सवाल आचार्य भगवन् ! आप कहते हैं भगवान् माँ का किरदार निभाते हैं पर लगता है भगवान् हम बच्चों का बिल्कुल भी...
सवाल आचार्य भगवन् ! न दिशा दिशा विदिशा भी, आवाज देती है, सत्संग करो, संत के पास आओ जाओ, ऐसा क्यों नमोऽस्तु...
सवाल आचार्य भगवन् ! आप कहते हैं तीसरी, भीतरी भीतरी हो तो शब्द सब, ‘द’ यानि ‘कि देने वाले हैं तो बतलाइये...
सवाल आचार्य भगवन् ! क्या कमजोर भी, बल-जोड़ के लिए मात दे सकता है नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु...
सवाल आचार्य भगवन् ! आप धम्म-धम्म करके चलने से, मना क्यों करते हैं नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु...
सवाल आचार्य भगवन् ! आहिस्ते चले कभी, हो कभी हाँपते चले, छोटी से छोटी घड़ी जादूगर बड़ी ऐसा क्यों कहते हैं...
सवाल आचार्य भगवन् ! खिलता ‘कि मुरझाने लगता फूल, करने कबूल, चाहिये जो भीतरी, आंख तीसरी वो कैसे मिलती है...
सवाल आचार्य भगवन् ! बड़े सवालात क्यों उठाते हैं लात एक या दो उठाई जा सकती, सवा…लात कैसे उठा लेते हैं...
सवाल आचार्य भगवन् ! जाने क्यों मन क…ख…ग नहीं चुनता है, ‘घ’ खाने में लिखा शब्द ‘मण्ड’ चुनता है, सो ले...
सवाल आचार्य भगवन् ! शिखर पर पहुँचने के लिये क्या करना चाहिये नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु भगवन्, नमोऽस्तु...
सवाल आचार्य भगवन् ! लोग आपको आहार के समय, कितना तंग करते हैं दिन भर आपके कमरे के सामने शोरगुल करते रहते हैं...
सवाल आचार्य भगवन् ! मंथरा का किरदार निभाने वाले कम नहीं हैं, भगवान् कान भरना मेरे मन को भी खूब भाता है क्या...
