सवाल आचार्य भगवन् ! खुदबखुद ही कह रहा है, शब्द ‘विष…वास’ फिर भी आप, हर किसी पर विश्वास कर लेते हैं क्यों कर लेते हैं ? आचार्य भगवन् ! क्या आप विश्वास को वि-विशेष श्वास मानते हैं नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु […]
सवाल आचार्य भगवन् ! खुदबखुद ही कह रहा है, शब्द ‘विष…वास’ फिर भी आप, हर किसी पर विश्वास कर लेते हैं क्यों कर लेते हैं ? आचार्य भगवन् ! क्या आप विश्वास को वि-विशेष श्वास मानते हैं नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आपके बाजोटे पर कभी पेन ‘नहीं’ देखा, पेंसिल ही दिखी हमेशा, वो भी सिर पर रबर लगाये हुये, क्या कोई विशेष बात है, स्वामिन् ? नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब देखिये, ग्राम वासी […]
सवाल आचार्य भगवन् ! छोटी छोटी आँखों से हम सभी भक्त आपको टकटकी लगा देखते रहते हैं लेकिन इन बड़ी-बड़ी महापुरुषों के लाञ्छन वाली आँखों से आप, हम जैसे छोटे लोगों को नहीं देख पाते हैं, और खासकर पड़गाहन के […]
सवाल आचार्य भगवन् ! पत्थर-मकराना कहता है ‘कि, ‘मैं इक राणा’ मैं पत्थरों का राजा हूँ और पीछे रहने वाला कब है, पत्थर संगमरमर कहता है, मेरा संगम अमर हैं, तो भगवन् ! जब आपके लिये जिनालयों को अमरता प्रदान […]
सवाल आचार्य भगवन् ! दिन भर एक ही आसन से बैठे बैठे आपकी कम्मर जवाब नहीं देने लगती है पल-पलक आप टिकते भी तो नहीं , भगवन् ! टिक तो जाया कीजिये दीवाल से, भगवन् ! क्यूँ नहीं टिकते हैं […]
सवाल आचार्य भगवन् ! खूब बरसता है, चार महीने मूसल सी धार लगाकर, ताल, नदिया, सागर उफान पे रहते हैं पृथ्वी का दो तिहाई हिस्सा पानी से भरा पड़ा है ऐसा सहज सुलभ और दूसरा पेय पदार्थ कहाँ, फिर भी […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आप कहते हैं, घी ब्रह्म-रन्ध से सात पर्तों के भीतर जाकर स्वास्थ्य लाभ देता है किन्तु परन्तु आप तो सिर्फ तलवे में ही लगवाते हैं, घी या फिर तेल ऐसा क्यों भगवन् ! क्या आपका कुछ […]
सवाल आचार्य भगवन् ! मानते है बादाम दाम ज्यादा रखती है, उसे नहीं लेते न सही, पर भगवन् ! आम तो यथा नाम तथा गुण हैं ना, मतलब सीधा सीधा स्वामिन् ! आम लेना तो आजकल आम बात है कुछ […]
सवाल आचार्य भगवन् ! नेकी का रास्ता आप खुद नापते हैं दीन-दुखियों के आँसू अपने हाथों से पोंछते हैं और अखीर में श्रेय परम पूज्य श्री ज्ञान सागर जी को दे देते हैं, ‘कि तू ही सब कराने वाला, मैं […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आपके घुटने साइकल चलाते वक्त, लहुलुहान हुये, जगह जगह जख्म जनमें, लेकिन फिर भी आप हाथ छोड़ के साइकल चलाते रहे सुुनते हैं, पिता मल्लप्पा जी ने भी कई दफा डाँटा, पर भी भगवन् ! क्या […]
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