सवाल आचार्य भगवन् ! सामुद्रिक शास्त्र प्रकाश डालते है ‘कि जो बड़े-बड़े युग-पुरुषों को, अपने जीवन के अन्तिम पड़ाव पर, नसीब होती है वो गज-रेखा, आपके पैरों में बचपन से ही है, क्या ये बात सही है स्वामिन् ! नमोऽस्तु […]
सवाल आचार्य भगवन् ! सामुद्रिक शास्त्र प्रकाश डालते है ‘कि जो बड़े-बड़े युग-पुरुषों को, अपने जीवन के अन्तिम पड़ाव पर, नसीब होती है वो गज-रेखा, आपके पैरों में बचपन से ही है, क्या ये बात सही है स्वामिन् ! नमोऽस्तु […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आपने अपना प्रथम मुनि शिष्य, बड़े भाई अनन्त जी के लिए न बनाकर, छोटे भाई शान्ति जी के लिए, समय सागर जी नाम रखकर बनाया ? सो क्या राज था, ‘कि शान्ति जी से बड़े, अनंत […]
सवाल आचार्य भगवन् ! देवों का अपना जाता क्या है, विक्रिया से और रूप ही तो बनाना है ढ़ेरों ताँता लगाते खड़े रहते होंगे आपकी सेवा में, और सुनते भी हैं, आपके आस-पास देवि-देव रहते हैं क्या आपने कभी उन्हें […]
सवाल आचार्य भगवन् ! दिलों की चोरी, आपने किस मदरसे में जाकर सीखी ? आज दुनिया में ऐसा कोई नहीं, जो सिर्फ देखते ही, जी चुरा ले हाँ… काम से जी चुराने वाले मुलक मिलेंगे मुल्क-मुल्क में मिलेंगे, लेकिन आप […]
सवाल आचार्य भगवन् ! कीड़ों की डरावनी आवाजें, रात्रि-जगरों का भूलना, बिल्लियों का रोना, जाने सार्थक नाम करती सी दोषाकर, रात्रि इतनी लम्बी-लम्बी फिर भी आप आधी रात गई लेटते हैं, और आधी रात रही उठ बढ़ते हैं तो आप […]
सवाल आचार्य भगवन् ! जुबान से जो खुदबखुद कहती है हाँ…’री यानि ‘कि मुझे स्वीकार कर लीजिए, ऐसी हरी को आप नाम मात्र भी नहीं लेते हैं शरीर आपका अपना भले नहीं, ‘कल यहीं पर रह जायेगा, माना, लेकिन पड़ोसी […]
सवाल आचार्य भगवन् ! सुनते हैं, आप बड़े-बुजुर्गों, गुरु की बात, किसी भी तरह की ना-कुकर किये बग़ैर, जल्दी ही मान लेते थे, आखिर क्यूँ गुरुजी, क्या आपका मन अपनी-अपनी नहीं चलाता था ? नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आपको देखते ही सुध-बुध सी क्यों भूल जाते हैं, घर से जो सोचकर आते हैं ‘कि ये रहेंगे, वो पूछेंगे, और यहाँ आपकी सहजो-शान्त छवि को देखकर लगता है, बस और बस टकटकी लगा कर देखते […]
सवाल आचार्य भगवन् ! भैय्या महावीर तो आपका नाम लेकर, विद्याधर कह पुकारते थे, जानते थे, कुछ भी कर सकते हैं आप, लेकिन छोटे भाई अनंत और शान्ति तो आपको ‘भाई’ अर्थात् “बहुत भाते हैं आप मुझे” यह संबोधन देते […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आप क्या कोई जादू-टोना जानते हैं पाई-पाई जोड़कर सेठ जी बने थे, हमारे गाँव की ही थे, एक सज्जन, उन्होंने कभी, एक रुपया दान न दिया था, लेकिन आप गाँव क्या आये, पाद प्रक्षालन की बोली […]
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