सवाल आचार्य भगवन् ! नाम सार्थ सा जमा…ना एक भाई की खुशी, दूसरे भाई को दुखी कर जाती है लोग-बाग शूद्र जल नहीं पीते हैं पर हृदय उनके, आमूल-चूल जलन से रहते तीते हैं कुढ़न, डाह, ईर्ष्या, इन्सां के पर्यायवाची […]
सवाल आचार्य भगवन् ! नाम सार्थ सा जमा…ना एक भाई की खुशी, दूसरे भाई को दुखी कर जाती है लोग-बाग शूद्र जल नहीं पीते हैं पर हृदय उनके, आमूल-चूल जलन से रहते तीते हैं कुढ़न, डाह, ईर्ष्या, इन्सां के पर्यायवाची […]
सवाल आचार्य भगवन् ! विकारी भाव बार-बार दबाये भी, सर उठाते हैं हर रात प्रण करके सोता हूँ, सुबह उठने के साथ फिर कायोत्सर्ग करता हूँ लेकिन साँझ जब जमा-खर्च का रोजनामचा मिलाता हूँ तो टोटा ही हाथ लगता है […]
सवाल आचार्य भगवन् ! हम भक्त खूब भजन करते हैं, फिर भी भगवान नहीं जाते हैं, और आप कहते हैं भगवान् भक्त नाम सार्थक हैं क्या चूक रह चलती है हमसे, कृपया कहिए नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… […]
सवाल आचार्य भगवन् ! जब भगवान् के पास अक्षय भंडार है तो भक्तों को देने में आना कानी क्यों करते हैं माना मन्दिर के बाहर लगी कतार बदनसीबों की है, उन्हें देख लेंगे हम लोग, चूँकि अन्दर लगी कतार देख, […]
सवाल आचार्य भगवन् ! ‘रक्षा, बन्धन में’ बात कुछ-कुछ गले नहीं उतरती हैं, प्रभो ! बन्धन तो असुरक्षा का नाम है, तभी तो पिंजरे के खुले मिलते ही परिन्दा फुर्र हो लेता है नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आजकल तो जीवन बड़ा आसान हो चला है घर-घर भौतिक यन्त्र आ चले हैं पहले जैसी मगजमारी नहीं है आजकल नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब देखिये, पञ्चम के बाद क्या आया यंत्र षड्यंत्र […]
सवाल आचार्य भगवन् ! आज नेक दिल इन्सां मिलते हीं नहीं, पाप दिलों में तिलों के जैसा अतराने लगा है आजकल, सच भगवान् ही मालिक है, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब सुनो, नो… नो… नो… सुनो खुद-ब-खुद, […]
सवाल आचार्य भगवन् ! घर से निकले का खूब मन होता है बखूब उपाय भी खोज लाता मन लेकिन रेशम के कीड़े सी दशा है भगवान् खुद की ही लार ही दिवाल बन करके खड़ी हो चलती है नमोऽस्तु भगवन्, […]
सवाल आचार्य भगवन् ! मन’मानी क्यों करता रहता है, भले माँ का दीर्घ स्वर नहीं लेकिन ह्रश्व तो है माँ की बात क्यों नहीं मानता है ? नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, जवाब… लाजवाब देखिये माँ तो माँ है, […]
सवाल आचार्य भगवन् ! इन्द्रिय पाँचों ही शब्दश: कुछ कुछ राज खोलतीं हैं ‘के मुझ सा परस…न, रस…न, घर…न, नय…न, कर…न और आगम जी कहते हैं, इनसे बनती कोशिश दूर रहिए भगवन् ! इतने सुन्दर नाम आप क्यों अक्षर पलटने […]
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