परम पूज्य १०८ मुनिश्री निराकुलसागर महाराजजी द्वारा रचित पठारी वाले बड़े बाबा पूजन बड़े बाबा पठारी वाले...
ऊन के बड़े बाबा की पूजन बाबा ऊन चमत्कारी । मंशा-पून ! विपद्-हारी ।। सूना सूना मन आँगन | बने नैन भादो-सावन ।।...
(१४१) इसने मुझे दबाया है उसने मुझे दबाया है इस सोच के बोझ से बस दबा जा रहा हूँ मैं पर अपने दिल पर हाथ रख करके...
(१२१) मुश्किल कहाँ आज्ञा देना बस जिह्वा के लिए उठा कर के तलवे से मारना है सुनो तो लेकिन उठती हुई मन की तरंग...
(१०१) जिह्वा को संस्कृत में कहा है रस ना मतलब रस नहीं है इसमें और यदि ‘श’ शक्कर वाला लेते है तो रशना मतलब...
(८१) न सिर्फ इसको ही अपने साथ में ले लो उसको भी क्यूँ क्या सुनी नहीं है दूसरी शाला की दूसरी...
(६१) उसने अपने हथियार डाल दिये हैं इसने अपने हथियार डाल दिये हैं मेरे भी बाजू जवाब दे चले हैं ऐसी बुजदिली...
(४१) भैय्या ! आप किसी एक व्यापार को पकड़िये तो देखिए ना व्यापार शब्द आगे नहीं पीछे पार शब्द लगाकर के कुछ कह रहा...
(२१) ताकत तो ताँकती रहती है हमें दे करके अपना बेशकीमती समय बस उसे हम ही नहीं देख पाते और अब आप ही बतलाईये...
(१) दोस्त का दिल कहता है थोड़ा सा और बस रहा दूर ज़र्रा सा ही आसमान छू करके ही लौटना दुश्मन का मन कहता है ज्यादा...
(५१)बाहरदन्द-फन्द, द्वन्द है कोहरा है, धुन्ध हैकर्मों का बन्ध है अन्दर,आनन्द ही आनन्द है सोने सुगन्ध है...
(४१) शुद्ध, बुद्ध, अविनाशी मैं अक्षर धाम निवासी मैं अखर अंक हूँ हेम पंक हूँ निष्कलंक हूँ साँची मैं, साथी ! मैं,...