“गीत”
(दीक्षा के समय)
10 अगस्त
10 अगस्त
10 अगस्त
एक नहीं, दो नहीं
“एक -एक” नौ नहीं
मिलके चार-बीस थे हम समस्त.
10 अगस्त
10 अगस्त
10 अगस्त
दृष्टि नाक-पे रखे.
थे सभी पढ़े-लिखे.
थे नई उमर-के,और मन प्रशस्त
10 अगस्त
10 अगस्त
10 अगस्त
केश थे लिये उखाड़.
वस्त्र थे दिये उतार.
पा-के गुरु देव का वरद-हस्त
10 अगस्त
10 अगस्त
10 अगस्त
तेरा दो हजार
और दिन था शनिवार.
।। निरा-कुलम्….बाबा के बेटे ।।
Sharing is caring!
© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point
© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point