उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म विधान समर्पण भावनाटूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली अपूर्व जाग ।चीर घना अंधकार,एक जग उठा...
उत्तम त्याग धर्म विधान समर्पण भावना‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली...
उत्तम तप धर्म विधान समर्पण भावना‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली...
उत्तम संयम धर्म विधान समर्पण भावना‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली...
उत्तम सत्य धर्म विधान समर्पण भावना‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली...
उत्तम शौच धर्म विधान समर्पण भावना‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली...
उत्तम आकिञ्चन धर्म विधान समर्पण भावना‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली...
उत्तम आर्जव धर्म विधान समर्पण भावना‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली...
उत्तम मार्दव धर्म विधान समर्पण भावना‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली...
उत्तम क्षमा धर्म विधान समर्पण भावना‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली...
(मुनि श्री अजय सागर जी) संसार में धर्म की आराधना श्रेष्ठ है। धर्म की आराधना से जीवो का जीवन सुखी-समृद्ध होता...
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित रक्षाबंधन विधान पूजन जयतु सप्त-शत अकंपनादिक, विष्णु कुमार...
