शीतलनाथ वृहद चालीसा दोहा आ बाहर कभी स्वप्न से, दे दो आशीर्वाद । दूजी और मुराद ना, ना कोई फरियाद ।। चौपाई नगर सुसीमा ‘वत्स’ सनेहा । पुष्कर-अर्ध-पूर्व वैदेहा ।। भव यह पिछला तीजा जानो । नाम वहाँ सिद्धार्थ पिछानो […]
24 तीर्थंकर चालीसा
शीतलनाथ वृहद चालीसा दोहा आ बाहर कभी स्वप्न से, दे दो आशीर्वाद । दूजी और मुराद ना, ना कोई फरियाद ।। चौपाई नगर सुसीमा ‘वत्स’ सनेहा । पुष्कर-अर्ध-पूर्व वैदेहा ।। भव यह पिछला तीजा जानो । नाम वहाँ सिद्धार्थ पिछानो […]
श्रेयो-नाथ वृहद चालीसा दोहा जिन श्रेयस् बिन आपके, सुनता कौन पुकार । लगा भक्त ताँता कहे, आप दया अवतार ।। चौपाई पुष्कर पूर्व अर्ध वैदेहा । देश सुकच्छ, क्षेम ‘पुर’ गेहा ।। भव यह पिछला तीजा जानो । नाम नलिन […]
वासु-पूज्य वृहद चालीसा दोहा बड़े इन्द्र सब है खड़े, सविनय जोड़े हाथ । वासुपूज्य जिन देव जी, नाम आपका सार्थ ।। पुष्कर अर्ध पूर्व वैदेहा । ‘रत्न-संचयन्’ वत्स सनेहा ।। भव यह पिछला तीजा जानो । नृप पद्मोत्तर नाम पिछानो […]
विमल नाथ वृहद चालीसा दोहा विमल विमलतर बह चली, परिणामों की धार । दूर कहाँ वह तीर था, पलक झपकते पार ।। चौपाई पूरब भरत धातकी विरली । देश वत्सकावत ‘मह’ नगरी ।। भव यह पिछला तीजा जानो । पद्म […]
अनन्त नाथ वृहद चालीसा ‘दोहा’ निज भक्तों पे आपकी, बरसे करुणा ‘नन्त’ । सुन ! नापूँ उस वक्त से, आप भक्ति इक पन्थ ।। चौपाई जम्बू पाश्च-इरावत विरली । रम्यक देश अरिष्टा नगरी ।। भव यह पिछला तीजा जानो । […]
धर्मनाथ धर्मनाथ धर्मनाथ‘वृहद्-चालीसा’ दोहा‘धर्म’ मान निज भक्त को, करता कोई पार । सिर्फ आप इक नाम से, रही सुशोभ कतार ।। चौपाई पूर्व विदेह धातकी विरली | वत्सिक देश, सुसीमा नगरी ।।भव यह पिछला तीजा जानो ।नाम यहाँ दशरथ पहचानो […]
शांति नाथ वृहद चालीसा ‘दोहा’ एक प्रदाता शान्ति के, शान्ति-नाथ भगवान् । श्रृद्धा-सुमन चढ़ा रहा, यूँ ही न तीन जहान ।। चौपाई ‘जम्बू’ पूर्व-विदेहा विरली । पुष्क-वत पुण्-डरीक नगरी ।। भव यह पिछला तीजा जानो । नाम मेघरथ यहाँ पिछानो […]
कुन्थु-नाथ वृहद-चालीसा ‘दोहा’ कुन्थ-आदि की कर रहे, निस्पृह साज सॅंभाल । वहीं आदि में मैं छुपा, रखना मेरा ख्याल ।। चौपाई ‘जम्बू’ पूर्व विदेहा विरली । वत्सिक देश सुसीमा नगरी ।। भव यह पिछला तीजा जानो । नाम यहाँ ‘सिंहरथ’ […]
अरह-नाथ वृहद-चालीसा दोहा अर यानी तुम नाम है, कुछ हटके तिहु-लोक । काम बना होगा तभी, जन-जन देता ढ़ोक ।। चौपाई ‘जम्बू’ पूर्व-विदेहा विरली । कच्छ देश पुर-क्षेमा नगरी ।। भव यह पिछला तीजा जानो । नाम यहाँ ‘धनपति’ पहचानो […]
मल्लि-नाथ वृहद-चालीसा दोहा सुना लगाते पार हो, काँधे बैठा आप । रसिक न यूँ ही ‘जग-जुबां’, ‘जयतु मल्ल-जिन’ जाप ।। चौपाई ‘जम्बू’, पूर्व विदेहा विरली । वत्स-देश ‘बित-शोका’-नगरी ।। भव यह पिछला तीजा जानो । नाम यहाँ वैश्रवण पिछानो ।।१।। […]
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