सवाल आचार्य भगवन् ! आपके संघ में एक, खुरई के की महाराज श्री जी भी हैं उनका नाम निराकुल सागर जी, रखने में क्या विशेष राज है ? नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब यहाँ की जैनी मनीषा […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आपके संघ में एक, खुरई के की महाराज श्री जी भी हैं उनका नाम निराकुल सागर जी, रखने में क्या विशेष राज है ? नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब यहाँ की जैनी मनीषा […]
सवाल आचार्य भगवन् ! एक दमोह के महाराज श्री जी हैं, जिनका नाम आपने निर्मोह सागर जी रक्खा है तो भगवन् ! कोई विशेष राज छिपा है, इनके नाम के साथ, या फिर आपने अपने कवि कौतुक लहजे में दमोह […]
सवाल आचार्य भगवन् ! सुनते हैं, देखते भी हैं, ‘कि आप जल्दी ही बात को घुमा देते हैं और एक हल्की सी मधुर मुस्कान दे करके सामने वाले को चुप करा लेते हैं ? या ये कहें, चित्त चुरा लेते […]
सवाल आचार्य भगवन् ! माटी मूक है, या बोलती चूँकि दोनों ही प्रकाश में आ चुकी हैं भगवन् पूरक है एक दूसरे की, या फिर कुछ और ? नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब होशियार लगते हो हो […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आपने मूकमाटी में अबे को तैयार करने से लेकर अग्नि की नदी पार कराने तक का, बेजोड़ चित्र खींचा है, क्या आपके घर के आस-पास अबा लगाया जाता था ? नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आप अपने नव दीक्षित शिष्य के, नामकरण संस्कार के समय, पीछे ‘सागर’ शब्द ही क्यों जोड़ते हैं, वैसे मुनि महाराजों के नाम के पीछे शब्द नन्दी, सेन, कीर्ति आदि जोड़ने की परम्परा भी, अत्र-तत्र दृष्टि गोचर […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आप इतने बड़े-बड़े काम करते हैं, बड़े बाबा को फूल सा उठा के ले आये, नव निर्मित पाषाण के जिनालय में, जोरों से चलती हवा पश्चिमी, उसे अपने निश्वास मात्र उलटे पैर लौटा दिया, हथकरघा के […]
सवाल आचार्य भगवन् ! चार लोगों का परिवार, उसी का निर्वाह करते हुये, मुखिया कहने लगता है क्या फट-के चार हो जाऊँ मैं, भगवन् ! बताईये इतने सारे साधु, साध्वियों के होने के बाद भी, आपके चेहरे पर, एक शिकन […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आपको अहम् सपने में भी कभी छू पाया होगा, मुझे हो क्या इस उस दोंनो जहां में, किसी भी शख्स को, इस बात पर विश्वास नहीं होगा तो भगवन् ! सच में, क्या आपने ‘मैं’ को […]
सवाल आचार्य भगवन् ! पसीने से लथपथ आपके हाथों में, क्या कलम नहीं फिसलती है भगवन् ! क्या आपका कागज, पापड़ जैसा नम नहीं पड़ जाता है गले हाथों के रखने से । कितनी गर्मी हो रही है ‘फेन’ न […]
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