श्रुत देव लघु चालीसा‘दोहा’ मेरा अपना तुम सिवा,यहाँ न कोई और Iजब-जब दूँ, आवाज मैं, आ जाना माँ दौड़ ।। माँ बच्चों को चुनती ।माँ बच्चों की सुनती ।। माँ दिल रखे अनोखा । दिल रखती बच्चों का ।।१।। बच्चे […]
24 तीर्थंकर चालीसा
श्रुत देव लघु चालीसा‘दोहा’ मेरा अपना तुम सिवा,यहाँ न कोई और Iजब-जब दूँ, आवाज मैं, आ जाना माँ दौड़ ।। माँ बच्चों को चुनती ।माँ बच्चों की सुनती ।। माँ दिल रखे अनोखा । दिल रखती बच्चों का ।।१।। बच्चे […]
श्री शान्ति, कुन्थ, अर लघु चालीसा ‘दोहा’ आ सत्संगत से जुड़ें,कलि इस भाँत न और ।थकना, थमना अन्त में,तजें न क्यों मृग दौड़ ।। कहा यूँ ही ना दीन-दयाल ।तुम्हें रहता भक्तों का ख्याल ।।दूसरे काम और सब छोड़ ।बुलाते […]
पंच बालयतिलघु चालीसा‘दोहा’ कीर्तन सिवा न दूसरा, कलि कल्याणक द्वार ।आ पल पल सु-मरण करें, ना ‘कि तीज त्योहार ।। दया से भींगे तेरे नैन ।और हित रहते तुम बेचैन ।।किसी की देख न सकते पीर ।दृगों से बहने लगता […]
आचार्य श्री ‘लघु-चालीसा’‘दोहा’श्रद्धा से जिसने लिया, विद्या सागर नाम ।आँखों देखी कह रहा, बनता बिगड़ा काम ।। जयतु जयतु जय विद्या-सागर । सन्त शिरोमण ! गुण रत्नाकर ।। श्री मति सुत मल्लप्पा नन्दन ।जन्म सदलगा माटी चन्दन ।।१।। कोमल हृदय […]
*सरस्वती-वन्दना* प्रथमं भारती नाम ।दृग् नम निस्वार्थ प्रणाम ।।१।।द्वितीयं च सरस्वती ।दृग् नम शत शिरोन्नती ।।२।। तृतीयं शारदा देवी ।वन्दनम् सदा सर्वदा ही ।।३।।चतुर्थं हंस-गामिनी ।नुति दृग् नम मन-वच-तनी ।।४।। पंचमं विदुषां माता ।वाग्-मन-वपुषा सिर नाता ।।५।।षष्ठं वागीश्वरी तथा ।दृग् […]
आद भरत बाहुबल लघु चालीसा ‘दोहा’सुमरण सु-मरण सा कहा,आ लें दो पल साध ।हो चाले यूँ ही नहीं,मरण अखीर समाध ।। मन से था किया बस याद । मन की हुई पूर्ण मुराद ।।करुणा दया अवतारी ।महिमा प्रभु पुरु न्यारी […]
आदिनाथ ‘लघु चालीसा’=दोहा=जा कछु…आ मन भीतरी,छोड़ी होगी छाप ।जुबां-जुबां नर्तन करें,तभी ‘आदि-जय’ जाप ।। कहे खुद भक्तों का ताॅंता ।एक थारा-द्वारा साॅंचा ।।भक्त के होते हैं आँसू । भिंजोता अपनी आँखें तू ।।१।। आग बदली है सरवर में । नाग […]
अजितनाथलघु चालीसा=दोहा=आ भक्ति के रंग में,रँगते पल दो-चार ।सुनते डूबा साध के,शीघ्र वैतरण पार ।। गुड घी मिसरी अमृत घोलो ।‘साध’ मौन जैसे ही खोलो ।।‘अजित-जयतु-जय’, ‘अजित जयतु- जय’‘जय-जय अजित’ जयतु जय बोलो ।।१।। दुखिंयों की सुन लेते जल्दी ।चाहें […]
संभव नाथलघु चालीसा =दोहा=झिरे स्वस्ति जिन नाम से, उन्हें नमन नत भाल ।भव यानी ‘हो’ शम-‘सुखी’,धरा-गगन-पाताल ।। सुमरत भगवत संभव नाम । संभव होय, असंभव काम ।। मैं क्या कहूँ कहे जग तीन । आप अकेले दाता दीन ।।१।। शिल […]
अभिनन्दन नाथलघु चालीसा=दोहा=कही, भक्ति भगवान की, समकित सुदृढ़ निमित्त ।आ पल दो पल ही सही, करते हृदय पवित्र ।। कृपा तुम बरसाते ।‘हरि-बोल’ बतलाते ।।आँख तुम अंधन की ।नाक तुम छन्दन की ।।१।। कान तुम बहरों के ।गान तुम लहरों […]
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