(१४१) इसने मुझे दबाया है उसने मुझे दबाया है इस सोच के बोझ से बस दबा जा रहा हूँ मैं पर अपने दिल पर हाथ रख करके इतना कब कह सका हूँ मैं ‘के कभी मैंने किसी को भी नहीं […]
(१४१) इसने मुझे दबाया है उसने मुझे दबाया है इस सोच के बोझ से बस दबा जा रहा हूँ मैं पर अपने दिल पर हाथ रख करके इतना कब कह सका हूँ मैं ‘के कभी मैंने किसी को भी नहीं […]
(१२१) मुश्किल कहाँ आज्ञा देना बस जिह्वा के लिए उठा कर के तलवे से मारना है सुनो तो लेकिन उठती हुई मन की तरंग मारना है आज्ञा पालना मुश्किल कहा सच आ…सान बड़ा ‘दे…ना’ आज्ञा पालना मुश्किल जरा (१२२) रहती […]
(१०१) जिह्वा को संस्कृत में कहा है रस.. ना मतलब रस नहीं है इसमें और यदि ‘श’ शक्कर वाला लेते है तो रशना मतलब होता है रस्सी यानि ‘कि बन्धन पैंनी जो इतनी रहती है कही से भी सन्धि स्थान […]
(८१) न सिर्फ इसको ही अपने साथ में ले लो उसको भी क्यूँ ? क्या सुनी नहीं है दूसरी शाला की दूसरी कक्षा की एक […]
(६१) उसने अपने हथियार डाल दिये हैं इसने अपने हथियार डाल दिये हैं मेरे भी बाजू जवाब दे चले हैं ऐसी बुजदिली वाली बातें मत करना ‘रे सुन अय ! मेरे साहसी मन वह देख किसी के हाथ में फर-फर […]
(४१) भैय्या ! आप किसी एक व्यापार को पकड़िये तो देखिए ना व्यापार शब्द आगे नहीं पीछे पार शब्द लगाकर के कुछ कह रहा है ‘के जैसे आम का पेड़ लगाते ही फल नहीं देने लगता है पहले बच्चा ‘मनु’…हार […]
(२१) ताकत तो ताँकती रहती है हमें दे करके अपना बेशकीमती समय बस उसे हम ही नहीं देख पाते और अब आप ही बतलाईये कितनी देर तक टिकते हैं इक-तरफा प्रेम के नाते (२२) अपनी जिन्दगी से पापा के लिये […]
(१) दोस्त का दिल कहता है थोड़ा सा और बस रहा दूर ज़र्रा सा ही आसमान छू करके ही लौटना दुश्मन का मन कहता है ज्यादा मत उड़ो वैसे किसी ने आज तक छुआ नहीं आसमान अच्छा है कुछ नये […]
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