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मन्त्रम्

मन्त्रम्

  • *श्री वर्धमान मंत्र*

    णमो भयवदो
    वड्ढ-माणस्स
    रि-सहस्स
    जस्स चक्कम् जलन्तम् गच्छइ
    आयासम् पायालम् लोयाणम् भूयाणम्
    जूये वा, वि-वाये वा
    रणं(ग्)-गणे वा, रायं(ग्)-गणे वा
    थम्-भणे वा, मो-हणे वा
    सव्व पाण, भूद, जीव, सत्ताणम्
    अव-राजिदो भवदु
    मे रक्ख-रक्ख स्वाहा
    ते रक्ख-रक्ख स्वाहा
    ते मे रक्ख-रक्ख स्वाहा ।।

*श्री सरसुति-मंत्र*
ॐ ह्रीम् अर्हन्
मुख कमल-वासिनी
पापात्-म(क्) क्षयङ्-करी
श्रुत(ज्)-जिंया-न(ज्)-ज्वाला
स-ह(स्)-स्र(प्) प्रज्-ज्वलिते
सरस्वति मत्
पापम् हन हन दह दह
क्षाम् क्षीम् क्षूम् क्षौम् क्षः(ह्)
क्षीरवर-धवले
अमृत-संभवे
वम् वम् हूम् फट् स्वाहा
मम सन्-निधि-करणे
मम सन्-निधि-करणे
मम सन्-निधि-करणे ।

*श्री नव(ग्)-ग्रह मंत्र*
ॐ ह्रीम् श्री पद्-म(प्)-प्र…भवे
ॐ ह्रीम् श्री चन्-द(प्)-प्र…भवे
ॐ ह्रीम् श्री पू(ज्)-ज्य(प्)-प्र…भवे
नमो-नम:(ह्) नमो-नम:(ह्)
ॐ ह्रीम् श्री शान्ति नाथाय
ॐ ह्रीम् श्री आदि नाथाय
ॐ ह्रीम् श्री सुविधि नाथाय
नमो-नम:(ह्) नमो-नम:(ह्)
ॐ ह्रीम् मुनि-सु(व्)-व्रत नाथाय
ॐ ह्रीम् श्री नेमि नाथाय
ॐ ह्रीम् श्री पार्श्व नाथाय
नमो-नम:(ह्) नमो-नम:(ह्)
मे नव(ग्)-ग्रह शान्-त्यर्-थम्
ते नव(ग्)-ग्रह शान्-त्यर्-थम्
ते मे नव(ग्)-ग्रह शान्-त्यर्-थम्
ओम् शान्ति
शान्ति ओम् शान्ति ।

*श्री भक्तामर बीज मन्त्र*
ओम् नु प:(ह्) झः(ह्)
रः(ह्) धी रु ता
गा शम् ई छ:(ह्)
खम् गो जै लौं
ख:(ह्) शु च ण:(ह्)
औ ष:(ह्)
ह्राम् ह्रीम् ह्रौम् ह्र:(ह्)
भू कम् शा ल:(ह्)
त्रि ढ:(ह्) य:(ह्) भा
भी रा श्री मा
व:(ह्) दौ ॡ न:(ह्)
ह:(ह्) मम् क्षम् मुः(ह्)
भै जूम्
मम रक्ष रक्ष(स्) स्वाहा
मम रक्ष रक्ष(स्) स्वाहा
मम रक्ष रक्ष(स्) स्वाहा ।

*श्री भक्तामर
वज्र पञ्जर कवच मंत्र*
‘दुति’, थुति… लघु, ‘गुरु’
रति, कृति…जय, दय
जश, रस…सज, रज
मुख, इक…शुचि, रुचि
रवि, दिवि…अरु, पुरु
जन, धन !…प्रभु, विभु
श्रुति, नुति…वर, तर
नग, जुग…तिरि, तुरि
गुल, ‘कल’…स्वर, ‘सर’
सिरि, करि…सिंह, दह
फण, रण…खल, जल
गद, बँध…भय, क्षय
वज्र पञ्जरम् भवतु मे
भवतु ते
भवतु ते मे वज्र पञ्जरम् ओम्ऽऽऽ ।

*श्री भक्तामर
रक्षा मंत्र*
चरण, शरण, बिगुल, अतुल
लगन, शगुन, रबर, नजर
हरस, परस, सुदृग्, सुभग
प्रमुख, अधिक्, सबल, अचल
तरण, करण, जुगल, सफल
प्रणुत, विश्रुत, अमर, अखर
श्रमण, नमन, अनघ, विरख
अवर, चँवर, छतर, ‘सवर’
सु-मन, रमन, फजल, कमल
विरद, द्विरद, ललित, ज्वलित
जहर, समर, जड़ध, जलध
दरद, विपद, अभय, विनय
श्री भक्तामर रक्ष रक्ष मे,
रक्ष रक्ष ते,
ते-मे रक्ष रक्ष हूम् फट् स्वाहा ।

*श्री सर्व सिद्धि प्रदायक
भक्तामर मंत्र*
श्री शिवम्, श्री बुद्धम्,
श्री नाथम्, श्री धीरम्,
श्री धाता, श्री वि-भुम्,
श्री एकम्
सर्व सिद्धि प्रदायकम्
भवतु मे
भवतु ते,
भवतु ते मे
श्री ओम्… श्री ओम्… श्री ओम् ।

*श्री सर्व मनोकामना पूर्ण
भक्तामर मंत्र*
श्री मुनीश्वम्
श्री श्री ईश्वरम्
श्री श्री जिनेन्द्रम्, श्री श्री अनेकम्,
श्री श्री अ(व्)-व्ययम्,
श्री श्री असं(ख्)-ख्यम्,
श्री श्री अनन्तम्, श्री श्री अचिन्-त्यम्,
श्री श्री ब्रह्माणम्,
श्री श्री शंकरम्,
श्री श्री श्री अमलम्,
श्री भगवन् वम् वम्
सर्व मनोकामना पूर्ण
भवतु मे
भवतु ते,
भवतु ते मे ओम्… श्री अर्हम् ।

*श्री सर्वोपद्रव शान्ति
भक्तामर मंत्र*
भूत-नाथम् जय,
जय गुण-समुद्रम्,
जय योगी(श्)-श्वरम्
जय पुरु-षोत्-तमम् जय
सद्धर्म-राजम् जय
जय विदित-योगम्,
जय ज्ञान(स्)-स्वरुपम्
जय अनंग-केतुम् जय
सर्वोपद्रव शान्तिम्
कुरु कुरु स्वाहा
मे, ते,
ते-मे सर्वोपद्रव शान्तिम्
कुरु कुरु स्वाहा ।

*श्री सर्वांग रक्षा
भक्तामर मंत्र*
पुरु नुति, हित कृति
मति लव, गुरु थव
रति तुम, यति दम
भव–क्षय, तव–दय
तुम जश, पा-रस
दृग्-नम, अनुपम
गुम धिक्, तुम-इक
जित-अख, दी-पक
दिन-कर, चन्दर
निश-दिन, बुध इन
औ’ कृत, सुत ऋत
हरि-हर, अक्षर
पुंगव, जय तव
गुरु तर, तरु-वर
आसन, वीजन
छतरी, भेरी
झिर गुल, भा-कुल
भी-स्वर, गुल सर
थाती, हाथी
‘धव’ वन, दव वन
नागन, हा ! रण
जल चर, खल अर
रुज गण, बन्धन
भय गुम, दय तुम
सर्वांग रक्षतु मे
रक्षतु ते
ते मे सर्वांग रक्षतु रक्षतु

श्री भक्तामर जी संकट मोचन मंत्र

देव, सेव, पार, हार,
राग, भाग, छाह, राह,
हर्ष, पर्श, रूप, नूप
एक, नेक, सूर, नूर
भान, शा-न, दूज, पूज
भाल, लाल, जेय, ध्येय
सौख, ढ़ोक, दक्ष, वृक्ष
और, चौंर, तीन, बीन
फूल, कूल, शब्द, अब्ज
नन्त, दन्त, बाघ, आग
सर्प, दर्प, द्वन्द, सिन्ध
काल, जाल, मुक्त, भक्त
श्री भक्तामर जी
सर्व संकट मोचन समर्थ
भवतु मे
भवतु ते
ते मे भवतु ओम् नमः

बड़े बाबा कृपा मंत्र

किरण एक काफी सूरज की,
भले रात घन-घोर अमा ।
लगे हाथ दर्शन अनन्त सुख,
वीरज, केवल ज्ञान रमा ।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़े बाबा अहम् नमः
जिसने मन से मंत्र जपा यह,
हुआ सातिशय पुण्य जमा ।
छूटें कर्म निधत्त निकाचित
भूल भूल प्रभु करें क्षमा ।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़े बाबा अहम् नमः

चौबीसी भगवन् सहाय मंत्र

आदि नाथ भगवान् जी,
अजित नाथ भगवान् ।
श्री सम्भव भगवान् जी,
अभिनन्दन भगवान् ।।
सुमत नाथ भगवान् जी,
पद्मप्-प्रभ भगवान् ।
श्री सुपार्श्व भगवान् जी
चन्द्रप्-प्रभ भगवान् ।।
सुविधि नाथ भगवान् जी,
श्री शीतल भगवान् ।
श्रेय नाथ भगवान् जी
वासु पूज्य भगवान् ।।
विमल नाथ भगवान् जी,
श्री अनन्त भगवान् ।
धर्म नाथ भगवान् जी,
शान्ति नाथ भगवान् ।।
कुन्थु नाथ भगवान् जी,
अरह नाथ भगवान् ।
मल्लि नाथ भगवान् जी,
मुनि-सुव्रत भगवान् ।।
नमी नाथ भगवान् जी,
नेम नाथ भगवान् ।
पार्श्व नाथ भगवान् जी,
महावीर भगवान् ।।
करूं आपकी वन्दना,
बनने आप समान ।
करुणा दया निधान हैं,
चौबीसों भगवान् ।।
ओम् नमः, नमो नमः ओम्

अक्षर कीर्ति महामंत्र

अ, आ, इ, ई,
उ, ऊ, रिरि, रिरी,
लिरि, लिरी, ए, अय
ओ, अव, अं, अ:
क, ख, ग, घ, आँ
च, छ, ज, झ, इयाँ
ट, ठ, ड, ढ, ण
त, थ, द, ध, न
प, फ, ब, भ, म
य, र, ल, व
श, ष, स, ह
अक्षर कीर्ति
भवतु मे
भवतु ते
ते मे भवतु ओम्

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