सवाल आचार्य भगवन् ! पुराने भैय्या बहिन रह जाते हैं, और नये लोगों को आप दीक्षा दे देते हैं तो क्या चीन-चीन रेवड़ी बाँटने की कहावत हावी हुई है सहजो निराकुल वृत्ति पर, यदि नहीं तो क्या बात है, कृपया […]
सवाल आचार्य भगवन् ! पुराने भैय्या बहिन रह जाते हैं, और नये लोगों को आप दीक्षा दे देते हैं तो क्या चीन-चीन रेवड़ी बाँटने की कहावत हावी हुई है सहजो निराकुल वृत्ति पर, यदि नहीं तो क्या बात है, कृपया […]
सवाल आचार्य भगवन् ! प्रतिभा मण्डल की दीदिंयाँ, और हथकरघा की बहिनें, आपसे खूब समय पाती हैं, क्या ‘कमाऊ पूत, प्यारो सूद’ वाली कहावत, अन्तर्-पटल पर अमिट छाप छोड़ चल की है यदि नहीं तो ऐसा लोगों को क्यों लगता […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आपके आहार माता जी, महाराज जी, व्रति भाई-बहिन के यहाँ, प्राय: करके होते ही रहते हैं, अब आचार्य श्री, पैसा तो कोई भी ला सकता है लेकिन प्रतिमाधारी व्रति लोगों को, कोई कैसे लाये भगवान् ! […]
सवाल आचार्य भगवन् ! ये तो जगत् प्रसिद्ध ही है ‘कि प्रस्तर से प्रतिमा, माटी से मूर्ति बनाती है, लेकिन भगवन् ! आप धातु से क्या बनाते हैं, ये नई सी बात लगती है, क्योंकि प्राचीन भूगर्भ से निकलीं सभी […]
सवाल आचार्य भगवन् ! जब माँ श्री मन्ती कहती थीं, बालक विद्याधर से, ‘के मैं तो छोटी सी, सुन्दर सी, बहुरिया लाऊँगी, अपने विद्या के लिये, तब आप की क्या प्रतिक्रिया रहती थी, आपको गुद-गुदी होती थी, या फिर कुछ […]
सवाल आचार्य भगवन् ! इतने बड़े-बड़े पाण्डाल लगा कर रखते हैं, आजकल कमेटी वाले लोग, पंच कल्याणकों में, और कम नहीं होतीं प्रतिष्ठाएँ, आज यहाँ तो कल वहाँ, तारीखे तिली जैसी अतराती रहती हैं भगवन् ! आपको विश्वास रहता है […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आपके विहार के समय, बड़-बड़े सन्त-महन्त, आपकी चरण वन्दना के लिये, फूल-पत्ती, श्री फल, गंगाजल ला करके चढ़ाते रहते हैं तब आपके मन में मान, गुमान, अहम्, अभिमान जैसा नहीं जागता क्या । नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु […]
सवाल आचार्य भगवन् ! दुपट्टे का छोटा छेद मोटा होने के बाद भी, आप नये दुपट्टे के लिये, हाँ नहीं भरते थे क्यों आचार्य भगवन् ! फटे कपड़े पहनना तो, अशुभ माने जाते हैं, फिर आप ऐसा क्यों करते थे […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आप आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज की लाठी थे, सुनते हैं, चश्में भी थे, आप उनके ऐसा लोग कहते हैं, क्या औरस पुत्र करेगा, इतनी सेवा माता पिता की जितनी आपने अपने गुरुदेव की वैयावृत्ति […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आपने बिनौली के समय, मेंहदी की बात आते ही, जल्द ही अपने दोनों हाथ आगे कर दिये थे क्या आपको मेहदी अच्छी लगती थी यदि हाँ, तो फिर दीक्षा के बाद, कभी मेंहदी की याद नहीं […]
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