीं है जीवन
सो यह बच्ची खुश मिजाज होगी
मतलब सारी दुनिया की चहेती

माँ सरस्वती
एक कुछ हटके अर्थ और दे रहीं हैं
चूँकि इस नाम में दो ‘न’ हैं
सो यह बच्ची
नानी, नानी के जैसे अनुभव लिये
उतरी होगी धरती पर
मतलब
चलती-फिरती नुस्खों की किताब होगी
बड़ी गंभीर होगी

सारी वसुधा इसे कुटुम के जैसी होगी
यह बच्ची न… ना कहेगी
जिसने जो भी काम बताया होगा
अपने मौज मस्ती का समय
उसके काम पर कुर्बान कर चलेगी
अपना नाम नहीं चाहेगी
लेकिन हवाओं को भी तो
चलानी है दुकान अपनी
खुशबू को ओर से छोर तक
ले जाकर के
सो खूब जश फैलेगा
इस बच्ची का

चलिये
चलते चलते
एक अर्थ और देता हूँ
बस अक्षर पलटाने हैं
और किसी छोटे बच्चे से कहलवाना है
जिसकी जिह्‌वा
अभी अच्छे से पलटी नहीं खाती है

चलिये देखते है
शब्दों का जादू
नै… नी
नी… नै
हाँ हाँ…बच्चा बोलेगा नीनय
मतलब निर्णय
सो सहजो-निराकुल अर्थ हुआ
इस नाम का

‘के यह बच्ची जल्दबाजी न करेगी
सोच समझकर के निर्णय लेगी
सिर्फ दिमाग से ही नहीं
दिल से भी
यदि कम शब्दों में कहूँ
तो एक दिन
यह बच्ची जुड़ चालेगी
मंजिल से ‘जी
ओम्

अद्भुत शब्द है प्रीति
यह मुँहताज नहीं ‘के कोई इसे प्यारा
खुबसूरत या सुन्दर कहे
अक्षर अक्षर इसके स्वयं ही बोलते हैं

मैं तो सोच में पड़ जाता हूँ
यह सोचते हुये
‘के इस बच्ची के दुश्मन
दुश्मनी कैसे रख पाते होंगे
इसका नाम लेते ही जो कह चालते हैं प्रीति

सो यह बच्ची
दुनिया के सभी लोगों को
दोस्त भले न बना पाये
लेकिन किसी को भी दुश्मन तो न बनायेगी
बड़ा मीठा जो बोलेगी
‘वनस् मोर’
वन में मोर का नृत्य देखकर
एक मोर से बोलेंगे लोगबाग
और एक इस बच्ची के
मीठे शब्द सुनने लालायित रहेंगे
कभी किसी की चुगली जो न खायेगी यह
किसी की बुराई सुनते वक्त
अंगुलियाँ जो कान के छिद्र के
नाप की बनाईं जातीं हैं
उनका उपयोग करना न भूलेगी यह

देखियेगा,
इस प्रीति नाम में दो अक्षर है
प…त
मतलब सीधा सीधा है
यह बच्ची ‘पत’ मतलब
लाज शरमो हया की जीती जागती
एक तस्वीर होगी,
बड़ी गंभीर होगी
खूब जानती होगी
लोचन का अर्थ
‘के लोचन मतलब सिर्फ आँख नहीं है
लोच…न
मतलब इनके अन्दर लोच नहीं है
यानि ‘कि दिल कठोर है इन नजरों का
छोटी-छोटी बात पर लाल हो जातीं हैं
चाहे जिस से ये नजरें टकरा जातीं हैं
बड़ी काली भी रहतीं हैं
रूप रंग से ही नहीं,
अन्तरंग से भी
हरा भरा पेड़
इनके लगते ही ढ़ेर हो जाता है
सो यह सब बातें समझकर के
यह बच्ची
अपनी नजरें
पलकों की ओट में रक्खेगी
या फिर नीचीं रक्खेगी

एक अर्थ और कहूँ
ऐसा माँ सरस्वती
मेरे कान के पास
आ करके कह रहीं हैं
‘के बस इस प्रीति नाम को
किसी ग्रामीण से बुलवाना है
ती को थी पढ़ते हुए
और एक सार्थक शब्द रच चलेगा
परी … थी
मतलब दुनिया में अब तक
सबसे सुन्दर परी थी
लेकिन जिस दिन से
यह नाम पड़ा इस बच्ची का
तब से यह बच्ची है
सबसे खूबसूरत
सुनो,
खूबसूरती किरदार से आती है
दया, करुणा, क्षमा
इसके पर्यायवाची नाम होंगे
किसी का काम बना देगी
और लेगी बदले में आशीष
दुआएँ बुजुर्गों कीं

एक अर्थ और देता हूँ
इस प्रीति नाम के
प… त दोनों अक्षरों को पलटाना है
प.. त
त.. प
मतलब यह बच्ची
बड़ी लगन से करेगी
हो कोई भी नाम
मानो ऋषि वाल्मीकि
रच रहे हों चरित-राम

जब तलक काम पूरा हो चलेगा,
चैन की नींद न लेगी
आराम फरमाना
होगा खरगोश के नाम
कहानी में
जिसके होश उड़ चालते हैं
यह बच्ची तो कछुये के जैसे
फतही पताका लहरायेगी

चलिये
चलते-चलते
एक अर्थ और देता हूँ
परि…ती को
‘प’ के बाद रुक के पढ़ना
और कुछ मात्रा के हेरफेर से
और पीछे ‘र’ जोड़ने के बाद
बन चालता है
एक सार्थक शब्द
पा…र तीर
मतलब
लौकिक हो
या पारलौकिक
सारीं की सारीं मंजिलें
इस बच्ची के कदम चूमेगीं
हवाएँ इसकी खुशबू
चारों दिशाओं में
फैलाकरके नाचेगी
खुशी में झूमेगी
ओम्

सबसे प्यारा
सारे जग से न्यारा
बड़ा खूबसूरत
मिसरी भी से मीठा
यदि कोई नाम है
तो आभा
जिसका सहजो-सरल अर्थ है
कान्ति, प्रभा, चमक, ओज, तेज, नूर
जो सिर्फ रूप रंग में ही नहीं
अन्तरंग में भी होता है
सो यह बच्ची दिल की सच्ची होगी
एक एक नेकी यदि खुशबूदार गुल है
तो यह बच्ची गुलदस्ता होगी

‘Fee’ की बात न करेगी
और फीकी बात न करेगी
हाथ हाथ बना देगी काम सबके
आसमाँ से उतरी जमीन पर
दूसरी ही फ़रिश्ता होगी
नूर ऐसा वैसा नहीं आसमान वाला
टपकेगा इसके चेहरे से
लाज शरमो हया की
प्रतिमा ही होगी दूसरी
इसकी झुकी झुकी नजरें
देतीं होंगीं हवाला
‘के सपने में भी
इसने कभी किसी से
आँखों में आँखें डालकर के
बात न की होगी

एक बड़ा सुन्दर सा अर्थ और है
आ…भा
अ से लेकर के
सभी स्वर और व्यंजन
इसे भा यानि ‘कि भाते होंगे
मतलब
पढ़ने से जी
न चुराती होगी यह बच्ची
माँ सरस्वती
इसके कण्ठ में आजकल से नहीं
माँ के पेट से ही
विराजमान हो चलीं होंगी
हर सवाल लाजवाब जवाब देना
इसे किसी मदरसे में जाकरके
नहीं सीखना पड़ा होगा
औरों की ठोकरों से
सीख चालेगी खुद-ब-खुद

तभी तो सपने में भी
ठोकर के लगने से
आने वाली चीख
इसकी दादी नानी ने भी न
सुनी होगी
जिनके आस-पास
यह दिन रात रहती है
दादी नानी के नुस्खे
इसने सिर्फ रट ही नहीं लिये होंगे
घोटकर पी चली होगी यह
रग-रग में इसके
वेदों की रिचाएं आतीं जातीं होंगीं
मतलब यह बच्ची
विदुषी ही नहीं
अपने साथियों के लिए
गॉड गिफ्ट
एक विभूति होगी

माँ सरसुति
एक अर्थ और दे रहीं हैं
बस इस आभा नाम में
कुछ मात्राओं का हरेफेर करना है
और नया शब्द बन चलता है ‘अभी’
मतलब यह बच्ची
कल का कोई भरोसा न करेगी
आज का काम आज ही नहीं
अभी के अभी निपटा लेंगी
सुलझा लेगी
रिश्तों के धागों में आ पड़ी गाँठें
भीतर ज्ञान जो रक्खेगी
कुछ हटके जो सोचेगी
गाँठ का दूसरा अर्थ
भारी पोटली जो है
सो बोझ लिये आसमान छूने रूप
पर्वत की चढ़ाई में
कठिनाई जो आती है
सो चश्मा भारी लगेगा इसे
नाक पर गुस्से का बोझ
कभी कोई देख पाया हो
और को तो छोड़िये
खुद राम को भी मालूम ने होगा
जिनका जश ‘हर बोलो’ जन गाते हैं
‘के राम जानें

चलिये
चलते चलते एक अर्थ और
मेरे मन में गुदगुदी खिला रहा है

उसे भी सुन लीजियेगा
बस इस आभा नाम के
अक्षर पलटाने है
आ… भा
भा…आ
अब देखिये संस्कृत में बोलते वक्त
‘म्’ हर कहीं लगा देते हैं
नौसीखिया लोग
सो शब्द बना भाअं
अब देखिये ‘अं’ का
अनुस्वार हो जाता है
सो यहाँ अनुस्वार
‘न’ रख लीजिए
बन चला सार्थक शब्द
‘भान’
सच यह बच्ची रोशनी फैलायेगी
फिजाओं में विष घोलना इसे
इसके गुरु भगवान् ने
गुरु दीक्षा देते ही
गुरु दक्षिणा में मँगा लिया होगा
सच
‘अ’ मतलब अखिल, सम्पूर्ण
‘भा’ मतलब भारत
इन बच्ची का जश गायेगा
ओम्

बड़ा ही खूबसूरत
कुछ हटके निराला
बड़ा ही मीठा नाम है निधि
कीमती ही नहीं
बेशकीमती चीजों को निधि कहते है
जो हर किसी की किस्मत में कहाँ
हॉं… चक्रवर्ती के पास
संख्या के ‘नव’ होतीं हैं
मतलब यह बच्ची
अपने मम्मी, पापा
और सखा सहेलियों के लिए
पुण्यशाली बनाती है
पुण्यहीन इससे दोस्ती तो दूर
इससे बात भी न कर पायेंगे
इस बच्ची के आगे
कोहनूर का नूर भी
बगलें झांकेगा
रक्खेगी महक इतनी,
इसके किरदार से
खुशबू कुछ हटके आयेगी
सुन लेगी दो बातें
पल मन ही मन बुदबुदा लेगी
लेकिन कभी बड़ों के लिए
इसने जबाब दिया हो
ऐसा राम जी को भी
पता न होगा
खूब जानती होगी
सवा…लात
हम उठा ही नहीं सकते हैं
दुनिया भले उठा ले
यह बच्ची पी चालेगी गुस्सा
और गम्म खा लेगी
अपनों से जीत कर
उनके दिल में दरार न लायेगी,
काँच का जो होता है दिल
एक बार टूटने के बाद
कभी जुड़ता है
यह श्रुति वाक्य किसे नहीं पता है

एक अर्थ और देता हूँ
‘नि’ मतलब न्याय नीति वाली
‘धी’ मतलब बुद्धि सो
सीधा सीधा अर्थ है
‘के यह बच्ची न्याय-नीति के
पक्ष में रहेगी
सत्य के लिये
लड़ जायेगी
भिड़ जायेगी
पापों का सरदार किल्विष
जैसे ही कहता है
“अंधेरा कायम रहे”
यह बच्ची अपने दोनों हाथ
दोनों कानों पर रख लेती होगी
हंस के जैसा क्षीर-नीर विवेक
इस बच्ची के लिये
विरासत में मिला होगा
चुटकी भर भी चुगली
न चाखती होगी यह

माँ सरस्वती
एक अर्थ और दे रहीं हैं
बस इस निधि शब्द के
‘न’ और ‘ध’ अक्षर पलटाने हैं
न…ध
ध…न
मतलब इस बच्ची पर
लक्ष्मी तो प्रसन्न रहेंगी ही रहेंगी
और साँचा धन
जो ज्ञान धन है
जिसे कोई चुरा नहीं पाता है
खर्च करते ही बढ़ता जाता है जो
सो कण्ठ में आकर के
सरस्वती विराजमान रहेंगी
अब दो देवी को
इस बच्ची पर रीझी देख
गो’री भी सीझ चालेंगी
गो के जैसे मन की गोरी
जो होगी यह बच्ची

चलिये
चलते चलते एक अर्थ और देता हूँ
इस निधि शब्द में
न अक्षर कह रहा है
‘ध’ नहीं पास वाला दूसरा अक्षर रखो
मतलब त, ध और फिर आने वाला
अक्षर ‘द’ रक्खो

तब सार्थक शब्द बनता है
नदी
मतलब यह बच्ची
दरिया दिल इन्सानों में आयेगी
दूसरों की दुख पीड़ा देखते ही
इसकी आँखें नम हो चालेंगी
खुद के दुख में रोई होगी कभी यह
यह बात
इसे ही खुद याद न होगी
नदी के जैसे अपनी मंजिल
सागर की तरफ बढ़ी चलेगी
मुड़कर देखना कामयाबी से पहले
इसे न आ पायेगा
भले कोई तोते के जैसे भी पढ़ायेगा
मतलब
सहजो-निराकुल होगी यह बच्ची
सच्ची

मीठा, बड़ा ही प्यारा,
खूब खूबसूरत नाम है नैंसी
नैन मतलब आँख
सो यह बच्ची
आँखों के जैसी अनमोल होगी
और आँख दो ही नहीं
तीसरी भी होती है
सो कुछ भीतर के
ज्ञान की स्वामिनी होगी यह बच्ची
आँखें कुछ अद्भुत अपना
दान देने की आदत से
मजबूर जो रहतीं हैं
सो दूसरों को पीड़ा देखकर के
यह बच्ची
कुछ आँखों के बेशकीमती मोति
उसकी झोली में डालने से
अपने आपको न रोक पायेगी
आँखों के ऊपर
पलकों का पर्दा रहता है
और प्रकृति किसी भी चीज के लिए
बेकार जो नहीं बनाती है
सो पलकें पल के लिये खोल
फिर बन्द करके
वन्दना कर आयेगी
अपने भीतर बैठे
आतम राम की

एक कुछ न्यारा ही
अर्थ और देता हूँ
न निशी
निशी मतलब रात्रि
सो इस बच्ची के जीवन में
दुखों की रात न आयेगी
सदा खुशियों का दिन रहेगा
उजाले के साथ दोस्ती रहेगी इसकी
अंधेरा
इसका आसमानी नूर वाला चेहरा
देखते ही दुम दबाकर के
भागता दिखेगा
रात्रि का एक नाम दोषाकर भी है
सारे अपराध रात में ही जो होते हैं
सो यह बच्ची ऐसी ग़लती करेगी
जो पानी की रेखा जैसी
तुरंत मिट चले,
तुंरत के तुरंत गल जाये
मतलब भूल करके
भूल न जायेगी
आगे से नहीं करने का संकल्प
ले करके रक्खेगी

माँ सरस्वती एक दिव्य अर्थ
और दे रहीं हैं
न…नाशी
मतलब यह बच्ची
कभी भी न ना कहेगी
अपने नाना जी को बुलाने के आलावा
सभी के काम सिर्फ एक आवाज पर ही
कर देगी खुशी खुशी
बगैर ही कुछ बदले में पाये
खूब जानती होगी
भगवन् जब धरती पर थे
तब सबके काम बनाते रहते थे
अब उनके ऊपर चले जाने पर
कोई तो निभाये किरदार उनका
सो धरती पर
साक्षात् भगवती का अवतार होगी
चलिये
चलते-चलते एक अर्थ और
मेरे ज़हन में
आ जा रहा है
बस अक्षर पलटाने हैं
नैं…सी
सी…ने
मतलब रिस्तों की तुरपाई करने के
पक्ष में रहेगी यह बच्ची
रिश्ते उधेड़ना
होगा किसी के नामे,
पर यह बच्ची तो
जोड़ने में विश्वास रखेगी
खूब जानती होगी
धागा एक बार जो टूर चले
तो फिर जुड़ता नहीं है
जोड़ते ही गाँठ जो आ बैठती है
हमेशा के लिये
और जितनी गाँठें,
उतना ही सिर पर बोझ
फिर गति धीमी जो हो जाती है
और मंजिल
यहीं कहीं आसपास थोड़े ही है
सो यह बच्ची
रक्खेगी बेजोड़े
रिश्तों की डोर

खूब खूबसूरत
बड़ा ही प्यारा,
बहुत मीठा नाम है साक्षी
यह नाम से दो शब्दों से
मिलकर करके बना है
सच+अक्षी,
‘स’ मतलब सहित,
‘अक्ष’ मतलब आंखें
सो हमारे बुजुर्ग यह नाम करण करके,
बतला रहे हैं,
‘के कोई कोई व्यक्ति
बिना आँखों के भी होते हैं
तब तो
इस बच्ची के लिए
आँखों वाली
कह करके पुकारा है उन्होंने
सो इस बच्ची की
भीतरी तीसरी ज्ञान की आँख
खुल चलेगी
देर सबेरे नहीं,
भू, भूमि, धरा, वसुन्धरा हेरते ही
मतलब यह बच्ची खूब जानती होगी
दुनिया खुद में नहीं ?
दूसरों मे सुधार चाहती है
इसलिये यह जितना बन सकेगा
स्वयं में बदलाव लायेगी,
आदर्श मतलब आईने सी बन चालेगी,
फिर भले, दूसरे इसे
देख करके कुछ सीख लें तो
अच्छा है,
यदि नहीं सीखते है,
तो इसको कोई भी फर्क
नहीं पड़ता है
हँस के जैसी बुद्धि जो रक्खेगी यह
‘के क्या हितकारी है ?
और क्या हानिकारक ?
‘दिल पे मत ले यार’
ऐसा अपने मन से दिन भर
अनगिनत बार कहेंगी
चूंकि जानती ही होगी
हमारा मन बच्चे के जैसे
बार बार भूलने की आदत से
परेशान जो रहता है
एक अर्थ और दे रहा हूँ
बस साक्षी को संस्कृत मे पड़ना है
साक्षीं
अब दूर दूर पढ़ते ही अक्षर ‘क्षीं’
बीजाक्षर जो बन चालता है
जो वट वृक्ष जैसे
विशालकाय ज्ञान को
खसखस के दाने जैसा
छोटा बीज रुप समझ ले,
वह बीजाक्षर होता है
सो इस बच्ची के लिए
माथा-पच्ची न करनी पड़ती होगी
बड़ी से बड़ी सवालों की इमारत
इशारों में हल करके रख देती होगी
प्रश्न इसके आगे देर न टिक पाते होंगे
टेकते होंगे घुटने अपने

माँ सरस्वती एक अर्थ और दे रहीं हैं
बस मात्राओं को हेर-फेर करनी है
सा…क्षी
शि…क्षा
सो यह बच्ची
दूसरी शाला की दूसरी ही कक्षा में
जो शिक्षा लेती होगी
सबकी मदद करने खड़ी ही रहती होगी
और अपने काम
खुदबखुद करने का दृढ़ संकल्प
ले करके रक्खा होगा इसने
‘कि कल भगवान् के घर भी
जाना होता है
वहाँ क्या जवाब देंगे
सो गाय के जैसे चुगाली किये बिना
कुछ भी भीतर न ले जाती होगी
वमन करके उसे फिर से चाटना
होगा किसी के नाम,
यह तो गम करती होगी चट,
कोई कह सकेगा इससे
मिली ‘कि ‘चुग… ली’
चलिये
चलते-चलते एक अर्थ
और देता हूँ
साक-सी
साख-सी
मतलब इस बच्ची की साख
इसका जश दशों दिशाओं में फैलेगा
पथरीले कटीले रास्तों पर
चलते वक्त आँखें
पैरों में लगा करके जो चलेगी
कॉंटे इसे
एक मीठी सी चुभन
दे करके निकल लेंगे
मतलब बैर भाव से कोस दूर रहेगी
यह बच्ची
खूब जानती होगी
एक अंगुली भी क्या रूठी
अब मुट्ठी रह न सकेगी अनूठी
सो किसी भी साथी को
ऊपर नीचे बिठा करके न जोड़ेगी
अपने बगल में बिठाल लेगी
जैसे एक और एक
अगल बगल क्या रक्खा
बगैर जोड़े ग्यारह जाते हैं
और ऊपर नीचे रख करके
जोड़ते हैं तो जोड़ आता है दो
सच
दो पना अस्त हुए बिना
दोस्ती कैसी
मतलब यह बच्ची
नेतृत्व कला में प्रवीण होगी
बड़ी नामचीन होगी
ओम्

सुन्दर खूब खूबसूरत
बड़ा ही मीठा नाम है समीक्षा
सम…अक्षा
सम यानि ‘कि सम्यक्
और अक्षा मतलब दृष्टि
सो यह बच्ची
चश्मा मां का लगाकर के देखेगी
जिससे किसी के छिद्र
दिखते ही नहीं होंगे
और गुण दूसरा यदि छुपाना भी चाहे
तो छुपते नहीं होंगे
मतलब
पर निंदा से कोस दूर रहेगी यह बच्ची
दूसरों के गुणों का गुणगान करना इसे
सिखाना न पड़ेगा
गॉड गिफ्ट होगा
जब भी इस बच्ची का मन
बुराई चुनने की कहेगा
तब यह बच्ची मन से कहेगी
‘रे ! मन
कितनी घूस खिलाई है
शैतान ने तुझे
उगल सारी की सारी
तू मेरा मन नहीं हो सकता है
बस इतना सुनते ही
मन हाथ खड़े कर देगा
और सार्थक नाम
मानस बनके हंस के जैसे
मोती चुग लेगा
चुगली छोड़ करके
एक अर्थ और देता हूं

सं…इच्छा
सं मतलब समीचीन
इच्छा मतलब अभिलाषा
सो वह बच्ची खूब जानती होगी
इच्छा उस समुद्र जैसी है
‘के ढ़ेरों नदियों का पानी पी करके भी
जिसकी प्यास बुझनी नहीं है
आशा का गड्ढा
खाली का खाली ही रहता है
सो महात्वाकांक्षी न रहेगी यह बच्ची
जो जितना जैसा जब मिला गया
भगवत प्रसाद समझ के
स्वीकार कर लेगी
‘के तूने खूब दिया भगवान्
तेरा बहुत बड़ा अहसान’
और यह सब
इसके मम्मी-पापा के दिये
संस्कारों का ही प्रतिफल होगा
‘कि यह बच्ची सहजो-निराकुल होगी
होगा आकुलता से रिश्ता
किसी और का होगा
पर इसके चेहरे से तो
आसमानी नूर टपकेगा

माँ सरस्वती एक अर्थ
और दें रहीं हैं
स…माँ…कक्षा
मतलब यह बच्ची
दूसरी पाठशाला की
दूसरी ही कथा में
वह पाठ पढ़ रही होगी
जिसे अनुभवी बुजुर्ग लेते हैं
दबाती होगी अपनी दादी नानी के पैर
और दबा लाती होगी
कोहनूर से भी कीमती नुस्खे
चन्दन से भी ज्यादा महक छोड़तीं
नेमतें, नेकियाँ
सार्थक नाम सिख लाती हुईं
वेदों की रिचाएं
मतलब
चलती-फिरती
विद्या की मूर्ति होगी यह
कोयल ने इसी से सीखा होगा
जन जन का मन चुराना
मीठे बोल इसे पाकरके
अपना, पृथ्वी पर आना
धन्य मानते होंगे

चलिये
चलते-चलते एक अर्थ
और देता हूँ
बस अक्षर पलटाने हैं
और नव्य दिव्य अर्थ
सामने हमारे रुबरु हो आता है
स…म…क्षा
क्ष…मा…सा
‘स’ मतलब सहित
सो यह बच्ची
क्षमा, दया, करुणा, समता आदि आदि
जितने भी देव दुर्लभ गुण हैं
उन सभी की स्वामिनी होगी
गुस्सा आखरी बार
इसने कब किया था
इसे क्या राम जी को भी
खबर नहीं होगी
जो दुनिया भर की खबर रखते हैं
मतलब हँसमुख,
खुशमिजाज, जिन्दादिली
किसी के पर्यायवाची नाम है
तो इसकी बच्ची के हैं
सच
दुनिया में ऐसी बच्ची और न होगी
ओम्

बड़ा प्यारा, अ‌द्भुत अनमोल
कुछ न्यारा ही बेजोड़ नाम है रोसी
यह नाम इतना प्रशंसनीय
यूँ ही नहीं है
इसका सन्धि-विच्छेद करते ही,
आप सभी के लिए
अपना परिचय,
यह नाम खुदबखुद ही देगा

चलिये
तोड़ते है इसे स्वर-व्यंजनों में
र + उ + स + ई
‘र’ मतलब धन की देवी रमा-लक्ष्मी
‘उ’ मतलब शक्ति की देवी उमा-पार्वती
‘स’ मतलब विद्या की देवी सरस्वती-ब्राह्मणी
इन सभी तीनों महादेवियों के
गुण लेकर के
यदि किसी का अवतार हुआ है
इस पृथ्वी पर
तो वह यह है
ऐसा कहने के लिये ही
इस बच्ची के माता पिता ने
पीछे ‘ई’ के लिए लगाया है
‘के ई मतलब
यह बच्ची है वह
सो सहजो निराकुल अर्थ हुआ
इस बच्ची के जीवन में
कभी अभाव न रहेगा
कलदारों की,
सिक्कों की खनखन
सुनने के लिए होंगे
किसी और के कान मुंहताज
पर यह बच्ची तो
अपनी मम्मी के हाथों की सोने की चूड़ियां
जिनमें हीरे-मोती जड़े होंगें
उसकी मधुर सुरीली
सरगम रूप लोरियाँ सुन करके सोयेगी
और सुबह अपनी मम्मी के
पैरों के स्वर्ण पायजेब की
रुनझुन सुन करके जागेगी

माँ शक्ति इसे भक्ति से नहीं
सहज ही इसकी दया, क्षमा, करुणा
देखकर को रीझ चालेंगीं
यह बच्ची लाठी नहीं उठायेगी
भूखी गाय के लिए खिलाने
अपनी थाली में से ले आयेगी रोटी
और वह भी ऐसी वैसी नहीं
घी चुपड़ी फिर
चल चल कहकर भगायेगी नहीं
वरन् अपने हाथों की अंगुलियां
आगे करके कहेगी
आ…आ…आ
और दूसरों के दरवाजे तक छोड़ आयेगी
जहाँ उसे और कुछ
खाने के लिये मिल सके
यह देखकर माँ गौ’री
इसे ही अपनी नाम राशि समझकर
किरपा बरसाती रहेंगीं
मतलब निडर, निर्भीक,
साहसी होगी यह बच्ची

और सरस्वती किसी के कण्ठ में
सतत अभ्यास से,
भागीरथी प्रयास साध्य हैं
ऐसा कहती होगी दुनिया
लेकिन इस बच्ची के कण्ठ में
माँ सरस्वती
जब यह अपनी माँ के गर्भ में थी
तब से ही आ विराजमान हुईं होंगीं
लाजवाब जवाब देती होगी फटाफट
हर-एक सवाल का
वो भी आगा पीछा देख करके
यदवा यदवा नहीं
चलिये ध्यान से सुनियेगा
एक अर्थ और देता हूँ
शब्द है रोसी
मतलब रोश + ई
जो ‘ई’ स्वर है
‘के वह ईश्वर क्या करते हैं,
यह कहने के लिये
शब्द रोश के आगे
कोई व्यंजन रखने की बात कहता है
‘के ‘ई’
अर्थात् मैं चौथे नम्बर का स्वर हूँ
सो व्यंजनों में भी
चौथे वर्ग का अक्षर चुनियेगा
क वर्ग,
च वर्ग,
ट वर्ग,
फिर चौथा त वर्ग,
अब चूंकि आखरी वर्ण की
खोज करनी है हमें
सो त, थ, द, ध
और अब जिसे चुनना है
वह अक्षर ‘न’
बस अब इसे
इस रख करके
ई की मात्रा चढ़ा लीजियेगा
हाँ…हाँ…
सभी पह‌चाना हमनें
‘के वह ईश्वर क्या करता है,
तो रोशनी फैलाता है वह
सारे जग भर में
वो भी वगैर स्वारथ
सो यह बच्ची स्वयं तो प्रकाश में रहेगी ही
दीया तले होता होगा अंधेरा
पर यह इस बच्ची के साथ
घटित न होगा
दूसरों को भी प्रकाश में लायेगी
लेकिन कभी भी
प्रकाश में आ चलूँ
ऐसा भाव न होगा इसका
यह प्रदर्शन में कम
भगवत् दर्शन में ज्यादा विश्वास
करती होगी

माँ सरस्वती एक अर्थ और दे रहीं हैं
उसे भी सुनियेगा
रोष + ई
रोष मतलब गुस्सा, कोध, प्रतिशोध
इन सब अवगुणों की
‘ई’ मतलब इति श्री
यानि ‘कि
अन्त हो चलेगा इसके जीवन से
यह बच्ची हंस मुख होगी,
किसी की बात अपने दिल पर न लेगी
और किसी के लिये ठेस लग चले
ऐसी बात भी न बोलेगी
मतलब सहजो-निराकुल रहेगी

चलिये
चलते चलते एक अर्थ और देता हूँ
बस रोसी नाम के अक्षरों के लिये
पलटी खिलाना है
आपकी जीभ में
पानी आयें बिना न रहेगा
यदि विश्वास नहीं है
तो आईये देखते है
रो…शी
शी…रो
शीरा मतलब शकर का घोल
मतलब सीधा सीधा है
जैसी ही बोलने के लिये
अपना मुख कमल खोलेगी
खुशबू उड़ा ले चलेंगीं हवाएँ
मीठा ही इतना बोलेगी
अक्षर-अक्षर में मिसरी घोलेगी
इसको मित्र-मण्डली
इसके बिना,
वगैरे खुशबू वाला फूल हो चालेगी
मतलब अपने जैसी एक होगी
दिलेनेक होंगी यह बच्ची
सच्ची
ओम्

इस नाम का जगत्-प्रसिद्ध अर्थ
स्वयं अपने सुर
सुर मतलब देवता के रहने के स्थान
जो स्वर्ग है वहां तक
ख़ुशबू बिखेर रहा है
मतलब बड़ा ही खूबसूरत
बेशकीमती
प्यारा, निराला नाम है महक

चूँकि इस नाम के
अक्षर-अक्षर साक्षात्
जो अक्षर स्वरुप हैं
वह ईश्वर
उनके प्रथम अक्षरों को
मिलाकर के बना है
यदि आप पूछते ही हैं कैसे ?
तो सुनियेगा
‘म’ मतलब महेश
महा व्रतों के अधिपत
‘ह’ मतलब हरि
हरने वाले पीड़ा दुख दरद
और ‘क’ मतलब कर्तार
विश्व कर्मा ब्रह्मा
ब्रह्म रूप आत्मा में रमण करने वाले

सो यह बच्ची
पा ईश्वर कृपा
अपने आप में रहेगी
रक्खा होता होगा
किसी की नाक पर गुस्सा,
पर यह बच्ची तो,
न ही चश्मे का भार रक्खेगी
जिससे उल्टा-सीधा दिख चलता है
और न ही क्रोध का
आते ही बोध को
दिलो दिमाग से जो
धक्का देकर बाहर निकाल देता है
फिर ? फिर क्या
अफसोस हाथ लगता है
‘हासिल आई शून्य’
सुना ही होगा हमनें
दादी नानी के मुख से
बस वही चरितार्थ हो चालता है
सो यह बच्ची
करुणा दया की
चलती फिरती मूरत होगी
शुभ मुहूरत होगी
फेरती होगी दुनिया अपना मुख
किसी के लिये देखते ही
पर इस बच्ची को
सपने में भी जो देख लेगा
उनका सपना पूरा हो चालेगा
सपने में ही नहीं
हकीकत में भी

एक अर्थ और सुनता हूँ
सुनियेगा
‘मह’ मतलब होता है पूजा, अर्चना,
भक्ति, वन्द‌ना
और ‘क’ मतलब तो
जगत् प्रसिद्ध है
कखहरा
सो सहजो-निराकुल अर्थ हुआ
यह बच्ची माँ सरस्वती की
कृपा पात्र रहेगी
तोते के जैसा
रटाना न पड़ेगा पाठ इसको
बस एक बार पढ़ेगी या सुनेगी
और कानों के रास्ते
रख लेगी हृदय में उतार के
स्वर्ण अक्षरों में
ध्यान से जो पढ़ेगी, सुनेगी
पलकें पल के लिये खोलेगी
‘के यहाँ वहाँ की चीजें
दिल में घर न कर चलें

माँ सरस्वती
एक अर्थ और दे रहीं हैं
चलिये बतलाता हूॅं
म… हक
‘म’ महलब माँ, महात्मा, परमात्मा से
हक से कुछ कहने का
विश्वास भरोसा रक्खेगी
सो सहजो निराकुल मतलब हुआ
नाम न चाहेगी
और काम-काज कुछ ऐसे करेगी
‘के माँ, महात्मा,
परमात्मा के लिये
नाज हो चलेगा इस पर
फिर इसकी बात काटने का साहस
कोई भी
नेक दिल इन्सान न कर सकेगा
सच बेजोड़ नेकियों का
जोड़ होगी यह बच्ची

चलिये
चलते चलते एक अर्थ और देता हूँ
बस अक्षर पलटाने हैं
म… ह…क
क…ह….म
किसी ने आवाज क्या लगाई ?
कोई भी सहजो रिश्ते के साथ
‘के ओ ! दीदी,
ओ ! बहिन,
ओ ! बिटिया,
बस
यह बच्ची तुरत कहेगी
अपनी क्षेत्रीय भाषा में
क ? हम यहाँ हैं
और झट से
बनती कोशिश
जितनी मदद हो सकेगी
कर देगी
और लेने के नाम पर लेगी वादा
‘के फिर कभी मेरी मदद की जरूरत हो
तो मुझे याद करना
सच अद्भुत ही होगी
इसकी करुणा
ओम्

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