इक्कीसवां रंग हस्थिनापुर करो प्रस्थान, जारी ये फ़रमान ।।१।। पाती झपक ‘कि पलक, नगर आया झलक ।।२।। मुख्य द्वार पे उकरी संख्या दो, ‘छ: तीन’ और नौ ।।३।। छः तीन यानी, जिन्दगी न तू-तू मैं-मैं में बितानी ।।४।। नौ से […]
इक्कीसवां रंग हस्थिनापुर करो प्रस्थान, जारी ये फ़रमान ।।१।। पाती झपक ‘कि पलक, नगर आया झलक ।।२।। मुख्य द्वार पे उकरी संख्या दो, ‘छ: तीन’ और नौ ।।३।। छः तीन यानी, जिन्दगी न तू-तू मैं-मैं में बितानी ।।४।। नौ से […]
सोलहवां रंग सुन्दर कई रथ, आ खड़े हुये नापने पथ ।।१।। प्रथम बैठे सुलोचना जै, रथ था स्वर्णमय ।।२।। क्रमशः राजा अकम्पन, और भी सदस्य गण ।।३।। संगी-संगिनी, चाली संग जै सेना चतुरंगिनी ।।४।। सिर चढ़ न धूल बोले, सो […]
ग्यारहवां रंग पा सुलोचन झील, जै सु-लोचन मीन सलील ।।१।। जा पहुँची जै नजर, सीधे वधु चेहरे पर ।।२।। थी बड़भाग, जो देख रही आज, चाँद बेदाग ।|३।। ऐसा चन्द्रमा, न छाये जीवन में, जिसके अमा ।।४।। कलाएँ, सच बताएँ, […]
छठवां रंग लो पुनः लागीं खोजने जै अपना, दृग्… सुलोचना ।।१।। क्या करूॅंगा ? ‘जो पाया हार’ सोच में पड़े कुमार ।।२।। चाली धी-देवी, दाहिनी ‘ओर’ बाँयी चाला कंचुकी ।।३।। कराने लागी परि’चै’ ‘धी’-खोजे’ पै सुलोचना जै ।।४।। ‘वो धी’ […]
जयोदय महाकाव्य =हाईकू= ….पहला रंग…. जै-सुलोचना गाथा, ईश ! नवा के शीष, मैं गाता ।।१।। अच्छा कलम लिखे, इच्छा… दिल न किसी का दुखे ।।२।। हस्तिनापुर नरेश, ‘जय’ अनु-चर तीर्थेश ।।३।। और कथाएँ करायें हँसी, ‘कथा-जय’ सुधा-सी ।।४।। पूर्ण-मुराद, ‘कथा-जै’ […]
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