सवाल आचार्य भगवन् ! मन कहता है भूल कहती है भूल चलो भगवन् ! भूल कहाँ तक क्षम्य है नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब हाईकू छोटी से छोटी मानो अपनी भूल मोटी से मोटी भूगोल उसकी भूल […]
सवाल आचार्य भगवन् ! मन कहता है भूल कहती है भूल चलो भगवन् ! भूल कहाँ तक क्षम्य है नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब हाईकू छोटी से छोटी मानो अपनी भूल मोटी से मोटी भूगोल उसकी भूल […]
सवाल आचार्य भगवन् ! कोई गाँठ बाँधने के लायक बात बतलाईये नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब गर्दन उठा करके देखने से दिख तो दूर तक का जाता है, पर हमारा कद जो देखने वालों की आँखों में […]
सवाल आचार्य भगवन् ! मन दूसरों की लकीर मिटा करके लकी बनना चाहता है और लकीर में है भी लकी शब्द रबर का ‘र’ भी मिटाने के लिये ही पूर्वजों ने रक्खा होगा ऐसा हवाला भी देता है कैसे समझाऊँ […]
सवाल आचार्य भगवन् ! मन सहजो-निराकुल बन चले, कोई नुख़्सा बतालाई नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब हाईकू पता ? कहता म…न न…म के रहो अहो सजन ! भाई ! अकड़ अ…कड अहो ! कहती अकड़, जो मैं […]
सवाल आचार्य भगवन् ! जब पंचम काल में मानव मिथ्यात्व के साथ ही धरा पर धरा जाता है और सम्यक् दृष्टिपना परसेन्ट में सही, अंगुली का नाम अनामिका रखने तत्पर है । जिसकी सीमा में आप जैसे त्यागी तपस्विंयों का […]
सवाल आचार्य भगवन् ! पुण्य पाप को सरल भाषा में कैसे समझ सकते हैं नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब बन्दर की उछल कूॅंद सारी मदारी की जेब भारी जमा…ना मानते मॉंझी की खूबी और तारने वाली पनडुबी […]
सवाल आचार्य भगवन् ! निराकुल चौबीसी में ‘न’ से नामकरण किया है आपने सभी मुनिराजों का, अद्भुत है, पर बहुत सोचने पड़े होंगे नाम एक से एक से नाम आपने क्यों रक्खे हैं नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… […]
सवाल आचार्य भगवन् ! न कह सकूँगा मैं… नादान तुम्हें, यह एक कविता आपने स्वामिन् मुझे आज आकर के सपने में सुनाई थी मैं भूल चला हूॅं कृपया पुनः सुना दीजिए ना नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब […]
सवाल आचार्य भगवन् ! सन्मृत्य, समाधि, सल्लेखना में क्या करना होता है नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब खेल ना ‘री चलती रेलगाड़ी से उतरना अब चलना न चलेगा पड़ेगा दौड़ना वो भी न चलेगा आहिस्ते-आहिस्ते और न […]
सवाल आचार्य भगवन् ! समशरण सभा बारा क्यों हैं गंधोदक वर्षण मन्द-मन्द पवन वर्षा स्वर्ग सुमन समशरण में किस कारण से होतीं हैं नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब चूँकि सभासद न एक पे एक ग्यारा सो समशरण […]
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