सवाल आचार्य भगवन् ! जाने पुण्य है पाप हमारा आपके सिवाय हमें कुछ भी तो नहीं मिला भव मानव मिलकरके भी हीन संहनन है तीर्थकर प्रभु का सद्भाव नहीं है कालकलि काल है, जिसमें ‘जनम होवे मेरा’ ऐसा लक्ष्मण जी […]
सवाल आचार्य भगवन् ! जाने पुण्य है पाप हमारा आपके सिवाय हमें कुछ भी तो नहीं मिला भव मानव मिलकरके भी हीन संहनन है तीर्थकर प्रभु का सद्भाव नहीं है कालकलि काल है, जिसमें ‘जनम होवे मेरा’ ऐसा लक्ष्मण जी […]
सवाल आचार्य भगवन् ! दीदिंयाँ, दादिंयाँ, नानिंयाँ, पोथिंयाँ, साधु साध्विंयाँ और तो और आपकी भी हितमित प्रिय बतिंयाँ सभी के सभी एक सुर से कहते मिलते हैं जब कभी ‘पूत के लक्षण पालने में’ मेरे भगवन् इसका अर्थ मेरे तो […]
सवाल आचार्य भगवन् ! बचपन की बहुत सी बातें लगती हैं ‘कि काल कवलित हो चलीं हों लेकिन मन के किसी कोने में बैठी रहतीं हैं वह, जब कभी घर के आँगन को, पैर के अँगूठे से कुरेदते वक्त खोये […]
सवाल आचार्य भगवन् ! मैं जब जब अपनी सासू माँ के पास गई हूँ तब तब उन्होंने यही कहा है ‘के यह नौटंकी मत किया करो भगवन् मैं सच कह ही हूँ सच्चे मन हो जाती हूँ क्षमा माँगने लेकिन […]
सवाल आचार्य भगवन् ! किंवदन्तिंयाँ, लोकोक्तिंयाँ, कहावतें, सभी के सभी एक सुर से कहते मिलते हैं पूत तो कपूत हो सकता है लेकिन माता कुमाता नहीं होती है पर भगवान् नागिन तो अपने अण्डे साबुत ही निगल जाती है लोगों […]
सवाल आचार्य भगवन् ! यह शैतान क्या बला है जब तब बड़े बुजुर्ग कहते मिलते हैं शैतान सिर पर सवार है पर यह देखने में तो आता ही नहीं है कैसा है इसका हुलिया क्या इसके सींग पूँछ भी हैं […]
सवाल आचार्य भगवन् ! पण्डित दौलत राम जी को अपनी अनूठी कृति का नामकरण करते समय विकल्प तो कई उठे होगे चूँकि कृति ही अपूर्व है और सुनते भी है ‘कि ग्रन्थ का नाम ही बतला देता है ‘कि इसके […]
सवाल आचार्य भगवन् ! संघों में आजकल गरमी में ही नहीं, जिस किसी मौसम में खूब चलते हैं आहारों में रसों पे रस एकाध ग्रास नहीं, ऐसा वैसा गिलास नहीं गिलास पटियाला भर भर के रस सन्तरे का रस पाइनएप्पल […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आप कहते हैं बिना क्षमा माँगे ही अपने से छोटों के लिये क्षमा कर देना चाहिये भूलें करना छोटों का स्वभाव है और भूल जाना बड़ों का सो गुरुजी ऐसा कब तक चलाना है नमोऽस्तु भगवन्, […]
सवाल आचार्य भगवन् ! देवी गान्धारी यदि अपनी आँखों पर पट्टी नहीं बाँधतीं तो राजा धृतराष्ट्र की ज्यादा मदद कर सकतीं थी आँखों पर पट्टी बाँध करके तो स्वयं ही दूसरों के आश्रित रहना हो चला होगा अपने पतिदेव की […]
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