सुविधि नाथ आरती भक्ति ले करके आँखों में दीप ले करके हाथों में आओ आओ हम सभी, जिन सुविध आरती करते हैं जिन सुविध...
चन्द्र प्रभ आरती ऐरा नन्दा । बाबा चन्दा ।। जयतु जयतु जय जयतु जिनन्दा ।। स्वर्ण सुगंधा । पाप निकन्दा । जयतु...
सुपार्श्व नाथ आरती जिनेन्द्रम् सुपारस, जिनेन्द्रम् सुपारस । सदा यूँहि बरसाते रहना कृपा बस ।। लिये दीप आया...
पद्म-प्रभ आरती जयतु जय जय पद्मप्-प्रभ देव । सतत शत इन्द्र खड़े हित सेव ।। ओ’जि ले अपने-अपने हाथ । स्वर्ण...
सुमतिनाथ आरती जयतु सुमत जय जय । दृग् नम सदय हृदय ।। उतारुँ आरतिया करने पापों का क्षय । ले दीपों की थरिया ।।...
अभिनन्दन नाथ आरती अभिनन्दन, शत शत वन्दन । भगवन् अर्हन अभिनन्दन ।। कर आरति तुम हाथ धन । लख मूरति तुम आँख धन !...
संभवनाथ आरती आरती संभव जिन । मैं उतारूँ निश-दिन । बाती कपूर वाली । मण रत्नों की थाली ।। दीप सजा के अनगिन ।...
अजितनाथ आरती जय जिन अजित, अजित जिन जय-जय । करे आरती कर्म सभी क्षय । हरे आरती सप्त सभी भय ॥ आरती प्रथम गर्भ...
आदिनाथ आरती थाल सजाओ । ज्योत जगाओ ।। आदि ब्रह्म की आरती, उतारें आओ । सपना नाता । अपना माता ।। बरसे रतन, रतन...
आदिनाथ ‘वृहद्-चालीसा’ दोहा लगा रहे काँधे बिठा, भवि भक्तों को पार । गूॅंज रही इक सुर तभी, ‘आदि ब्रह्म’...
अजित ‘वृहद्-चालीसा’ दोहा मुकुट बद्ध राजा सभी, खडे़ माथ रख हाथ । जन्म समय तब पड़ चला, नाम ‘अजित’ तुम...
संभवनाथ वृहद चालीसा दोहा स्वस्ति झिर चली नाम से, फूटे ज्यों गुल गन्ध । जिन संभव वन्दन तिन्हें, श्रद्धा लिये...