श्री शांति सूरि मुनिधर्म – प्रकशकाय ,
श्री वर्धमान – मुनिवर्य शुभंकराय ।
मुन्यादिसागर प्रभावक – धर्मनेत्रे ,
त्रैलोक्य – वंद्य गुरूवर्य नमोऽस्तु तुभ्यम् ॥१॥
श्री वीर शासन विभासन बध्दकक्षं ,
शीतांशु – शुभ- यशसा – धवलिकृताशम् ।
कल्याण – वल्लि – जलदं श्रुतसि न्धुवर्यम् ,
सुरिप्रसिध्द – गुरूवर्य नमामि वै त्वाम् ॥२॥
रत्नत्रयं परिदधाति परिदघाति दिगंबरः सन् ,
श्री शांतिसागर – सुवंशलतां प्रसिंचन् ।
यः स्वात्मचिंतनरतो विनतो सुनेता ,
भक्त्या न सन्मतिगुरू प्रणमामि सम्यक् ॥३॥
काले कलौ विषय – भोग- गतस्पृह सन् ,
श्री जैन शासन प्रभावन तत्परो यः ।
सिध्दांत – तर्क – निपुणो – महितो – मनोज्ञो ,
भक्त्या नमामि खलु सन्मति सागरं तम् ॥४॥
तत्वानुचिंतन – परं मुनि – वृत्त लग्नं ,
कारूण्य चित्तभरितं ननु सन्मति तम् ।
श्री वर्धमान- सुयतेश्च पदारविन्दान् ,
भक्त्या सदा मुनियुगं प्रणमामि मुक्त्यै ॥५॥
साधु नमामि दुरितं ननु संहरामि ,
साधुं स्मरामि सुगतिं परिवर्धयामि ।
साधु महामि भवतामधिकं जहामि ,
साधुं धरामि ह्रदये शिवतां च यामि ॥६॥
संयम शरणं अंते समाहिमरणं
रात को सोते समय ४ नियम लेना
हे भगवन् सुबह — बजे तक के लिए ४ नियम लेता / लेती हूँ ।
१) हे भगवन् सुबह — बजे तक के लिए चारो प्रकार के आहार पानी का त्याग ।
२) हे भगवन् सुबह — बजे तक के लिए समस्त प्रकार के आरंभ त्याग का ।
३) हे भगवन् सुबह — बजे तक के लिए शरीर (बिस्तर) पर जो परिग्रह है उसके अलावा संसार के समस्त परिग्रह का त्याग ।
४) हे भगवन् सुबह — बजे तक के लिए लघु शंका / दीर्घ शंका / पारिवारिक अस्वस्थता को छोडकर चारो दिशा / विदिशाओं (दसो दिशाओं) में आने जाने का त्याग ।
(नौ बार णमोकार का जाप करें)
टिप- रात्री मरण होगा तो अच्छा, आयु बंध होगा अच्छा,
नही तो , यदि ८ घंटे के लिए त्याग किया तो,
महिने में १० उपवास का फल मिलेगा ।
प. पू. श्री १०८ मुनि अजयसागर