‘वृहद्-चालीसा’ दोहा- स्वयं शब्द गुरु कह रहा, गो अरु मैं इक भाँत । लग पीछे, पीछे लगा, खुद वैतरणी घाट ।। देश भरत कर्नाट प्रदेश । ग्राम सदलगा पुण्य विशेष ।। कृषि-पण्ड़ित मल्लप्पा तात । धर्म-परायण श्री-मति मात ।।१।। पूनम […]
24 तीर्थंकर चालीसा
‘वृहद्-चालीसा’ दोहा- स्वयं शब्द गुरु कह रहा, गो अरु मैं इक भाँत । लग पीछे, पीछे लगा, खुद वैतरणी घाट ।। देश भरत कर्नाट प्रदेश । ग्राम सदलगा पुण्य विशेष ।। कृषि-पण्ड़ित मल्लप्पा तात । धर्म-परायण श्री-मति मात ।।१।। पूनम […]
आदिनाथ ‘वृहद्-चालीसा’ दोहा लगा रहे काँधे बिठा, भवि भक्तों को पार । गूॅंज रही इक सुर तभी, ‘आदि ब्रह्म’ जयकार ।। चौपाई ‘जम्बू’, पूर्व विदेहा विरली । पुष्कल-देश, पुण्ड़रिक नगरी ।। भव यह पिछला तीजा जानो । वज्रनाभि नृप नाम […]
अजित ‘वृहद्-चालीसा’ दोहा मुकुट बद्ध राजा सभी, खडे़ माथ रख हाथ । जन्म समय तब पड़ चला, नाम ‘अजित’ तुम सार्थ ।। चौपाई ‘जम्बू’ पूर्व-विदेहा विरली । वत्सिक देश सुसीमा नगरी ।। भव यह पिछला तीजा जानो । नाम विमल […]
संभवनाथ वृहद चालीसा दोहा स्वस्ति झिर चली नाम से, फूटे ज्यों गुल गन्ध । जिन संभव वन्दन तिन्हें, श्रद्धा लिये अमन्द ।। चौपाई जम्बू पूर्व विदेहा विरली । कच्छिक देश, क्षेमपुर नगरी ।। भव यह पिछला तीजा जानो । नाम […]
अभिनन्दन नाथ वृहद चालीसा दोहा अभिनन्दन गुण गण किया, कर अवगुण अवसान । यूँ ही ‘सहज’ न बन चले, अभिनन्दन भगवान ।। चौपाई जम्बू पूर्व विदेहा विरली । मंगल रत्न संचयन् नगरी ।। भव यह पिछला तीजा जानो नाम महाबल […]
सुमतिनाथ वृहद चालीसा दोहा नाम सुमत रख, कर चली, माँ मत-हंसी साथ । बात कुछ निराली तभी, भवव-तार इक हाथ ।। चौपाई पूर्व विदेह धातकी विरली । पुष्कल देश, पुण्डरिक नगरी ।। भव यह पिछला तीजा जानो । वहाँ नाम […]
पद्मप्रभ वृहद चालीसा दोहा जल विभिन्न रह पद्म से, कीना सार्थक नाम । देवदेव प्रभु पद्म वे, कोटिक तिन्हें प्रणाम ।। चौपाई पूर्व विदेह धातकी विरली । वत्सिक, देश सुसीमा नगरी ।। भव यह पिछला तीजा जानो । नाम वहाँ […]
सुपार्श्व नाथ वृहद चालीसा दोहा स्वर्ण लोह पारस करे, तुम करते निज भाँत । तभी नाम तुम पड़ चला, देव सुपारस नाथ ।। चौपाई पूर्व विदेह धातकी विरली । देश सुकच्छ, क्षेमपुर नगरी ।। भव यह पिछला तीजा जानो । […]
चन्द्र-प्रभ चन्द्र-प्रभ वृहद चालीसा ‘दोहा’माथे कलंक चन्द्रमा,आप चरित निष्कलंक ।खुद जैसा कर लो हमें,स्वर्ण यम-जनम-पंक ।। चौपाई पूर्व विदेह धातकी विरली ।मंगल रत्न संचयन् नगरी ।।भव यह पिछला तीजा जानो ।पद्म नाभि नृृप नाम पिछानो ।।१।। वर्ण, स्वर्ण के जैसा […]
सुविध नाथ वृहद चालीसा ‘दोहा’ ‘सुविध’ साध एक आत्मा, कीना सार्थक नाम । विध-बंधन दो टूक हों, ले यह भाव प्रणाम ।। चौपाई ‘पुष्कर’ अर्ध’ पूर्व वैदेहा । पुर पुण्डरीक निस्संदेहा ।। भव यह पिछला तीजा जानो । महापद्म नृप […]
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